
“युद्ध का मैदान बदल गया है”-रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बोले,“भारत को बनना है विश्व का रक्षा नवप्रवर्तक”
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 07 अक्टूबरको नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर कहा कि “रक्षा और सुरक्षा पूरे राष्ट्र की सामूहिक जिम्मेदारी है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि रक्षा क्षेत्र को मज़बूत बनाना केवल किसी एक संस्था या सरकार का कार्य नहीं, बल्कि सभी भारतीयों का साझा संकल्प है। “देश में रक्षा विनिर्माण के अवसर” विषय पर आयोजित इस सम्मेलन में उन्होंने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से विश्वस्तरीय, प्रतिस्पर्धी रक्षा विनिर्माण इको-सिस्टम के निर्माण में सक्रिय भागीदारी का आह्वान किया।रक्षा मंत्री ने कहा कि रक्षा आत्मनिर्भरता केवल उत्पादन या अर्थव्यवस्था का मामला नहीं, बल्कि यह रणनीतिक स्वायत्तता और संप्रभुता से जुड़ा मुद्दा है। उन्होंने *ऑपरेशन सिंदूर* में राज्यों की सक्रिय भागीदारी को उदाहरण बताते हुए कहा कि-“जब हम सब एक साथ किसी लक्ष्य के लिए काम करते हैं, तब कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती।”
- आईडेक्स सम्मेलन में बोले रक्षा मंत्री – आत्मनिर्भरता अब आंदोलन बन चुकी है,पहला ‘रक्षा यूनिकॉर्न’ भारत से ही निकलेगा।
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने विज्ञान भवन में राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन से पहले ‘रक्षा नवाचार संवाद: आईडेक्स स्टार्टअप्स के साथ परस्पर संवाद’ के दौरान कहा “युद्ध का मैदान बदल गया है। भविष्य के युद्ध एल्गोरिदम, ऑटोनॉमस सिस्टम और कृत्रिम बुद्धिमत्ता से लड़े जाएंगे। ड्रोन, एंटी-ड्रोन सिस्टम, क्वांटम कंप्यूटिंग और निर्देशित-ऊर्जा हथियार भविष्य की रूपरेखा तैयार करेंगे। हमने ऑपरेशन सिंदूर में भी ऐसा ही एक प्रदर्शन देखा है,”। उन्होंने नवप्रवर्तकों से विद्यमान समाधानों से आगे सोचने और युद्ध को नई परिभाषा देने वाली प्रोद्योगिकियों का विकास करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “हमें प्रौद्योगिकी में न तो नकलची बनना है और न ही अनुयायी, बल्कि हमें विश्व के लिए सृजक और मानक-निर्धारक बनना है।”
स्वदेशीकरण में उल्लेखनीय प्रगति को रेखांकित करते हुए, श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि घरेलू स्रोतों से रक्षा पूंजी अधिग्रहण 2021-22 में 74,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 1.2 लाख करोड़ रुपये हो गया है। उन्होंने इस बदलाव को “केवल एक सांख्यिकीय परिवर्तन नहीं, बल्कि निर्भरता से आत्मविश्वास की ओर मानसिकता में बदलाव” बताया। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार की सार्वजनिक खरीद नीति के तहत, वार्षिक खरीद का कम से कम 25 प्रतिशत सूक्ष्म और लघु उद्यमों (एमएसई) के लिए आरक्षित है और 350 से अधिक वस्तुएं विशेष रूप से उनके लिए निर्धारित की गई हैं। रक्षा मंत्री ने कहा, “रक्षा में भारत की आत्मनिर्भरता एक नारे से आगे बढ़कर एक आंदोलन बन गई है। नीति से व्यवहार तक और नवाचार से प्रभाव तक, यह परिवर्तन हमारे नवप्रवर्तकों, स्टार्टअप्स और युवा उद्यमियों द्वारा संभव बनाया गया है।”
श्री राजनाथ सिंह ने स्टार्टअप्स को ऊंचे मानक स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया और इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत में आज 100 से ज़्यादा यूनिकॉर्न हैं, लेकिन रक्षा क्षेत्र में एक भी नहीं है। उन्होंने स्टार्टअप्स से इस स्थिति को बदलने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “भारत का पहला रक्षा यूनिकॉर्न आपके बीच से निकलना चाहिए। यह न केवल आपके लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात होगी।” उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के इस विजन को दोहराया कि सरकार नवप्रवर्तकों और स्टार्टअप्स के साथ मजबूती से खड़ी रहेगी और विचार से लेकर कार्यान्वयन तक हर कदम पर उनके साथ रहेगी।
रक्षा मंत्री ने पिछले वित्तीय वर्ष में 1.5 लाख करोड़ रुपये के रक्षा उत्पादन और 23,000 करोड़ रुपये से अधिक के निर्यात में रिकॉर्ड-तोड़ उपलब्धियों में योगदान देने वाले नवप्रवर्तकों के सामूहिक प्रयास की सराहना की। उन्होंने कहा, “आप एक ऐसे नए भारत के निर्माता हैं जो अपने लिए डिज़ाइन, विकास और उत्पादन में विश्वास रखता है। आपके द्वारा लाई गई ऊर्जा और नवाचार, प्रधानमंत्री के प्रौद्योगिकीय रूप से आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।”
2018 में आईडेक्स की शुरुआत का स्मरण करते हुए, श्री राजनाथ सिंह ने इसे एक रूपांतरकारी पहल बताया जिसने भारत में रक्षा नवाचार का लोकतंत्रीकरण किया है। उन्होंने कहा कि जब आईडेक्स की शुरुआत हुई थी, तो इसका विचार सरल लेकिन शक्तिशाली था, जिसका उद्देश्य भारत के युवाओं की प्रतिभा को सशस्त्र बलों की प्रौद्योगिकीय आवश्यकताओं से जोड़ना था। उन्होंने कहा, “आज केवल सात वर्षों में, 650 से अधिक आईडेक्स विजेता उभरे हैं और 3,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के प्रोटोटाइप की खरीद सुनिश्चित की गई है। यह भारत के रक्षा नवाचार परिदृश्य में एक क्रांति का प्रतीक है।”
रक्षा मंत्री ने रेखांकित किया कि आईडेक्स से पहले, भारतीय प्रतिभाएं, विशेष रूप से आईटी, दूरसंचार और अंतरिक्ष के क्षेत्र में विश्व स्तर पर उल्लेखनीय योगदान दे रही थीं, लेकिन रक्षा क्षेत्र में उनका कम उपयोग हो रहा था। उन्होंने कहा, “आईडेक्स के माध्यम से, हमने यह सुनिश्चित किया कि भारत की प्रतिभाएं भारत की सुरक्षा के लिए काम करें। आज, यह पहल केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक आंदोलन है जो भारतीय रक्षा विनिर्माण के भविष्य को आकार दे रहा है।”
श्री राजनाथ सिंह ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सरकार ने रक्षा खरीद, उत्पादन और परीक्षण अवसंरचना में सुधारों के माध्यम से स्टार्टअप्स और एमएसएमई की सहायता करने के लिए कई ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। उन्होंने बताया कि उदाहरण के लिए, नई रक्षा खरीद नियमावली (डीपीएम-2025) पांच वर्षों के लिए सुनिश्चित ऑर्डर प्रदान करती है, जिसे पांच वर्षों के लिए और बढ़ाया जा सकता है, जिससे नवप्रवर्तकों को बहुप्रतीक्षित स्थिरता और पूर्वानुमानशीलता मिलती है। उन्होंने कहा कि प्रक्रियाओं को सरल बनाने, परीक्षणों में तेज़ी लाने और नवीन समाधानों के लिए सुनिश्चित खरीद सुनिश्चित करने के लिए रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी) में सुधार जारी हैं।
रक्षा नवाचार इको-सिस्टम को मजबूत करने की प्रतिबद्धता सुनिश्चित करते हुए श्री राजनाथ सिंह ने रेखांकित किया “आईडीईएक्स, प्रौद्योगिकी विकास निधि, रक्षा परीक्षण अवसंरचना योजना और स्व-प्रमाणन प्रावधानों के माध्यम से, हम एक व्यापक ढांचा विकसित कर रहे हैं जहां नवाचार को प्रोत्साहित, समर्थित और बढ़ाया जाता है। हमारा उद्देश्य भारत को न केवल एक रक्षा विनिर्माता, बल्कि विश्व के लिए एक रक्षा नवप्रवर्तक बनाना है।”
ऑपरेशन सिंदूर में अपनी भूमिका के लिए सम्मानित किए गए रेफी एम. फाइबर और ग्रेविटी सिस्टम्स जैसे आईडेक्स विजेताओं की उपलब्धियों की सराहना करते हुए, श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय स्टार्टअप्स द्वारा विकसित नवाचार अब वैश्विक सराहना प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “यह बहुत गर्व की बात है जब हमारे सैनिक भारत की धरती से निर्मित नवाचार की सराहना करते हैं। कई भारतीय स्टार्टअप अब दुबई एयरशो 2025 जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी क्रांतिकारी प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन कर रहे हैं। दुनिया भारत की नवोन्मेषण क्षमता पर ध्यान दे रही है।”
रक्षा मंत्री ने रेखांकित किया कि रक्षा मंत्रालय, स्टार्टअप्स को संपूर्ण सहायता प्रदान करने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग और प्रमुख वित्तीय संस्थानों के साथ रणनीतिक गठजोड़ कर रहा है। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य एक ऐसा इको-सिस्टम बनाना है जहां हर विचार को एक व्यवहार्य उत्पाद के रूप में विकसित होने का और हर प्रोटोटाइप को उत्पादन में विस्तार का अवसर मिले तथा हर नवाचार भारत की रक्षा में योगदान दे।”
श्री राजनाथ सिंह ने बताया कि आत्मनिर्भर भारत के तहत रक्षा विनिर्माण अब निजी निवेश, अनुसंधान एवं विकास तथा रोजगार सृजन के लिए सबसे आशाजनक क्षेत्रों में से एक बन गया है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि एक मज़बूत स्वदेशी रक्षा उद्योग न केवल एक रणनीतिक आवश्यकता है, बल्कि एक आर्थिक गुणक भी है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत की रक्षा नवाचार यात्रा अवधारणा से सृजन और विजन से विजय की ओर निरंतर आगे बढ़ रही है। उन्होंने इस तथ्य पर ज़ोर दिया कि सभी मिलकर भारत को न केवल आत्मनिर्भर बनाएंगे, बल्कि रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैश्विक रूप से अग्रणी भी बनाएंगे। उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत का रक्षा स्टार्टअप इको-सिस्टम देश के सुरक्षित और आत्मनिर्भर भविष्य को आकार देने में निर्णायक भूमिका निभाएगा।
रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग (डीडीपी) के तत्वावधान में आईडेक्स द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में आईडेक्स और अदिति के तहत विकसित अत्याधुनिक रक्षा नवाचारों को दर्शाने वाली करने वाली एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई, जहां रक्षा मंत्री ने नवप्रवर्तकों से परस्पर बातचीत की और उनकी प्रौद्योगिकीय उपलब्धियों की सराहना की। रक्षा स्टार्टअप्स का विस्तार, नवोन्मेषण और उत्पादन को जोड़ना तथा अनुसंधान एवं विकास सहयोग के माध्यम से आत्मनिर्भरता को गति देना जैसे विषयों पर पैनल चर्चाएं और अनुभव-साझाकरण सत्र आयोजित किए गए।
इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत, सचिव (रक्षा उत्पादन) श्री संजीव कुमार के साथ-साथ रक्षा मंत्रालय, रक्षा विकास विभाग, नवप्रवर्तक, स्टार्टअप्स, एमएसएमई, उद्योग जगत के अग्रणी व्यक्ति, सशस्त्र बलों के प्रतिनिधि और विभिन्न रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों के अधिकारी भी उपस्थित थे।
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने विज्ञान भवन में राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर कहा, “रक्षा और सुरक्षा पूरे राष्ट्र की सामूहिक जिम्मेदारी है और रक्षा क्षेत्र को मजबूत करना केवल एक संस्थान या सरकार का कर्तव्य नहीं है, बल्कि सभी भारतीयों का साझा संकल्प है।” ‘देश में रक्षा विनिर्माण के अवसर’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम के तहत, रक्षा मंत्री ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से एक मजबूत, विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी रक्षा विनिर्माण इको-सिस्टम के निर्माण में सक्रिय भागीदार बनने की अपील की।
श्री राजनाथ सिंह ने ज़ोर देकर कहा कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हमारे लिए सिर्फ़ उत्पादन या अर्थव्यवस्था का मामला नहीं है, बल्कि यह सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक स्वायत्तता का मामला है और सीधे तौर पर संप्रभुता से जुड़ा है। उन्होंने रेखांकित किया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, जब देश को मॉक ड्रिल की ज़रूरत थी, सभी राज्य सरकारों और उनकी एजेंसियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने कहा, “यह सब इस बात का प्रमाण है कि जब हम सभी मिलकर किसी लक्ष्य की दिशा में काम करते हैं तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती।”
भारत का बढ़ता रक्षा उद्योग
रक्षा मंत्री ने पिछले दशक में भारत के रक्षा विनिर्माण सैक्टर की अभूतपूर्व वृद्धि पर प्रकाश डाला और कहा कि भारत का रक्षा उत्पादन, जो 2014 में 46,000 करोड़ रुपये से अधिक था, अब 2025 में 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। उन्होंने कहा कि 33,000 करोड़ रुपये से अधिक निजी क्षेत्र से आता है, जो स्पष्ट संकेत है कि उद्योग आत्मनिर्भरता मिशन में एक समान हितधारक बन गया है।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने कहा कि भारत का रक्षा निर्यात 2014 में 1,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2025 में रिकॉर्ड 23,500 करोड़ रुपये हो गया है। उन्होंने रेखांकित किया, “रक्षा उपकरणों के विश्व के सबसे बड़े आयातकों में से एक होने से लेकर रक्षा प्रणालियों के एक विश्वसनीय निर्यातक बनने तक की यह उल्लेखनीय यात्रा हमारे राष्ट्रीय संकल्प का प्रमाण है।”
2029 के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य: आत्मनिर्भर भारत की तेज गति
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन की पुष्टि करते हुए, श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत का लक्ष्य 2029 तक 3 लाख करोड़ रुपये का रक्षा विनिर्माण और 50,000 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात अर्जित करना है। रक्षा मंत्री ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता केवल मेक इन इंडिया या निर्यात के आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उस आत्मविश्वास का विषय है कि संकट के समय में हम अपनी रक्षा के लिए किसी और पर निर्भर नहीं रहेंगे। उन्होंने कहा, “यह हमारे लिए आत्मविश्वास की बात है कि हमारे सशस्त्र बल जिन अस्त्रों का उपयोग करते हैं, वे हमारी अपनी धरती पर निर्मित हैं और हमारे अपने वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की प्रतिभा से सृजित हैं।”
राज्य नीतियों का संग्रह जारी
रक्षा मंत्री ने रक्षा एवं एयरोस्पेस विनिर्माण पर राज्य नीतियों का एक संग्रह जारी किया, जिसमें विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अपनाई गई नीतियों और सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों का समावेश है। श्री राजनाथ सिंह ने इस दस्तावेज़ को केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर नीतिगत संयोजन और समन्वय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
उन्होंने कहा, “यह संकलन उद्योग जगत और नवप्रवर्तकों के लिए एक मार्गदर्शक दस्तावेज़ के रूप में काम करेगा। मैं सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आग्रह करता हूँ कि वे इसका गहराई से अध्ययन करें, इसकी खूबियों को समझें और रक्षा औद्योगिक आधार को मज़बूत करने के लिए सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को लागू करें।” उन्होंने कहा कि यह दस्तावेज़ रक्षा निवेश आकर्षित करने के लिए राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा और सहयोग को बढ़ावा देगा।
विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत और बुनियादी ढांचे में सुधार
श्री राजनाथ सिंह ने रक्षा क्षेत्र में कारोबार में सुगमता को बढ़ावा देने के लिए किए गए व्यापक सुधारों के बारे में विस्तार से बताया, जिसमें स्व-प्रमाणन के माध्यम से सरलीकृत गुणवत्ता आश्वासन समयसीमा, परीक्षण सुविधाओं तक राष्ट्रव्यापी पहुंच प्रदान करने वाला एक केंद्रीकृत रक्षा परीक्षण पोर्टल तथा रक्षा परीक्षण अवसंरचना योजना (डीटीआईएस) शामिल है, जो सरकारी सहायता से आधुनिक परीक्षण और प्रमाणन केंद्रों के निर्माण में सहायता करती है।
उन्होंने कहा कि मंत्रालय निवेश, प्रौद्योगिकी समावेशन और नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी) 2020, रक्षा खरीद नियमावली (डीपीएम) 2025, रक्षा ऑफसेट नीति और रक्षा निवेशक प्रकोष्ठ जैसे ढांचों को निरंतर परिष्कृत कर रहा है। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय के सुधार केवल नियामकीय उपाय नहीं हैं, बल्कि अवसर प्रदान करने वाले भी हैं।
प्रौद्योगिकी और नवोन्मेषण की शक्ति का उपयोग
रक्षा मंत्री ने ज़ोर देकर कहा, “आधुनिक युद्ध केवल अस्त्रों पर ही आधारित नहीं है, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, रोबोटिक्स, क्वांटम कंप्यूटिंग, साइबर और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के प्रभाव पर भी आधारित है। हमें अत्याधुनिक तकनीक में वास्तविक निवेश से कहीं ज़्यादा बौद्धिक निवेश करना होगा।” उन्होंने कहा कि राष्ट्र को एक ऐसे नए भारत के निर्माण के लिए पारंपरिक शक्ति को आधुनिक नवाचार के साथ जोड़ना होगा जो विश्व स्तरीय रक्षा प्रणालियों का डिज़ाइन, विकास और उत्पादन करे।
एमएसएमई के लिए डिजिटल परिवर्तन और सहायता
मंत्रालय की डिजिटल पहलों पर प्रकाश डालते हुए, श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सृजन-दीप (रक्षा प्रतिष्ठान एवं उद्यमी मंच) पोर्टल को भारतीय रक्षा उद्योगों और उनके उत्पादों की विशेषज्ञता का मानचित्रण करने वाले एक डिजिटल संग्रह के रूप में विकसित किया गया है। उन्होंने रक्षा निर्यात और आयात से संबंधित प्राधिकरणों को सुव्यवस्थित करने के लिए एकल-खिड़की प्लेटफ़ॉर्म, रक्षा एक्ज़िम पोर्टल का भी शुभारंभ किया।
एमएसएमई और स्टार्ट-अप के लिए तरलता और कार्यशील पूंजी के मुद्दे पर, श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मंत्रालय उद्योगों की सहायता करने के लिए स्वचालित नकदी प्रबंधन उपकरण विकसित कर रहा है और बिल प्रसंस्करण और भुगतान प्रणालियों को सरल बना रहा है।
समावेशी सुधार और कल्याणकारी पहल
रक्षा मंत्री ने रेखांकित किया कि मंत्रालय के सुधारों में विनिर्माण से कहीं आगे बढ़कर सामाजिक, अवसंरचनात्मक और शैक्षिक पहलू भी शामिल हैं। उन्होंने नारी शक्ति पहल का उल्लेख किया जिससे सशस्त्र बलों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ रहा है, रक्षा अनुसंधान एवं विकास बजट का 25 प्रतिशत उद्योग, एमएसएमई, स्टार्ट-अप और शिक्षा जगत के लिए आवंटित किया गया है और सीमावर्ती अवसंरचना को बढ़ाने के लिए सीमा सड़क संगठन के बजट का विस्तार किया गया है। उन्होंने 33 विद्यमान सरकारी स्कूलों के अतिरिक्त, साझेदारी मॉडल के तहत 100 नए सैनिक स्कूलों को स्वीकृति दिए जाने का भी उल्लेख किया और इन्हें ऐसा संस्थान बताया जो “छोटी उम्र से ही अनुशासन, नेतृत्व और देशभक्ति की भावना का निर्माण करते हैं।”
श्री राजनाथ सिंह ने रेखांकित किया कि सरकार ने पिछले 10-11 वर्षों में रक्षा सेक्टर में कई नीतिगत सुधार किए हैं। उन्होंने कहा कि रक्षा उत्पादन में स्वदेशी सामग्री को बढ़ावा देना और रक्षा निवेश में तेज़ी लाना इन प्रयासों का केंद्र बिंदु रहा है। उन्होंने कहा, “चाहे वह आईडेक्स पहल हो, रक्षा गलियारों की स्थापना हो या रक्षा निर्माण में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देना हो, ये सभी कदम इसी दिशा में उठाए गए हैं।”
रक्षा भूमि प्रबंधन पर समन्वय
रक्षा मंत्री ने रक्षा भूमि से संबंधित मामलों पर केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर समन्वय की अपील की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि रक्षा भूमि पर जनोपयोगी परियोजनाओं के लिए राज्यों के प्रस्तावों को सुगम बनाने हेतु एक ऑनलाइन पोर्टल आरंभ किया गया है। उन्होंने राज्यों से इस प्लेटफॉर्म का कुशलतापूर्वक उपयोग करने और आवश्यकतानुसार बदले में समान भूमि उपलब्ध कराने में तेजी लाने का आग्रह किया। श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि लगभग 18 लाख एकड़ रक्षा भूमि विभिन्न राज्यों में स्थित है, जिससे स्थानीय विवादों को रोकने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए समन्वित प्रबंधन आवश्यक हो जाता है।
राष्ट्रीय सम्मेलन 2025 के बारे में
एयरोस्पेस और रक्षा सेक्टर के लिए राज्यों की नीति संकलन
भारत का लक्ष्य केंद्र और राज्य सरकारों दोनों की सक्रिय भागीदारी के साथ, एयरोस्पेस और रक्षा (एएंडडी) विनिर्माण के लिए विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी और आत्मनिर्भर केंद्र बनना है। इसे समर्थन देने के लिए, रक्षा उत्पादन विभाग (डीडीपी) ने सभी 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल करते हुए एक संग्रह तैयार किया है। यह संग्रह एएंडडी, औद्योगिक, एमएसएमई, स्टार्टअप, एएंडडी, निर्यात और लॉजिस्टिक्स नीतियों सहित राज्य-स्तरीय नीतियों को समेकित करता है। यह राजकोषीय प्रोत्साहन, अवसंरचना में सहायता, व्यापार सुधारों को सुगम बनाने और नीति कार्यान्वयन तंत्रों के बारे में भी जानकारी प्रदान करता है। एक रणनीतिक ज्ञान संसाधन के रूप में कार्य करते हुए, यह राष्ट्रीय उद्देश्यों और राज्य की कार्रवाइयों के बीच संयोजन की सुविधा प्रदान करता है, क्रॉस-लर्निंग को बढ़ावा देता है और विकसित भारत-2047 के विजन का समर्थन करते हुए प्रौद्योगिकी अपनाने, बुनियादी ढांचे के विकास और कौशल विकास में पहलों पर प्रकाश डालता है।
आईडेक्स कॉफ़ी टेबल बुक: नवोन्मेषण के साझा क्षितिज
यह पुस्तक भारत की प्रमुख रक्षा नवाचार पहल – आईडेक्स – की यात्रा का एक संकलित संकलन है। यह रचनात्मकता और समस्या-समाधान की उस भावना को प्रस्तुत करती है जिसे स्टार्टअप्स, एमएसएमई, शिक्षा जगत और व्यक्तिगत नवप्रवर्तकों ने राष्ट्रीय रक्षा एवं सुरक्षा परिदृश्य में समावेशित किया है।
एयरोइंडिया 2025 के दौरान रक्षा मंत्री द्वारा जारी आईडीईएक्स कॉफी टेबल बुक के पिछले संस्करण का विस्तार करते हुए, यह खंड उन नवाचारों/प्रौद्योगिकियों पर प्रकाश डालता है जो न केवल सशस्त्र बलों की महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, बल्कि व्यापक औद्योगिक/वाणिज्यिक अनुप्रयोगों की भी क्षमता रखते हैं, जिन्हें अन्य हितधारक अपनी मौजूदा और उभरती जरूरतों के लिए उपयुक्त मान कर अपना सकते हैं।
पुनर्निर्मित रक्षा निर्यात-आयात पोर्टल
यह पोर्टल संपूर्ण आवेदन प्रक्रिया, स्वचालित कंपनी सत्यापन, सरलीकृत पंजीकरण, ओजीईएल फाइलिंग, रीयल-टाइम ट्रैकिंग और सुरक्षित भुगतान एकीकरण को सक्षम बनाता है। लाइसेंस प्राप्त रक्षा उद्योगों के लिए सुरक्षा नियमावली (एसएमएलडीआई) के अंतर्गत अद्यतन मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) और अनुपालन सुविधाओं के अनुरूप निर्मित, यह पोर्टल पारदर्शिता, दक्षता और नियामक अनुपालन को बढ़ाता है, साथ ही आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के लक्ष्यों को भी समर्थन प्रदान करता है, जिससे भारत रक्षा निर्माण और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित होता है।
सृजन दीप: रक्षा प्रतिष्ठान और उद्यमी मंच
भारतीय रक्षा उद्योगों की शक्तियों और क्षमताओं को दर्शाने के उद्देश्य से, यह पोर्टल:
- उद्योग संघों के लिए डिजिटल निर्देशिका के रूप में कार्य करना ताकि वे संभावित साझेदारों और सहयोगियों की सरलता से पहचान कर सकें
- घरेलू क्षमताओं की सरल पहचान, त्वरित निर्णय लेने में सक्षम बनाने और कागजी कार्रवाई में कमी लाएगा
- विनिर्माताओं, एमएसएमई, स्टार्टअप्स और आपूर्तिकर्ताओं के एक व्यापक डेटाबेस के रूप में कार्य करेगा
- व्यापक उद्योग आधार तक पहुंच प्रदान करेगा, आपात स्थिति के दौरान संसाधनों का एकत्रीकरण तथा डीपीएसयू की आवश्यकताओं के साथ क्षमताओं का संयोजन करेगा
- प्रदर्शनियों में भागीदारी बढ़ाएगा, व्यावसायिक अवसरों में वृद्धि करेगा तथा उद्योग संघों को साझेदारों की पहचान करने, नीतियों की पक्षधरता करने और सूचना का प्रसार करने का अवसर प्रदान करेगा
- इसके उद्देश्यों में आपूर्ति श्रृंखला की निर्बलताओं को कम करना, रणनीतिक स्वायत्तता और राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ करना और आत्मनिर्भर भारत पहल का समर्थन करना शामिल है। इसे रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों, डीआरडीओ, रक्षा विभाग की सेवाओं और उद्योग संघों से एकत्रित किया जाता है। प्रत्येक उद्योग को अपडेट और ट्रैकिंग के लिए एक विशिष्ट संदर्भ संख्या (यूआरएन) दी जाती है।
देश में रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए रक्षा उत्पादन विभाग द्वारा की जा रही विभिन्न पहलों के बारे में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जागरूक करने के लिए रक्षा मंत्रालय के डीडीपी द्वारा यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस अवसर पर प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी, थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, सचिव (रक्षा उत्पादन) श्री संजीव कुमार, सचिव डीडीआरएंडडी एवं डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत, रक्षा मंत्रालय, केंद्र एवं राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
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