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छत्रपति शाहू जी महाराज को यातनाएं देने वाले औरंगजेब का सपा कर रही महिमामंडन, अखिलेश का फुल स्पोर्ट

पीडीए की बात करने वाली सपा का दोहरा चरित्र आया सामने.महाराष्ट्र में सपा विधायक अबु आजमी द्वारा औरंगजेब के महिमामंडन के बाद चहुंओर से घिरी सपा.मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी को खूब सुनाई खरी-खोटी.जिस औरंगजेब को उसके पिता ने धिक्कारा, सपाई कर रहे उसका गुणगान.

  • शाहू जी को यातनाएं देने वाले औरंगजेब का ‘गुणगान’ बन सकता है सपा के गले की फांस
  • क्रूर, दुर्दांत और धर्मान्ध औरंगजेब को महान प्रशासक बताने वाले नेता का सपोर्ट कर रहे अखिलेश यादव
  • सपा के इस रुख से शाहू जी महाराज को अपना प्रेरणास्रोत मानने वाले दलित समाज में बढ़ सकता है आक्रोश

लखनऊ । दलितोद्धार के प्रणेता और महान मराठा साम्राज्य के 5वें छत्रपति शाहू जी महाराज को कैद कर के यातनाएं देने वाले मुगल बादशाह औरंगजेब का महिमामंडन समाजवादी पार्टी को महंगा पड़ सकता है। एक तरफ पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) का चुनावी जुमला फेंकने वाली सपा अब क्रूर, दुर्दांत और धर्मान्ध मुगल बादशाह औरंगजेब के समर्थन में खड़ी दिख रही है। सपा का ये दोहरा चरित्र अब सवालों के घेरे में आ गया है।

योगी ने सुनाई खूब खरी-खरी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को विधान परिषद में समाजवादी पार्टी के इस दोहरे चरित्र को बेनकाब करते हुए तीखा हमला बोला है। उन्होंने सपा पर आरोप लगाया कि एक तरफ वह “पीडीए” (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ मुगल बादशाह औरंगजेब की प्रशंसा करती है। यह विवाद तब गरमाया जब सपा के महाराष्ट्र विधायक अबू आज़मी ने औरंगजेब को ‘महान प्रशासक’ करार दिया, और तो और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनका समर्थन किया।

दलितों के मसीहा शाहू जी महाराज, जिन्हें औरंगजेब ने दी थी यातनाएं

छत्रपति शाहूजी महाराज का जन्म 18 मई 1682 को गंगावाली किले, मानगांव में हुआ था। वे मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज के पोते और छत्रपति संभाजी महाराज के पुत्र थे। मात्र सात वर्ष की आयु में, औरंगजेब ने उन्हें और उनकी माता येसूबाई को बंदी बना लिया था। औरंगजेब ने उन्हें ताउम्र जेल में रखने का आदेश दिया था, जहां उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। 1707 में औरंगजेब की मृत्यु के बाद ही शाहूजी को रिहाई मिली। अपनी रिहाई के बाद, उन्होंने अपने शासनकाल को सामाजिक सुधारों के लिए समर्पित कर दिया, जिसके कारण दलित समाज उन्हें अपना रोल मॉडल मानता है।

शाहूजी महाराज ने जातिवाद और अस्पृश्यता को खत्म करने के लिए कई क्रांतिकारी कदम उठाए। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त और अनिवार्य किया, साथ ही माता-पिता पर बच्चों को स्कूल न भेजने के लिए जुर्माना लगाया। बलूतदारी और वतनदारी जैसी शोषणकारी प्रथाओं को समाप्त कर उन्होंने दलितों को सम्मानजनक जीवन दिया। महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए भी उनके कानून ऐतिहासिक रहे।

अत्याचारी औरंगजेब के साथ समाजवादी पार्टी

औरंगजेब का इतिहास अत्याचारों से भरा पड़ा है। उसके अपने पिता शाहजहां ने अपनी जीवनी में लिखा, “मेरे बेटे औरंगजेब ने मुझे कैद कर पानी के लिए तरसा दिया, जबकि हिन्दू इससे बेहतर हैं, जो जीते-जी माता-पिता की सेवा करते हैं और मरने के बाद भी उन्हें जल देते हैं।” समाजवादी पार्टी के नेता द्वारा ऐसे क्रूर शासक की प्रशंसा करना कहीं न कहीं छत्रपति शाहूजी महाराज जैसे समाज सुधारक के योगदान का अपमान है।

सपा का दोहरापन,  शाहूजी महाराज के संघर्ष और बलिदान का अपमान

सवाल ये उठ रहा है कि जो लोग शाहूजी महाराज को कैद करने वाले औरंगजेब को महान बताते हैं, वे दलितों और महिलाओं के हितैषी कैसे हो सकते हैं? सपा का यह दोहरा चरित्र जनता के सामने बेपर्दा हो गया है। अबू आज़मी के बयान और अखिलेश यादव के समर्थन को शाहूजी महाराज के संघर्ष और बलिदान का अपमान ही कहा जाएगा। ऐसा लग रहा है कि सपा औरंगजेब के अत्याचारों को भुलाकर केवल वोट बैंक की राजनीति करना चाहती है।

जनता में बढ़ सकता है आक्रोश

शाहूजी महाराज को अपना प्रेरणास्रोत मानने वाले दलित समाज में सपा के इस रुख से नाराजगी बढ़ने लगी है। यह विवाद उत्तर प्रदेश की सियासत में एक नया मोड़ ला सकता है। साफ है कि यह मुद्दा आने वाले दिनों में राजनीतिक गलियारों में गूंजता रहेगा।

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