
बिहार-कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सहित रघुवंश प्रसाद सिंह सहित पांच एमएलसी ने भी राजद छोड़ी
बिहार में विधानसभा चुनाव पूर्व विपक्ष को बड़ा सदमा
अजीत मिश्र
पटना।बिहार में विपक्ष के लिये आज का दिन हृदयाघात लगने जैसा रहा।जहाँ एक तरफ पांच विधान परिषद सदस्यों ने राजद से इस्तीफा दे दिया वहीं राजद के पुराने साथी कद्दावर नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबू रघुवंश प्रसाद सिंह ने भी पार्टी से आज अचानक इस्तीफा दे दिया।विधानसभा चुनाव के पूर्व बिहार के राजनीतिक गलियारों की यह बड़ी खबर है।पार्टी में बड़ी टूट हुई है। राष्ट्रीय जनता दल के कई विधान पार्षदों ने एक साथ पार्टी छोड़ दी है।सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पार्टी के एमएलसी संजय प्रसाद, कमरे आलम, राधाचरण सेठ, रणविजय सिंह और दिलीप राय ने आरजेडी छोड़ दी है।पार्टी से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने भी इस्तीफा दे दिया हैं।बताते हैं कि रघुवंश प्रसाद सिंह रामा सिंह के आरजेडी में लाने के कारण नाराज चल रहे थे।उन्होंने पार्टी को यह पहले ही बता भी दिया था कि या तो आरजेडी में रघुवंश प्रसाद रहेंगे या रामा सिंह रहेंगे।पार्टी छोड़नेवालों ने वंशवाद की राजनीति और तेजस्वी के नेतृत्व पर भी सवाल उठाये हैं।
पांचों एमएलसी के इस्तीफे की पुष्टि विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने भी कर दी है।पांचों नेता अब नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू में शामिल होंगे।इस्तीफा देने वाले सभी (एमएलसी) लालू प्रसाद यादव के करीबी बताए जाते हैं।यह सभी आरजेडी की मौजूदा वंशवाद की राजनीति और तेजस्वी यादव के नेतृत्व से परेशान थे।दरअसल, 7 जुलाई को विधान परिषद की 9 सीटों पर चुनाव होने वाले हैं। आरजेडी की ओर से तेज प्रताप यादव को प्रत्याशी बनाया जा सकता है।आरजेडी के पास मौजूद विधायकों की संख्या के आधार पर 9 में से तीन सीटों पर उसकी जीत पक्की है।ऐसे में तेज प्रताप यादव की भी जीत पक्की है।तेज प्रताप यादव को विधान परिषद भेजे जाने से कई नेता नाराज हैं।इन्हीं नाराज नेताओं में 5 विधान परिषद सदस्य भी हैं, जिन्होंने आज पार्टी छोड़ दी है।विधानसभा चुनाव से पहले होने वाले विधान परिषद के चुनाव को सेमीफाइनल माना जा रहा है।9 एमएलसी सीटें विधानसभा सदस्यों की संख्या के आधार पर चुनी जानी हैं।ऐसे में एक विधान परिषद के लिए 27 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी। इस तरह से तीन आरजेडी और एक कांग्रेस का सदस्य चुना जाना तय है।विधान परिषद की जिन 9 सीटों पर चुनाव होने वाले हैं, उनका कार्यकाल मई के पहले सप्ताह में पूरा हो गया है।मंत्री अशोक चौधरी, विधान परिषद के कार्यकारी सभापति हारुण रसीद, हीरा प्रसाद बिंद, पीके शाही, सतीश कुमार, सोनेलाल मेहता, कृष्ण कुमार सिंह, राधामोहन शर्मा और संजय प्रकाश का भी कार्यकाल अब पूरा हो गया है।हालाकि पांच एमएलसी के पार्टी छोड़ने से पार्टी को झटका तो लगा ही है लेकिन सबसे बड़ा झटका रघुवंश प्रसाद सिंह का पार्टी छोड़ना है।रघुवंश बाबू पार्टी के गठन के समय से हीं राजद के साथ खड़े रहे।उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी कभी पार्टी छोड़ने की नहीं सोंची।पार्टी समर्थकों का कहना है कि रघुवंश बाबू के पार्टी छोड़ने से कटिकर्ताओं के मनोबल पर असर पड़ेगा।फिलहाल लालू प्रसाद के दोनों लड़के तेजप्रताप और तेजस्वी राबड़ी निवास पहुंचकर प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के साथ पार्टी में टूट पर गम्भीर मंथन कर रहे हैं।वहीं राजद के विधायकों में भी देर सबेर टूट की उड़ती खबर पर पार्टी सकते में है।