संगम तट पर ठंड और कोहरे पर आस्था पड़ी भारी
प्रयागराज : तीर्थराज प्रयाग में माघ मेला के पहले स्नान पर्व “पौष पूर्णिमा” के अवसर पर पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर कड़ाके की ठंड और घने कोहरे के बीच सुबह 10 बजे तक दो लाख पांच हजार श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगायी।मेला क्षेत्र में स्थापित कंट्रोल रूम से जारी आंकड़ों के अनुसार सुबह 10 बजे तक दो लाख पांच हजार श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके थे। त्रिवेणी तट पर संयम, संस्कार व संस्कृति के संवाहक माघ मेला 2023 का भव्य स्वरूप निखर चुका है। सुबह से ही श्रद्धालुओं ने पावन त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाई। हजारों गृहस्थों ने सेक्टर तीन, चार, पांच में बने गंगा घाटों पर डुबकी लगाई।
संगम व अन्य तटों पर गंगा में डुबकी लगाने का क्रम भोर से आरंभ हो गया है।दिन चढ़ने के साथ हालांकि कोहरे की चादर छंटती गयी लेकिन हाड़कंपाने वाली ठंड पर श्रद्धालुओं की आस्था भारी पडती नजर आयी। संगम में स्नान करते समय समय बडी संख्या में श्रद्धालु मौन तो कुछ हर-हर महादेव, जै गंगे, और ओम नम: शिवाय का जप करते रहे। आस्था की मौन डुबकी लगाने के बाद श्रद्धालुओं ने मां गंगा का विधि विधान से महिलाओं ने पूजन किया एवं दुग्ध अर्पित किया। सूर्य देव को जल देते हुए परिवार की सुख, समृद्धि एवं स्वास्थ्य रहने की कामना किया।
माघ मेला अधिकारी अरविंद सिंह चौहान ने बताया कि मेला क्षेत्र इस बार 700 हेक्टेयर क्षेत्रफल और छह सेक्टरों में बसाया गया है। साधु संतों और कल्पवासियों को उनके सेक्टरों में ही सुविधाएं मिले यह व्यवस्था की गई है।माघ मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं को ठंड से किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो इसलिए 500 बेड की डाॅरमेट्री की भी तैयारी की जा रही है। श्रद्धालुओं के स्नान के लिए तैयार सभी 14 घाटों पर किसी भी स्थिति से समय रहते निबटने के लिए जल पुलिस के गोताखोर मोटरवोट से चक्रमण करते रहेंगे। इसके अलावा राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल (एनडीआरएफ) और जल पुलिस के गोताखोर 50 मोटरबोट और 100 नाव पर तैनात हैं।
मेला और शहर क्षेत्र को सात जोन व 18 सेक्टर में बांटा गया है।मेला प्रशासन ने श्रद्धालुओं को आस्था की डुबकी लगाने और धक्का-मुक्की से बचने के लिए संगम तट पर 14 घाट तैयार करवाए हैं। इनकी कुल लंबाई 6000 हजार रनिंग फिट से अधिक है।देश के अलग-अलग क्षेत्रों से भक्ति भाव से ओतप्रोत युवा, बच्चे और बुजुर्गों का समूह ठंड और कोहरे की परवाह किये बगैर संगम में आस्था की डुबकी लगाने के लिए माघ मेला क्षेत्र में पहुंच रहे हैं। मेला क्षेत्र में देश के कोने कोने से आने वाली बड़ी भीड़ को कोविड नियमों का पालन कराना मेला प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।मेला में श्रद्धालु ऊंच-नीच, अमीर-गरीब और स्वस्थ्य- रूग्ण की दीवार ढहा एक साथ त्रिवेणी में डुबकी लगा रहे हैं।
संगम तट पर दूधिया रोशनी के बीच श्रद्धालुओं ने ब्रह्ममुहूर्त से घने कोहरे के बीच स्नान शुरू कर दिया। शीत लहर का झाेंका भी श्रद्धालुओं की आस्था को डिगा नहीं पाया।माघ मेला में आस्था और अध्यात्म के साथ आधुनिकता का भी संगम नजर आ रहा है। सदियों में बहुत कुछ बदला है। नहीं बदली तो सिर पर गठरी और कंधे पर कमरी, जो मेले की रौनक है। श्रद्धालुओं का रेला त्रिवेणी में गोता लगाने के लिए कई-कई किलोमीटर की दूरी पैदल चलकर संगम पहुंच रहा है। चारों ओर आस्था का जमघट नजर आ रहा है।न कोई आमंत्रण और न ही किसी तरह का निमंत्रण श्रद्धा से भरपूर श्रद्धालुओं की भीड़ सिर पर गठरी और कंधे पर कमरी रखे प्रयागराज की सड़कों, रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों से भीड़ मेला क्षेत्र की ओर दीन-दुनिया से बेपहरवाह परिवार और सगे संबंधियों के साथ आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य प्राप्त करने की लालसा से संगम तट की ओर खरामा-खरामा बढ़ते आ रहे हैं।(वार्ता)