Cover Story

भारत में हुए सबसे घातक ट्रेन हादसों पर एक नज़र

नयी दिल्ली : ओडिशा के बालासोर जिले में शुक्रवार को भीषण ट्रेन दुर्घटना ने जहां लोगों को झकझोर कर रख दिया है और पूर्व में हुए ऐसे हादसों की याद ताजा कर दी है वहीं अधुनातन तकनीकी प्रयोगों के बावजूद ऐसी दुर्घटनाओं को लेकर जनमानस में रेलवे की कार्यप्रणाली पर सवाल भी खड़े किये हैं।भारतीय रेलवे के इतिहास में घटित बड़े हादसों पर नजर डालने पर पता चलता है कि ज्यादातर दुर्घटनाएं पटरी से उतर जाने के कारण हुई।

दिसंबर 1964 में पांबन-धनुष्कोटि पैसेंजर ट्रेन के रामेश्वरम के समीप चक्रवात के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से उसमे सवार 126 से अधिक यात्रियों की मौत हो गयी।जून 1981 में बिहार में मानसी और सहरसा के बीच एक ट्रेन पुल पार करते समय पटरी से उतर गयी थी और उसके सात डिब्बे बागमती नदी में गिर गये , जिससे 800 यात्रियों की मौत हो गयी थी।

अगस्त 1995 में दिल्ली- कानपुर पुरुषोत्तम एक्सप्रेस उत्तर प्रदेश में फिरोजाबाद के पास खड़ी कालिंदी एक्सप्रेस से टकरा गई थी जिससे दोनों ट्रेनों के 360 से अधिक यात्रियों की मौत हुई थी।सितंबर 1997 में छत्तीसगढ़ में चांपा के हसदेव नदी में हावड़ा-अहमदाबाद एक्सप्रेस के पांच डिब्बे नदी में गिर गए थे , जिससे 81 यात्रियों की मौत हो गयी थी और 200 यात्री घायल हुए थे।

नवंबर 1998 में जम्मू तवी – सियालदह एक्सप्रेस अमृतसर जाने वाली फ्रंटियर गोल्डन टेंपल मेल के साथ हादसे की शिकार हुई। पटरी टूटी होने के कारण स्वर्ण मंदिर मेल ट्रेन के तीन डिब्बे पटरी से उतर गए जबकि जम्मू तवी-सियालदह एक्सप्रेस ट्रेन के छह डिब्बे पटरी से उतरे थे। इस रेल हादसे में 280 से अधिक यात्रियों की जान गई थी।

अगस्त 1999 में उत्तर सीमांत रेलवे के कटिहार डिवीजन के गैसल स्टेशन पर ब्रह्मपुत्र मेल के अवध असम एक्सप्रेस से टकरा जाने 285 से अधिक लोगों की मौत हुई थी और 300 से अधिक घायल हो गए।सितंबर 2002 में हावड़ा-नयी दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस के बिहार के गया और डेहरी-ऑन-सोन स्टेशनों के बीच रफीगंज स्टेशन के पास पटरी से उतर जाने से 130 से अधिक लोग मारे गए थे।

अक्टूबर 2005 में आंध्र प्रदेश में वेलुगोंडा के पास एक पैसेंजर ट्रेन के कई डिब्बे पटरी से उतर गए थे , जिससे करीब 77 लोग मारे गए थे।मई 2010 में मुंबई जा रही हावड़ा कुर्ला लोकमान्य तिलक ज्ञानेश्वरी सुपर डीलक्स एक्सप्रेस पश्चिम बंगाल के पश्चिम मिदनापुर जिले में खेमशौली और साडीहा के बीच पटरी से उतर गयी और इसी दौरान एक मालगाड़ी ने उसे टक्कर मार दी थी , जिससे 235 यात्रियों की जानें गयी।

जुलाई 2011में फतेहपुर में मेल ट्रेन के पटरी से उतर जाने के कारण करीब 70 लोगों की मौत हो गई थी और 300 से ज्यादा घायल हुए थे।नवंबर 2016 में इंदौर – राजेन्द्र नगर एक्सप्रेस के 14 डिब्बे उत्तर प्रदेश के पुखरायां में पटरी से उतर जाने से 152 लोग मारे गए और 200 से अधिक घायल हो हुए थे।

जनवरी 2017 में जगदलपुर- भुवनेश्वर हीराखंड एक्सप्रेस ट्रेन के कई डिब्बे आंध्रप्रदेश के विजयनगर के पास पटरी से उतर गए और करीब 41 लोग अपनी जान गंवा बैठे।अक्टूबर 2018 में पंजाब के अमृतसर में दशहरा उत्सव देखने के लिए पटरियों पर जमा भीड़ ट्रेन की चपेट में आ गयी थी।इस हादसे में 59 लोगों की मौत हो गई थी।(वार्ता)

ओडिशा में तीन ट्रेनों की टक्कर में 288 यात्रियों की मौत, 803 यात्री घायल

‘ओडिशा में एक गाड़ी बेपटरी हुई, तीन दुर्घटनाग्रस्त’

मोदी ने ओडिशा में रेल दुर्घटना स्थल का दौरा किया

रेल दुर्घटना अत्यंत गंभीर, जांच में कोई दोषी पाया गया तो बख्शा नहीं जाएगा: मोदी

VARANASI TRAVEL
SHREYAN FIRE TRAINING INSTITUTE VARANASI

Related Articles

Back to top button
%d bloggers like this: