डिजिटल मीडिया के नियामन के लिए अलग कानून की योजना नहीं: चंद्रशेखर
नयी दिल्ली : सरकार ने शुक्रवार को कहा कि सोशल मीडिया सहित सभी प्रकार के डिजिटल मीडिया को नियंत्रित या नियामन करने के लिए कानून बनाने का कोई इरादा नहीं है।केन्द्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने राज्यसभा में आज एक लिखित सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य कार्तिक शर्मा ने लिखित में सवाल पूछा था कि डिजिटल मीडिया का नियामन करने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं और इसके लिए किसी कानून को लाने का प्रस्ताव है तो इस बारे जानकारी दी जाए। ये भी बताया जाए कि राष्ट्रीय हितों के खिलाफ डिजिटल मीडिया के इस्तेमाल को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।
उन्होंने यह भी पूछा कि राष्ट्रीय हितों के खिलाफ जाे सामग्री डालने एवं साझा करने और नियम तोड़ने वालों पर अंकुश लगाने के लिए क्या नियम हैं।उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय में डिजिटल मीडिया (सोशल मीडिया) बेहद तेजी से आगे बढ़ा है और इसका महत्व भी बढ़ा है। लेकिन कई इसकी भूमिका व जवाबदेही बारे भी सवाल उठे हैं।श्री चंद्रशेखर ने लिखित जवाब में कहा कि सोशल मीडिया का नियामन करने के लिए कोई अलग कानून लाने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी नियमावली में जो प्रावधान या नियम बनाए गए हैं वो डिजिटल मीडिया की निगरानी करने एवं नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त हैं।उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया की जवाबदेही तय है। वो ऐसी कोई जानकारी सोशल मीडिया पर साझा नहीं कर सकते जो राष्ट्र की संप्रभुत्ता और एकता के लिए खतरा हो। ऐसा कोई सामग्री नहीं डाल सकते हैं जो कानूनन प्रतिबंधित है।
श्री चंद्रशेखर ने कहा कि अगर किसी के 50 लाख यूजर्स हैं तो उसको एक चीफ कंप्लायंस ऑफिसर और नोडल कांटेक्ट पर्सन नियुक्त करना होगा। इनको हर समय इंफोर्समेंट एजेंसिज से साथ समन्वय करना होगा। इसके अलावा इनके पास एक रेसीडेंट ग्रीवांस अधिकारी भी होना चाहिए जो मासिक कंप्लायंस रिपोर्ट प्रकाशित करे।उन्होंने कहा कि इंटरनेट के इस्तेमाल को सुरक्षित एवं यकीनी बनाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के अंतर्गत शक्तियों के जरिए जरूरी प्रावधान किए गए हैं। इसके तहत सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी नियमावली, 2021 बनायी है।(वार्ता)