जेएनसीएएसआर के वैज्ञानिकों ने विकसित किया ‘प्राकृतिक उत्पाद आधारित अल्जाइमर अवरोधक’
नई दिल्ली । भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अधीनस्थ स्वायत्त संस्थान जवाहरलाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र (जेएनसीएएसआर) के वैज्ञानिकों ने बर्बेरिन की संरचना को बेर-डी में बदल दिया है, ताकि इसका उपयोग अल्जाइमर के अवरोधक के रूप में किया जा सके। बर्बेरिन दरअसल करक्यूमिन के समान ही एक प्राकृतिक और सस्ता उत्पाद है जो व्यावसायिक तौर पर उपलब्ध है। इन वैज्ञानिकों का शोध कार्य विज्ञान पत्रिका ‘आईसाइंस’ में प्रकाशित किया गया है।
अल्जाइमर रोग ही सबसे अधिक होने वाला तंत्रिका अपक्षयी (न्यूरोडीजेनेरेटिव) विकार है और मनोभ्रंश (डिमेंशिया) के 70% से भी अधिक मामलों के लिए यही जिम्मेदार होता है। बहुआयामी विषाक्तता की वजह से इस रोग का स्वरूप बहुघटकीय होने के कारण शोधकर्ताओं के लिए इसकी कोई अत्यंत कारगर दवा विकसित करना काफी मुश्किल हो गया है।
जेएनसीएएसआर के एक स्वर्ण जयंती फेलो प्रो. टी. गोविंदाराजू ने अल्जाइमर रोग के लिए प्राकृतिक उत्पाद आधारित चिकित्सीय सामग्री की खोज करने के लिए अपनी टीम का नेतृत्व किया और भारत एवं चीन में पाए जाने वाले आइसोक्विनोलीन प्राकृतिक उत्पाद बर्बेरिन का चयन किया और इसका उपयोग पारंपरिक चिकित्सा एवं अन्य अनुप्रयोगों में किया। हालांकि, बर्बेरिन आसानी से नहीं घुलता है और कोशिकाओं के लिए विषाक्त है। यही कारण है कि उन्होंने बर्बेरिन को बेर-डी में संशोधित कर दिया या बदल दिया, जो एक घुलनशील (जलीय) ऑक्सीकरण रोधी है। उन्होंने इसे अल्जाइमर रोग की बहुआयामी अमाइलॉयड विषाक्तता का एक बहुक्रियात्मक अवरोधक पाया।
प्रोटीन संयोजन और अमाइलॉइड विषाक्तता ही मुख्य रूप से तंत्रिका कोशिकाओं में पाई जाने वाली बहुआयामी विषाक्तता के लिए जिम्मेदार होते हैं। जेएनसीएएसआर की टीम ने जीवित कोशिकाओं में बहुआयामी विषाक्तता को दूर करने के लिए ही इस बहुक्रियाशील अवरोधक को विकसित किया है।
बेर-डी की संरचनात्मक विशेषताएं ऐसी हैं कि वे प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन प्रजातियों (आरओएस) के सृजन को रोकती हैं और आक्सीकरणीय क्षति से बड़े जैविक अणुओं (बॉयोमैक्रोमॉलिक्यूल्स) को बचाती हैं। बेर-डी धातु-निर्भर और धातु-स्वतंत्र अमाइलॉइड बीटा (Aβ) के एकत्रीकरण को रोकता है (जो अल्जाइमर रोग वाले लोगों के दिमाग में पाई जाने वाली अमाइलॉइड पट्टिका के मुख्य घटक के रूप में अल्जाइमर रोग में महत्वपूर्ण रूप से शामिल एमिनो एसिड के पेप्टाइड हैं)।
इस टीम ने अल्जाइमर रोग की बहुआयामी Aβ विषाक्तता को प्रभावकारी रूप से लक्षित करने के लिए ही बेर-डी को विकसित किया। बर्बेरिन में 4 फेनोलिक हाइड्रॉक्सिल समूह होते हैं जो मिथाइलयुक्त होते हैं, इसलिए पानी में अघुलनशील होते हैं। जल में घुलनशील पॉलीफेनोलिक व्युत्पन्न बेर-डी प्राप्त करने के लिए प्राकृतिक उत्पाद बर्बेरिन का विमेथिलिकरण (डीमिथाइलेशन) किया गया था। डीमिथाइलेशन अभिकर्ता बीबीआर3 (बोरॉन ट्राईब्रोमाइड) से बर्बेरिन का विमेथिलिकरण करने से बेर-डी प्राप्त हुआ। विस्तृत अध्ययनों से पता चला कि बेर-डी ने अल्जाइमर रोग की Aβ विषाक्तता को नियंत्रित किया।
ऑक्सीकरण रोधी बेर-डी कुशलतापूर्वक प्रतिक्रियाशील नाइट्रोजन प्रजातियों (आरएनएस) और प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन प्रजातियों (आरओएस) दोनों को ही शांत करता है और डीएनए की क्षति तथा प्रोटीन के ऑक्सीकरण को रोकता है। बेर-डी विषाक्त Aβ फाइब्रिलर के संयोजन को बनने से रोकता है और सूत्रकणिका को शिथिलता से बचाता है, जो तंत्रिका कोशिकाओं के नष्ट होने का एक प्रमुख कारण है। वैज्ञानिकों ने बर्बेरिन को कृत्रिम रूप से बेर-डी, जो एक बहुक्रियाशील ऑक्सीकरण रोधी होने के साथ-साथ संयोजन को व्यवस्थित भी करता है, में बदलने की जो डिजाइन रणनीति बनाई है वह कृत्रिम परिवेश और जीवित कोशिकाओं दोनों में ही Aβ विषाक्तता को प्रभावकारी ढंग से दूर करती है।
ये बहुक्रियाशील विशेषताएं बेर-डी को अल्जाइमर रोग की बहुआयामी विषाक्तता के इलाज के लिए प्रभावकारी चिकित्सा सामग्री विकसित करने की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी बनाती हैं।