
सीएम सिटी में जब आसमान से बरसते रंग के रंग में रंग जाती है सड़क
उड़ते अबीर-गुलाल से हवा भी हो जाती है रंगीन. लोग ही रथ को खींचते हैं और आगे-पीछे होते हैं हजारों लोग.
- रथ पर सवार गोरक्षपीठाधीश्वर करते हैं रंगभरी होलिकोत्सव शोभायात्रा की अगुवाई
बात होली की हो,तो बरबस ही राधे की बरसाने के रंगोत्सव के तहत आयोजित लड्डू और लट्ठमार होली की याद आ जाती। रंगोत्सव के दौरान जिस तरह पूरे ब्रज क्षेत्र में होली की मस्ती छाई रहती है,उसके मद्देनजर चर्चा होनी ही चाहिए। इस साल तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बरसाने की लड्डू होली में भागकर वहीं के नहीं हर जगह की होली के रंग को और चटक कर दिया।
सुर्खियां भले बरसाने की होली बने,पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर में उनकी ही अगुआई में होने वाली होली भी खुद में कम नहीं। जिसने इसे देखा। इसमें शामिल हुआ है, वही इसके आनंद का अहसास कर सकता है। खास बात यह है राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नानाजी देशमुख द्वारा डाली गई इस परंपरा की अगुआई वही गोरक्षपीठ करती है,जिसके पीठाधीश्वर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं।
लगता है आसमान से रंग बरस रहा है,और हवा में गुलाल घुल गया
जब होली का जुलूस निकलता है तब लगता है आसमान से रंगों की बारिश हो रही है और हवा में अबीर-गुलाल घुल गया है। तब हवा अबीर- गुलाल के रंग में और सड़कें छतों से बरस रहे रंगों के रंग में रंग जाती हैं। लोग तो रंगे होते ही हैं। यूं कह लें कि रंगों से सराबोर।
होली के दिन सुबह करीब 8 बजे से दोपहर तक करीब 6 से 7 किलोमीटर तक की दूरी पर जहां से शोभायात्रा गुजरती है गोरखपुर की उन सड़कों पर यही मंजर होता है। इसकी कल्पना वही कर सकता है जो होली की इस शोभायात्रा में शामिल हुआ हो, या जिसने इसे देखा हो। रथ पर सवार गोरक्षपीठाधीश्वर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। रथ के आगे-पीछे रंग और गुलाल में सराबोर हजारों लोग।
वाकई में यह दृश्य खुद में अनूठा है। उल्लास और उमंग के लिहाज से यह लगभग वृंदावन की बरसाने या कहीं की भी नामचीन होली जैसा ही होता है। मुख्यमंत्री बनने के बाद सुरक्षा संबंधी कारणों से योगी अब पूरी यात्रा में शामिल नहीं होते लेकिन शुभारंभ उनकी ही अगुवाई में होता है। उनकी उपस्थिति में शाम को गोरखनाथ मंदिर में होली मिलन कार्यक्रम भी होता है।
गोरखपुर की इस होली का नाम है, “भगवान नरसिंह की रंगभरी शोभायात्रा”। परंपरा के अनुसार होली के दिन रथ पर सवार होकर इस शोभायात्रा का नेतृत्व गोरक्षपीठाधीश्वर करते हैं। गोरक्षपीठ उत्तराधिकारी और अब पीठाधीश्वर के रूप में योगी आदित्यनाथ वर्षों से इसकी अगुवाई करते रहे हैं।
वैश्विक महामारी कोरोना के दो साल को अपवाद मान लें तो मुख्यमंत्री बनने के बाद भी योगी इस परंपरा को निभाते रहे हैं। रथ को लोग खींचते हैं और रथ के आगे-पीछे हजारों की संख्या में लोग शामिल होते हैं। जिस रास्ते से ये रथ गुजरता है। वहां छत से महिलाएं और बच्चे गोरक्षपीठाधीश्वर और यात्रा में शामिल लोगों पर रंग-गुलाल फेंकते हैं। बदले में इधर से भी उन पर भी रंग-गुलाल फेंका जाता है।
नानाजी ने डाली थी होली की यह अनूठी परंपरा
अनूठी होली की यह परंपरा करीब सात दशक पहले नानाजी देशमुख ने डाली थी। बाद में “नरसिंह शोभायात्रा” की अगुवाई गोरखनाथ मंदिर के पीठाधीश्वर या पीठ के उत्तराधिकारी या पीठाधीश्वर करने लगे। स्थानीय लोगों के मुताबिक साहबगंज स्थित घंटाघर से इसकी शुरुआत 1944 में हुई थी। शुरू में गोरखपुर की परंपरा के अनुसार इसमें कीचड़ का ही प्रयोग होता है। हुड़दंग अलग से। अपने गोरखपुर प्रवास के दौरान नानाजी देशमुख ने इसे यह नया स्वरूप दिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सक्रिय भागीदारी से इसका स्वरूप बदला, साथ ही लोगों की भागीदारी भी बढ़ी।
घंटाघर से शुरू होती है रंग भरी होली यात्रा
होली के दिन भगवान नरसिंह की शोभायात्रा घंटाघर चौराहे से शुरू होती है। जाफराबाजार, घासीकटरा, आर्यनगर, बक्शीपुर, रेती चौक और हिंदी बाजार होते हुए घंटाघर पर ही जाकर समाप्त होती है। होली के दिन की इस शोभायात्रा से एक दिन पहले पांडेयहाता से होलिका दहन शोभायात्रा निकाली जाती है। इसमें भी गोरक्षपीठाधीश्वर परंपरागत रूप से शामिल होते हैं। यहां वह फूलों की होली खेलते हैं और एक सभा को भी संबोधित करते हैं। इस साल महाकुंभ के सफल आयोजन के बाद इसका रंग और चटक होगा।
साल (2022) योगी की अगुआई में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में रिकॉर्ड जीत के बाद होने वाले होली के इस आयोजन का रंग स्वाभाविक रूप से और चटक था। प्रयागराज में महाकुंभ के सफल आयोजन के बाद यकीनन इस बार भी होगा। पार्टी के अलावा लोगों में भी इसको लेकर अभूतपूर्व उत्साह है। उसी अनुरूप तैयारियां भी।
होलिका दहन के दिन योगी की अगुआई में निकलती है भक्त प्रहलाद की शोभा यात्रा
माहौल पर एक दिन पहले से ही होली की मस्ती छाने लगती है। दरअसल होली के एक दिन पूर्व होलिका के दहन की पूर्व संध्या पर गोरक्षपीठाधीश्वर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुआई में पाण्डेयता से भक्त प्रहलाद की शोभा यात्रा निकलती है। इसमें भी वह उपस्थित लोगों के साथ फूलों की होली खेलते हैं।
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रंगपर्व पर गोरक्षपीठाधीश्वर की अगुवाई में चटक होता है समरसता का रंग