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अफगानिस्तान के लोगाें तक मानवीय सहायता बिना किसी बाधा, बिना राजनीति के पहुंचे: जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि भारत ने अफगानिस्तान को 50,000 टन गेहूं की आपूर्ति की पेशकश की है और रूस-भारत-चीन (आरआईसी) देशों से यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया है जिससे अफगानिस्तान के लोगों तक मानवीय सहायता ‘बिना किसी बाधा और राजनीति के’ पहुंचे।श्री जयशंकर की यह टिप्पणी उस समय आयी जब पाकिस्तान ने भारत से अफगानिस्तान में 50,000 टन गेहूं और दवाओं को ले जाने वाले ट्रकों के मार्ग को अवरुद्ध किया और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात के शीर्ष अधिकारियों के व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करने के बाद ही ट्रकों को गुजरने की अनुमति देने पर सहमत हुआ है।

श्री खान ने कहा कि वह भारत की ओर से भेजी गई इस खेप को ‘असाधारण आधार’ पर यहां से गुजरने देंगे।श्री जयशंकर ने आरआईसी के विदेश मंत्रियों की बैठक की 18वीं बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि आईआईसी देशों को आतंकवाद, कट्टरपंथ और मादक पदार्थों की तस्करी के खतरों को देखते हुए अपने-अपने दृष्टिकोण से समन्वय स्थापित करने की जरूरत है। यह इस संदर्भ में भी स्पष्ट है कि पड़ोसी देश चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों को नामित करने के लिए भारत के अनुरोध पर रोक लगाने का प्रयास करता रहा है और हमेशा पाकिस्तान का पक्षधर रहा है।

विदेश मंत्री ने भारत के ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ के प्रस्ताव को भी दोहराया, जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले महीने जी-20 शिखर सम्मेलन में और बहुपक्षीय सुधार के लिए रेखांकित किया था। अफगानिस्तान के बारे में उन्होंने कहा कि भारत अफगानिस्तान का पड़ोसी है और लंबे समय से अफगानिस्तान से अच्छे रिश्ते रहे हैं तथा वहां की हालिया घटनाओं, विशेषकर अफगान लोगों की पीड़ा के बारे में भारत बहुत चिंतित है।

श्री जयशंकर ने भारत की अध्यक्षता में 30 अगस्त को पारित प्रस्ताव का जिक्र करते हुए कहा,“ भारत अफगानिस्तान में एक समावेशी और प्रतिनिधि सरकार के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 के अन्य प्रावधानों का भी समर्थन करता है।”उन्होंने कहा, “अफगानिस्तान के लोगों की भलाई के लिए भारत ने अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप, सूखे की स्थिति से निपटने के लिए अफगानिस्तान को 50 हजार टन गेहूं की आपूर्ति की पेशकश की है। आरआईसी देशों को यह सुनिश्चित करने के लिए एक साथ मिलकर काम करने की जरूरत है, ताकि मानवीय सहायता बिना किसी रुकावट और राजनीतिकरण के अफगान के लोगों तक पहुंचे। साथ ही इस पर आईआईसी देशों को आतंकवाद, कट्टरपंथ और मादक पदार्थों की तस्करी के खतरों को देखते हुए अपने-अपने दृष्टिकोण से समन्वय स्थापित करने की जरूरत है।

”विदेश मंत्री ने कोविड-19 महामारी ने ‘एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य’ की आवश्यकता गौर करने के लिए कहा। महामारी सहित वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों के लिए समय पर, पारदर्शी, प्रभावी और गैर-भेदभावपूर्ण अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया, दवाओं और महत्वपूर्ण स्वास्थ्य आपूर्ति के लिए समान और सस्ती पहुंच हो, इस पर भी प्रकाश डाला।उन्होंने कहा कि भारत ने जनवरी में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक अस्थायी सदस्य के रूप में शामिल होने के बाद से अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों के पारस्परिक मुद्दाें को समाधान खोजने में सक्रिय भूमिका निभाई है। श्री जयशंकर ने कहा,“ हम मानते हैं कि राष्ट्रों की संप्रभु समानता और अंतरराष्ट्रीय कानून और समकालीन वास्तविकताओं के सम्मान के आधार पर एक बहु-ध्रुवीय और पुन: संतुलित दुनिया में बहुपक्षीय सुधार की जरूरत है। ”बैठक के बाद विदेश मंत्री अगले एक साल के लिए पीपुल्स रिपब्लिक चीन के विदेश मंत्री को आरआईसी की अध्यक्षता सौंपेंगे।

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