
भारत में एआई क्रांति, विकसित भारत का भविष्य
भारत पूरे ध्यान से अपने डिजिटल भविष्य को आकार दे रहा है: मोदी
नयी दिल्ली : भारत अपनी बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था का सहयोग करने के लिए तेजी से एक मजबूत एआई कंप्यूटिंग और सेमीकंडक्टर अवसरंचना ढांचे का निर्माण कर रहा है।इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय ने गुरूवार को यहां कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस(एआई) में उल्लेखनीय परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। भारत के इतिहास में पहली बार, सरकार सक्रिय रूप से एक एआई इकोसिस्टम को स्वरुप दे रही है, जहाँ कंप्यूटिंग पावर, जीपीयू और अनुसंधान के अवसर वहनीय कीमत पर उपलब्ध हैं।पहले के समय की तुलना में, भारत में अब एआई ना तो कुछ विशेष लोगों तक सीमित है और ना ही इसमें वैश्विक तकनीकी दिग्गजों का वर्चस्व है।
दूरदर्शी नीतियों के माध्यम से, मोदी सरकार छात्रों, स्टार्टअप्स और इनोवेटर्स को विश्व स्तरीय एआई अवसंरचना के साथ सशक्त बना रही है, जिससे वास्तव में समान अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। इंडिया एआई मिशन और एआई के लिए उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना जैसी पहल देश के एआई इकोसिस्टम को मजबूत कर रही है, जिससे इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में नवाचार और आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त हो रहा है।ये प्रयास 2047 तक विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं, जहां भारत आर्थिक विकास, शासन और सामाजिक प्रगति के लिए अत्याधुनिक तकनीक का लाभ उठाते हुए एक वैश्विक एआई पावरहाउस बनने की आकांक्षा रखता है।भारत अपनी बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था का सहयोग करने के लिए तेजी से एक मजबूत एआई कंप्यूटिंग और सेमीकंडक्टर अवसरंचना ढांचे का निर्माण कर रहा है।
वर्ष 2024 में इंडियाएआई मिशन की अनुमति के साथ, सरकार ने एआई क्षमताओं को मजबूत करने के लिए पांच वर्षों में 10,300 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। इस मिशन का एक प्रमुख केंद्र 18,693 ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट्स (जीपीयू) से लैस एक उच्च-स्तरीय सामान्य कंप्यूटिंग सुविधा का विकास है, जो इसे वैश्विक स्तर पर सबसे व्यापक एआई कंप्यूट अवसंरचना में से एक बनाता है। यह क्षमता ओपन-सोर्स एआई मॉडल डीप सीक की तुलना में लगभग नौ गुना और चैटजीपीटी द्वारा संचालित क्षमता का लगभग दो-तिहाई है।मिशन के शुरुआती चरण में पहले ही 10,000 जीपीयू उपलब्ध कराए जा चुके हैं, शेष इकाइयों को जल्द ही जोड़ा जाएगा। इससे भारतीय भाषाओं और संदर्भों के अनुरूप स्वदेशी एआई समाधान सृजित करना संभव होगा।
भारत ने एक ओपन जीपीयू मार्केटप्लेस की शुरुआत करने में भी अग्रणी भूमिका निभाई है, जिससे स्टार्टअप, शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग सुलभ हुई है। कई देशों के तुलना में जहाँ एआई अवसंरचना को बड़ी कंपनियों द्वारा नियंत्रित किया जाता है, यह पहल सुनिश्चित करती है कि छोटे खिलाड़ियों को भी नवाचार करने का अवसर मिले।सरकार ने जीपीयू की आपूर्ति के लिए 10 कंपनियों का चयन किया है, जिससे एक मजबूत और विविध आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित होगी। घरेलू क्षमताओं को और मज़बूत करने के लिए, भारत का लक्ष्य अगले तीन से पाँच वर्षों के भीतर अपना खुद का जीपीयू विकसित करना है, जिससे आयातित तकनीक पर निर्भरता कम होगी। जल्द ही एक नई सरल कंप्यूट सुविधा शुरू की जाएगी, जिससे शोधकर्ताओं और स्टार्टअप को 100 रुपए प्रति घंटे की अत्यधिक रियायती दर पर जीपीयू पावर का उपयोग करने की अनुमति मिलेगी, जबकि वैश्विक लागत 2.5 डॉलर से 3 डॉलर प्रति घंटे है।
भारत सेमीकंडक्टर विनिर्माण में वृद्धि कर रहा है, जिसके अंतर्गत पाँच सेमीकंडक्टर संयंत्र निर्माणाधीन हैं। ये विकास न केवल एआई नवाचार का सहयोग करेंगे बल्कि वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में भारत की स्थिति को भी मज़बूत करेंगे।एआई विकास में डेटा के महत्व को पहचानते हुए, मोदी सरकार ने उच्च गुणवत्ता वाले, गैर-व्यक्तिगत डेटासेट तक निर्बाध पहुँच प्रदान करने के लिए इंडियाएआई डेटासेट प्लेटफ़ॉर्म शुरू किया है। यह प्लेटफ़ॉर्म अज्ञात डेटा का सबसे बड़ा संग्रह रखेगा, जो भारतीय स्टार्टअप और शोधकर्ताओं को उन्नत एआई एप्लिकेशन विकसित करने में सशक्त बनाएगा। विविध और प्रचुर डेटासेट सुनिश्चित करके, यह पहल प्रमुख क्षेत्रों में एआई-संचालित समाधानों को आगे बढ़ाएगी, जिससे नवाचार और सटीकता बढ़ेगी। यह प्लेटफ़ॉर्म भारतीय स्टार्टअप और शोधकर्ताओं को उच्च-गुणवत्ता वाले, अज्ञात डेटासेट के एकीकृत भंडार तक पहुँचने में सक्षम करेगा, जिससे एआई नवाचार में बाधाएं कम होंगी।
विविध डेटा के साथ एआई मॉडल की सटीकता को बढ़ावा देना: बड़े पैमाने पर, गैर-व्यक्तिगत डेटासेट प्रदान करके, यह पहल पूर्वाग्रहों को कम करने और कृषि, मौसम पूर्वानुमान और यातायात प्रबंधन जैसे डोमेन में एआई अनुप्रयोगों की विश्वसनीयता में सुधार करने में सहायता करेगी।सरकार ने नई दिल्ली में स्वास्थ्य सेवा, कृषि और सतत शहरों में तीन एआई उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) स्थापित किए हैं। बजट 2025 में 500 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ शिक्षा में एआई के लिए एक नए सीओई की घोषणा की गई, जिससे यह चौथा ऐसा केंद्र बना। कौशल के लिए पाँच राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्रों की योजनाएं बनाई गई हैं, जो युवाओं को उद्योग-प्रासंगिक विशेषज्ञता से लैस करेंगे। ये केंद्र विनिर्माण और एआई नवाचार में ‘मेक फॉर इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ दृष्टिकोण का सहयोग करने के लिए वैश्विक भागीदारों के सहयोग से स्थापित किए जाएंगे।सरकार भारत के अपने आधारभूत मॉडलों के विकास में सहायता कर रही है, जिसमें बिग लँग्वेज मॉडल (एलएलएम) और भारतीय आवश्यकताओं के अनुरूप समस्या-विशिष्ट एआई समाधान शामिल हैं। एआई अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए, कई उत्कृष्टता केंद्र भी स्थापित किए गए हैं।
भारत पूरे ध्यान से अपने डिजिटल भविष्य को आकार दे रहा है: मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भारत डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई), कृत्रिम मेधा (एआई), सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण पर विशेष ध्यान देते हुए अपने डिजिटल भविष्य को आकार दे रहा है।प्रधानमंत्री कार्यालय ने साेशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में इस विषय में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा लिखे गए लेख को जोड़ कर कहा, “केंद्रीय मंत्री श्री अश्विनी ने विस्तार से बताया कि कैसे भारत डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई), एआई, सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग पर ज़ोर देकर अपने डिजिटल भविष्य को आकार दे रहा है।
”प्रधानमंत्री ने लोगों ने अंग्रेजी में प्रकाशित श्री वैष्णव के इस लेख को पढ़ने की अपील की है। इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी, सूचना प्रसारण तथा रेलवे मंत्री ने अपने लेख में डीपीआई, एआई, सेमीकंडक्टर तथा इलेक्ट्रानिक्स के क्षेत्र में प्रगति का विवरण दिया है। उन्होंने महाराष्ट्र में किसानों द्वारा खेती में एआई के प्रयोग, हाल में सम्पन्न प्रयाग महाकुंभ में डीपीआई के प्रयोग से व्यवस्था संभालने में सफलता जैसे कुछ उदाहणों का उल्लेख भी किया है। (वार्ता)
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