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महाकुम्भ धार्मिक-सांस्कृतिक ही नहीं आर्थिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण

कुम्भ ग्लोबल समिट 2025 में बोले केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत.महाकुम्भ वैश्विक स्तर पर सतत विकास का सफल उदाहरण है.

  • पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास प्राप्त करने में महाकुम्भ साबित होगा मील का पत्थर

प्रयागराज । महाकुम्भ के दिव्य भव्य अवसर पर आज प्रयागराज में इंडिया फाउंडेशन की ओर से कुम्भ ग्लोबल समिट का आयोजन किया गया। समिट का शुभारंभ करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने समिट को सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक सार्थक विचार मंच बताया। समिट में भाग लेते हुए केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने महाकुम्भ के आयोजन को एक अद्वितीय उदाहरण बताते हुए कहा, यह न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का आयोजन है, बल्कि यह आर्थिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। सतत विकास के लक्ष्यों पर विचार-विमर्श करने के लिए समिट में इंडियन डायसपोरा के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

महाकुम्भ के आयोजन से देश की इकोनॉमी को दूरगामी लाभ

प्रयागराज के त्रिवेणी संकुल में आयोजित कुम्भ ग्लोबल समिट 2025 में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि महाकुम्भ विश्व के सबसे बड़े सांस्कृतिक और आध्यात्मिक समागम होने के साथ-साथ वर्तमान में देश का एक सबसे बड़ा आर्थिक आयोजन भी बन गया है। उन्होंने ने बताया कि कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के अनुसार, महाकुंभ से 360 बिलियन डॉलर लगभग 3 लाख करोड़ रुपए का व्यापार हुआ है। इसके आयोजन से देश की जीडीपी में 1 प्रतिशत की वृद्धि होने और अन्य कई दूरगामी आर्थिक प्रभाव हमें देखने को मिलेंगे। जो आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी लक्ष्य के और निकट लाएंगे। साथ ही देश को सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से और सुदृढ़ बनाएंगे।

महाकुम्भ है वसुधैव कुटुम्ब की अवधारणा का मूर्त रूप

केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि महाकुंभ से आर्थिक प्रभावों से अधिक जिस सांस्कृतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक चेतना का विकास भी हुआ है, जो हमारी वसुधैव कुटुंबकम् की मूल भावना को साकार करने में मील का पत्थर है। जो न केवल भारत राष्ट्र और इंडियन डायसपोरा के देशों बल्कि विश्व स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के साथ सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने का सफल उदाहरण बन गया है। पूरे विश्व ने देखा है कि कैसे हमनें अपने धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों का का पालन करते हुए प्रकृति और नदियों के प्रति सम्मान के साथ इतनी बड़ी आर्थिक गतिविधी को भी संचालित किया।

पर्यावरण संरक्षण में महाकुम्भ का योगदान अनुकरणीय है

केंद्रीय मंत्री ने महाकुम्भ के पर्यावरणीय प्रभावों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, इस आयोजन में पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया गया है, इसके लिए 15 हजार से अधिक स्वच्छता कर्मियों की तैनाती की गई। साथ ही सिंगल यूज्ड प्लास्टिक पर पूरी तरह प्रतिबंध और जल उपचार संबंधी योजनाओं को भी प्रभावी तरीके से लागू किया गया। उन्होंने कहा कि एआई और डिजिटल टेक्नोलॉजी के माध्यम से भी महाकुम्भ में पर्यावरण संरक्षण को लेकर प्रभावी कदम उठाए गए, जिससे महाकुम्भ सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक आदर्श बन गया है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, प्रधानमंत्री ने 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन लक्ष्य रखा है, इस दिशा में भारत जरूरी पहल पर विशेष ध्यान दे रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री के मिशन लाइफ, लाइफ स्टाइल और इनवायरमेंट का भी उल्लेख किया उन्होंने कहा कि यह पहल हर व्यक्ति को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक कर रही है। साथ ही, उन सतत विकास लक्ष्यों (SDG) की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करती है। साथ ही उन्होंने ने गंगा नदी के साथ यमुना नदी की पवित्रता के लिए उठाए जा रहे कदमों का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि लखवार, किशाऊ और रेंकोजी में यमुना नदी पर 3 डैम बनाए जा रहे हैं।जो यमुना नदी के प्राकृतिक प्रवाह के साथ उसके प्रदूषण को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। शेखावत ने महाकुम्भ को एक सशक्त, स्वच्छ और विकसित राष्ट्र की दिशा में भारत के प्रयासों का प्रतीक बताया और सभी से मिलकर इस दिशा में योगदान देने की अपील की।

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