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श्री रामलला मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का निधन, सीएम योगी ने जताया शोक

श्रीरामजन्मभूमि मन्दिर के पुजारी सत्येन्द्रदास के निधन पर मोदी ने जताया शोक

  • सप्ताह भर पहले बिगड़ी थी तबियत, मुख्यमंत्री ने मुलाकात कर जाना था हाल
  • मुख्यमंत्री ने बताई अपूर्णीय क्षति, शोक संतप्त परिवार के प्रति जताई संवेदना

अयोध्या/लखनऊ । रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास (87) का बुधवार की सुबह लखनऊ स्थित पीजीआई में निधन हो गया। वह कई दिनों से बीमार चल रहे थे। उनके निधन की सूचना मिलते ही राजनीतिक गलियारों और साधु-संतों में शोक की लहर दौड़ गई। चार दिन पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीजीआई पहुंचकर उनका हाल जाना था और हर संभव मदद का आश्वासन दिया था। मुख्यमंत्री ने ट्वीट करते हुए इसे अत्यंय दुखद व आध्यात्मिक जगत की अपूर्णीय क्षति बताया है। उन्होंने आचार्य को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रभु श्रीराम से प्रार्थना की है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों मे स्थान दें। उन्होंने शोक संतप्त शिष्यों एवं अनुयायियों को दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रभु से कामना की है।

आचार्य सत्येंद्र दास : विवादित ढांचा गिरने से लेकर भव्य राम निर्माण तक

आचार्य सत्येंद्र दास अयोध्या में विवादित ढांचे के ध्वस्त होने से लेकर भव्य मंदिर के निर्माण तक के साक्षी रहे। वह 1993 से रामलला की सेवा में लगे हुए थे। उन्होंने टेंट से लेकर भव्य मंदिर में विराजमान होने तक रामलला की सेवा की। 1992 में जब उन्हें रामलला का पुजारी बनाया गया तो उस वक्त उन्हें 100 रुपए वेतन मिलता था। वह पिछले 34 साल से रामलला की सेवा में लगे थे। आचार्य सत्येंद्र दास अध्यापक की नौकरी छोड़कर पुजारी बने थे। उन्होंने 1975 में संस्कृत में आचार्य की डिग्री ली और फिर अयोध्या के संस्कृत महाविद्यालय में सहायक अध्यापक के तौर पर नौकरी शुरू की। इसके बाद मार्च 1992 में रिसीवर की तरफ से उन्हें पुजारी नियुक्त किया गया।

अकेले ऐसे पुजारी जो कभी भी कर सकते थे रामलला की पूजा

आचार्य सत्येंद्र दास ने टेंट से लेकर रामलला के भव्य मंदिर में विराजमान होने के साक्षी बने। हालांकि उन्होंने रामलला के भव्य मंदिर में विराजमान होने के बाद कार्यमुक्त करने का निवेदन भी किया, लेकिन राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की तरफ से इनकार कर दिया गया और कहा गया कि वह मुख्य पुजारी बने रहेंगे। साथ ही वह जब चाहें मंदिर में रामलला की पूजा कर सकते हैं। उनके लिए कोई शर्त की बाध्य नहीं रहेगी।

50 के दशक में पहुंचे अयोध्या

सत्येंद्र दास संतकबीर नगर के एक ब्राह्मण परिवार से थे। 50 के दशक के शुरू में अयोध्या आए और अभिरामदास के शिष्य बने। अभिराम दास वही हैं जिन्होंने 1949 में मंदिर में रामलला की मूर्ति स्थापित की थी। आचार्य सत्येंद्र दास, राम विलास वेदांती और हनुमान गढ़ी के संत धर्मदास तीनों गुरुभाई हैं।

पवित्र दिन ली आखिरी सांस

श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर के मुख्य पुजारी सत्येन्द्र दास के साकेतवास के बाद ट्रस्ट की ओर से बताया गया है कि माघ पूर्णिमा के पवित्र दिन प्रातः सात बजे के लगभग उन्होंने पीजीआई में अंतिम सांस ली। वह वर्ष 1993 से श्री रामलला की सेवा पूजा कर रहे थे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चम्पत राय व मन्दिर व्यवस्था से जुड़े अन्य लोगों ने मुख्य अर्चक के‌ देहावसान पर गहरी संवेदना व्यक्त की है।

कराया गया था पीजीआई में भर्ती

पिछले रविवार को आचर्य सत्येंद्र दास की शाम के समय तबीयत बिगड़ने के बाद पुजारी प्रदीप दास ने उन्हें श्रीराम चिकित्सालय में भर्ती कराया था। बीपी बढ़ने की बात सामने आई थी। इसके बाद उन्हें मेडिकल कालेज रेफर कर दिया गया था। तबीयत में सुधार न होने पर पीजीआई रेफर किया गया था, जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहुंचकर हाल जाना था।

श्रीरामजन्मभूमि मन्दिर के पुजारी सत्येन्द्रदास के निधन पर मोदी ने जताया शोक

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अयोध्याधाम में रामजन्मभूमि मन्दिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्रदास जी महाराज के निधन पर बुधवार को गहरा दु:ख प्रकट किया और सामाजिक तथा आध्यात्मिक क्षेत्र में उनके ‘अमूल्य योगदान’ का स्मरण किया।श्री मोदी ने शोक संदेश में पुजारी श्री सत्येन्द्रदास जी के अनुयायियों और परिजनों के प्रति संवेदना भी जतायी है।विदेश यात्रा कर रहे श्री मोदी ने आज सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, “राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी महंत सत्येन्द्रदास जी के देहावसान से अत्यंत दुख हुआ है। धार्मिक अनुष्ठानों और शास्त्रों के ज्ञाता रहे महंत जी का पूरा जीवन भगवान श्री राम की सेवा में समर्पित रहा। देश के आध्यात्मिक और सामाजिक जीवन में उनके अमूल्य योगदान को हमेशा श्रद्धापूर्वक स्मरण किया जाएगा। ईश्वर से प्रार्थना है कि शोक की इस घड़ी में उनके परिजनों और अनुयायियों को संबल प्रदान करे। ओम शांति!”

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