Varanasi

काशी के आदिकेशव घाट पर पिंडदान: पूर्वजों की मुक्ति और विष्णु का आशीर्वाद

  • आदिकेशव घाट पर पिंडदान करने से मिलता है चार धाम यात्रा का पुण्य
  • पूर्वजों के उद्धार का पावन स्थल: आदिकेशव घाट का पिंडदान महत्व
  • 21 पीढ़ियों की मुक्ति का द्वार: आदिकेशव घाट पर पिंडदान की अद्भुत मान्यता

वाराणसी। काशी के उत्तर छोर पर स्थित आदिकेशव घाट पर पिंडदान और श्राद्ध की विशेष महत्ता है। आदिकेशव मंदिर के पुजारी पं. विद्या शंकर त्रिपाठी के अनुसार यहां पिंडदान करने मात्र से व्यक्ति की 21 पीढ़ियों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस पावन स्थल पर किया गया तर्पण भगवान विष्णु को प्रिय होता है और इससे घर-परिवार पर सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद सदैव बना रहता है।

पंडित त्रिपाठी ने बताया कि काशी में चार प्रमुख तीर्थ माने गए हैं—संगम तीर्थ, सांमेश्वर तीर्थ, विष्णुपदोतक तीर्थ और क्षीरसागर तीर्थ। इसके साथ ही पंचतीर्थ स्नान की परंपरा भी यहां प्रचलित है, जिसमें दशाश्वमेध घाट, मणिकर्णिका घाट, पंचगंगा घाट, अस्सी घाट और आदिकेशव घाट शामिल हैं। मान्यता है कि इन पांच घाटों पर स्नान करने से चार धाम की यात्रा के समान पुण्य फल प्राप्त होता है। विशेषकर कार्तिक और वैशाख मास में यहां स्नान और दान का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।

आदिकेशव मंदिर को काशी का प्राचीनतम वैष्णव तीर्थ माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि प्रत्येक एकादशी पर यहां दर्शन और पूजन का विशेष महत्व है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि आदिकेशव के दर्शन के बिना एकादशी व्रत अधूरा रहता है। इसी कारण पितृपक्ष में पड़ने वाली एकादशी, जैसे इंदिरा एकादशी, पर यहां बड़ी संख्या में भक्त उमड़ते हैं।

मंदिर में इस दिन विशेष पूजा-अर्चना, मंगला आरती, भजन-कीर्तन और विष्णु सहस्रनाम का पाठ होता है। भक्त तुलसी पत्र और पुष्प अर्पित कर भगवान विष्णु की आराधना करते हैं तथा संध्या काल में दीपदान कर व्रत का समापन करते हैं।आस्था और श्रद्धा का यह संगम आदिकेशव मंदिर और घाट को काशी की धार्मिक परंपरा का अभिन्न हिस्सा बनाता है। गंगा स्नान, पितृ तर्पण और विष्णु पूजन का अनोखा संगम यहां पितृपक्ष और एकादशी की तिथियों को विशेष बना देता है।

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