
भोजपुरी सिनेमा कभी भारतीय क्षेत्रीय फिल्मों की आत्मा माना जाता था। 1960 और 70 के दशक में बनी फिल्में जैसे गंगा मईया तोहे पियरी चढ़इबो (1962), नदिया के पार (1982), विदेसिया, गंगा किनारे मोरा गांव ने न केवल भोजपुरी दर्शकों का दिल जीता बल्कि उत्तर भारत की संस्कृति और संवेदनाओं को बड़े पर्दे पर अमर कर दिया।
लेकिन, 2000 के बाद जब भोजपुरी सिनेमा ने एक नया दौर पकड़ा, तो शुरुआत उम्मीदों से भरी थी। ससुरा बड़ा पइसावाला (2004) जैसी फिल्म ने इतिहास रच दिया। लोगों को लगा कि अब भोजपुरी फिल्मों का सुनहरा भविष्य शुरू हो गया। लेकिन कुछ ही सालों में इंडस्ट्री पर अश्लीलता और द्विअर्थी संवादों का दाग लग गया। गंभीरता गायब होती गई और फिल्में जल्दी पैसे कमाने का जरिया बन गईं।
आज स्थिति यह है कि 2004–2025 के बीच कई सुपरहिट फिल्में बनीं, लेकिन उतनी ही संख्या में दर्जनों सुपरफ्लॉप फिल्में भी आईं, जिन्होंने इंडस्ट्री की नींव हिला दी।
भोजपुरी फिल्मों की गंभीरता क्यों कम हुई?
अश्लीलता का बढ़ना
2005 से 2015 के बीच बड़े पैमाने पर अश्लील गानों और द्विअर्थी संवादों वाली फिल्में आईं। इसमें मोनालिसा, संभावना सेठ और कई अभिनेत्रियों को मात्र ‘आइटम गर्ल’ की छवि में ढाला गया।
कमजोर स्क्रिप्ट और तकनीकी कमी
जहां दक्षिण भारत की फिल्में मजबूत कहानियों और तकनीक के कारण आगे बढ़ीं, वहीं भोजपुरी सिनेमा में तकनीक पर ध्यान ही नहीं दिया गया।
निर्माताओं की अल्पदृष्टि
कई निर्माताओं ने जल्दी पैसे कमाने के लिए घटिया फिल्में बनाईं। नतीजा यह हुआ कि दर्शक वर्ग गंभीर फिल्मों से दूर हो गया।
थियेटरों का संकट
यूपी–बिहार में सिनेमाघरों की स्थिति पहले से ही खराब थी। मल्टीप्लेक्स में भोजपुरी फिल्में कम जगह पाती हैं।
डिजिटल प्लेटफॉर्म का दबाव
OTT पर भोजपुरी कंटेंट की कमी रही, जबकि हिंदी और दक्षिण भारतीय फिल्मों ने इस मंच को तुरंत पकड़ लिया।
2004–2025 तक के प्रमुख अभिनेता और उनकी फिल्में
मनोज तिवारी (2004–2007)
* ससुरा बड़ा पइसावाला (2004) – सुपरहिट
* दरोगा बाबू आई लव यू (2006) – हिट
* बंबई वाला बाबू (2005) – फ्लॉप
रवि किशन (2004–2010)
* दुल्हन गंगा पार के (2010) – हिट
* बिदाई (2008) – सुपरहिट
* बंबई वाला बाबू (2005) – फ्लॉप
दिनेश लाल यादव “निरहुआ” (2007–2025)
* निरहुआ रिक्शावाला (2007) – सुपरहिट
* निरहुआ हिंदुस्तानी (2014) – सुपरहिट
* निरहुआ चलल लंदन (2019) – हिट
* दिलवाले (2021) – फ्लॉप
पवन सिंह (2009–2025)
* लगल रहा ऐ राजा जी (2009) – हिट
* सत्या (2016) – सुपरहिट
* शेर सिंह (2019) – फ्लॉप
* राजा बाबू (2022) – हिट
खेसारी लाल यादव (2012–2025)
* साजन चले ससुराल (2012) – हिट
* मेहंदी लगा के रखना (2017) – सुपरहिट
* मुकद्दर (2022) – फ्लॉप
* लव विवाह डॉट कॉम (2023) – हिट
2004–2025 तक की प्रमुख अभिनेत्रियां और उनकी फिल्में
रानी चटर्जी
* ससुरा बड़ा पइसावाला (2004) – सुपरहिट
* दरोगा बाबू आई लव यू (2006) – हिट
पाखी हेगड़े
* लगल रहा ऐ राजा जी (2009) – सुपरहिट
रिंकू घोष
* बिदाई 2008 सुपरहिट
* दुल्हन गंगा पार के (2010) – हिट
स्मृति सिन्हा
* साजन चले ससुराल (2012) – हिट
आम्रपाली दुबे
* निरहुआ हिंदुस्तानी (2014) – सुपरहिट
* निरहुआ चलल लंदन (2019) – हिट
* जय भारत (2024) – हिट
काजल राघवानी
* मेहंदी लगा के रखना (2017) – सुपरहिट
* राजा बाबू (2022) – हिट
अक्षरा सिंह
* सत्या (2016) – सुपरहिट
* दिलवाले (2021) – फ्लॉप
2004–2025 तक की सुपरहिट भोजपुरी फिल्में
* ससुरा बड़ा पइसावाला (2004) – मनोज तिवारी, रानी चटर्जी
* निरहुआ रिक्शावाला (2007) – निरहुआ, नीलम
* लगल रहा ऐ राजा जी (2009) – पवन सिंह, पाखी हेगड़े
* दुल्हन गंगा पार के (2010) – रवि किशन, रिंकू घोष
* साजन चले ससुराल (2012) – खेसारी लाल, स्मृति सिन्हा
* निरहुआ हिंदुस्तानी (2014) – निरहुआ, आम्रपाली
* सत्या (2016) – पवन सिंह, अक्षरा सिंह
* मेहंदी लगा के रखना (2017) – खेसारी लाल, काजल राघवानी
* बॉर्डर (2018) – निरहुआ, आम्रपाली
* निरहुआ चलल लंदन (2019) – निरहुआ, आम्रपाली
* राजा बाबू (2022) – पवन सिंह, काजल राघवानी
* लव विवाह डॉट कॉम (2023) – खेसारी लाल, आम्रपाली
* जय भारत (2024) – निरहुआ, आम्रपाली
2004–2025 तक की सुपरफ्लॉप भोजपुरी फिल्में
* बंबई वाला बाबू (2005) – रवि किशन
* होगी प्यार की जीत (2008) – मनोज तिवारी, मोनालिसा
* हमार इज्जत (2011) – खेसारी लाल
* दिल दीवाना (2013) – निरहुआ, अनजना सिंह
* हथकड़ी (2015) – पवन सिंह, अनजना सिंह
* लव के लिए कुछ भी करेगा (2017) – खेसारी लाल, काजल
* शेर सिंह (2019) – पवन सिंह, आम्रपाली
* दिलवाले (2021) – निरहुआ, अक्षरा सिंह
* मुकद्दर (2022) – खेसारी लाल, काजल
* हमरा से बढ़ के का भुलाइलू (2024) – नए कलाकार
कौन जिम्मेदार है?
* निर्देशक और निर्माता जो सिर्फ तात्कालिक लाभ पर ध्यान देते हैं
* अभिनेता जो अपनी स्टार छवि बचाने के लिए अश्लीलता से जुड़ गए
* गायक–अभिनेता मॉडल जिसने फिल्मों को संगीत एल्बम का एक्सटेंशन बना दिया
* सेंसर बोर्ड की ढिलाई
* दर्शकों का एक वर्ग जो शुरू में मसालेदार कंटेंट को बढ़ावा देता रहा
समाधान और सुधार की राह
* पारिवारिक और सांस्कृतिक फिल्मों को बढ़ावा देना
* मजबूत स्क्रिप्ट और तकनीक पर निवेश
* नए निर्देशकों और लेखकों को मौका
* OTT पर भोजपुरी फिल्मों की बेहतर मौजूदगी
* दर्शकों को स्वच्छ सिनेमा को प्राथमिकता देना
निष्कर्ष
भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री आज चौराहे पर खड़ी है। 2004 से 2025 के बीच इसने बड़े उतार-चढ़ाव देखे। कुछ फिल्में ऐसी बनीं जो हमेशा याद रखी जाएंगी, लेकिन साथ ही ढेरों फ्लॉप और अश्लील फिल्मों ने इसकी छवि खराब कर दी। अब जरूरत है कि भोजपुरी सिनेमा अपनी जड़ों की ओर लौटे—गांव, मिट्टी, परिवार और संस्कृति की ओर। तभी यह इंडस्ट्री दोबारा स्वर्णिम दौर में लौट सकती है।
गांव की माटी से ग्लैमर तक: भोजपुरी सिनेमा की नायिकाओं का सफर



