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नारी शक्ति-रक्त देकर भी जीवनदायिनी बन रहीं काशी की महिलाएं

 रक्तदान कर अनजान लोगों की नई जिंदगी का कारण बन रहीं ,रक्तदान के लिए आगे आ रहीं, दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बनीं.

वाराणसीसुखी परिवार, बेहतर समाज और दूसरों के जीवन में खुशियां लाने वालीं महिलाएं दूसरों को नया जीवन भी देती हैं। बात कर रहे हैं काशी की उन महिलाओं की, जो अनजान लोगों के जीवन के लिए अपना खून आगे बढ़कर दे रही हैं। आइये मिलवाते हैं प्रेरणा बनीं काशी की इन महिलाओं से

–शशि ने 20 बार रक्तदान किया

शिवपुर निवासी शशि (54) जो 20 बार रक्तदान कर चुकी है। बताती हैं कि वह मां के इलाज के लिए लखनऊ गई थीं, तभी उन्होंने वहां देखा रक्त की कमी की वजह से एक लड़की जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही थी। शशि ने अपनी मां के लिए तुरंत ही रक्तदान किया था। इसलिए वह दोबारा रक्तदान नहीं कर पा रही थी। तभी उनके मन में रक्तदान को लेकर लोगों को जागरूक करने की बात आई और वह इस पर काम भी करने लगीं। वह एनीमिया मुक्त भारत के लिए एक वर्षों से काम कर रही हैं और रक्तदान के लिए भारत विकास संस्था काशी रक्तदान कुंभ से जुड़ी हुई हैं। वह लोगों से अपील करना चाहती हैं कि रक्तदान महादान है। अगर हम रक्तदान करके किसी की जिंदगी बचा सकते हैं तो हमें यह जरूर करना चाहिए।

सोशल मीडिया से प्रभावित हो शुरू किया रक्तदान

मुकीमगंज की सरिता (24) समाज सेवा के लिए रक्तदान करती हैं। फेसबुक पर रक्तदान के लिए जागरूकता की पोस्ट देख रक्तदान करना शुरू किया। बताती हैं कि रक्त की कमी से किसी की जिंदगी ना जाए एक दूसरे के साथ इंसानियत के रिश्ते को देखते हुए रक्तदान करना चाहिए। कम से कम हम एक नई जीवन का कारण बन सकें।

पिता से प्रेरित होकर शुरू किया रक्तदान

सिगरा की तनिष्का (31) 15 बार रक्तदान कर चुकी हैं। पिता प्रदीप इसरानी नियमित रक्तदान करते हैं। वह अभी तक 135 बार रक्तदान कर चुके हैं उन्हीं से प्रेरणा लेकर तनिष्का भी रक्तदान कर समाज के लिए कुछ करना चाहती हैं। बताती हैं कि वह जब तक स्वस्थ रहेंगी रक्तदान करते रहेंगे और लोगों से भी अपील करती है कि रक्तदान जरूर करें, यह महादान है।

22 की उम्र में रक्तदान करने का जोश

जलाली पट्टी निवासी राशिका 22 साल की उम्र से ही रक्तदान करने लगी हैं। लोगों को जागरूक भी कर रही हैं। वो बताती हैं कि उन्हें अपने पिताजी से प्रेरणा मिली रक्तदान करने की। कहती हैं कि जैसे गरीबों को रोटी कपड़े दान किए जाते हैं वैसे ही नियमित रूप से रक्तदान भी करना चाहिए। हमें रक्तदान करके खुशी मिलनी चाहिए कि भगवान ने हमें इस काबिल बनाया है कि हम रक्तदान कर किसी की जिंदगी बचा सकते हैं।

खुद के साथ परिवार से भी करा रही हैं रक्तदान

ककरमत्ता निवासी अल्पना सिंह (37) 23 बार रक्तदान कर चुकी हैं। अल्पना बताती हैं कि अगर दूसरों के लिए नहीं तो खुद के लिए ही रक्तदान करना चाहिए, इससे शरीर कई रोगों से मुक्त रहता है। रक्तदान से किसी को नई जिंदगी मिलती है वह आपको दुआ भी देता है। यह अपने आप में एक महादान भी होता है। अल्पना से प्रेरणा ले बहन अनामिका भी रक्तदान कर रही हैं अभी तक वह आठ बार रक्तदान कर चुकीं हैं।

रेयर ब्लड ग्रुप होने से मिली रक्तदान की प्रेरणा

लंका निवासी स्मृति केसरी (26) बताती हैं कि उनका ब्लड ग्रुप बी नेगेटिवहै जो बहुत मुश्किल से मिलता है यही सोचकर वह रक्तदान के लिए आगे आईं। वह बताती हैं कि सब को रक्तदान करना चाहिए। यह इंसानियत के प्रति एक अच्छा कदम है जो लोग भी स्वस्थ हैं, उन्हें रक्तदान करते रहना चाहिए।

तीन साल की अनजान बच्ची के लिए रक्तदान

सुंदरपुर की रश्मि सिंह (30) 21 बार रक्तदान कर चुकी हैं। पहला रक्तदान तीन साल की अनजान बच्ची के लिए किया था। उनके दोस्त से उन्हें पता चला था कि तीन साल की बच्ची को रक्त की जरूरत है। वह अपने पति के साथ गईं और रक्तदान किया। बताती हैं कि वैसे तो हर इंसान का एक दूसरे से इंसानियत का रिश्ता होता है लेकिन अगर आप इस रिश्ते को खून के रिश्ते में बदलना चाहते हैं तो रक्तदान कर इसे बदला जा सकता है।

बनारसी इश्क फेसबुक पेज से प्रेरणा मिली

गोदौलिया निवासी रागिनी यादव (27) बताती हैं कि रक्तदान से किसी को जिंदगी में नया मौका मिल सकता है और अगर रक्तदान करने से किसी की जिंदगी बच जाती है इससे बड़ा कोई काम नहीं हो सकता है। वह बताती है कि जब से वह Banarasi Ishq फेसबुक पेज से जुड़ी हैं, तब से वह खुद भी रक्तदान कर रही हैं और लोगों को भी रक्तदान के लिए जागरूक कर रही हैं।

बच्चों से लगाव ही रक्तदान की वजह

पांडेयपुर निवासी अमीषा यादव (24) को बच्चों से बहुत लगाव है। हमेशा ही रक्तदान के लिए तत्पर रहती हैं। रक्तदान तो सबके लिए ही करती हैं। पर बच्चों के प्रति उनकी खास उत्सुकता रहती है। जब भी उन्हें पता चलता है कि किसी बच्चे को रक्त की जरूरत है। वह तुरंत ही रक्तदान के लिए पहुंच जाती हैं। प्लेटलेट्स भी डोनेट करती हैं।

फेसबुक पोस्ट देख बचाई अनजान के पति की जान

कज्जाकपुरा की ज्योत्सना (32) ने पहली बार फेसबुक पर एक पोस्ट देखा, जिसमें बताया गया था कि एक महिला के पति की हालत बहुत खराब थी। रक्तदान के लिए लोगों से आग्रह कर रही थी। ज्योत्सना ने पोस्ट देख उस औरत से संपर्क कर रक्तदान किया। कहा कि रक्तदान से अगर किसी का जीवन बचता है, नया जीवन मिलता है तो जरूर करें। दूसरों को भी प्रेरित करें।

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