
युवा अतीत के संरक्षक ही नहीं, भारत के सुनहरे भविष्य के प्रणेता भी : राष्ट्रपति
नई दिल्ली । राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा है कि देश के युवा नागरिक अतीत के संरक्षक ही नहीं, बल्कि भारत के सुनहरे भविष्य के प्रणेता भी हैं। राष्ट्रपति भवन में केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों के निदेशकों के दो दिन के सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए श्री कोविंद ने कहा कि हमें विश्व में सर्वश्रेष्ठ मानक स्थापित करना चाहिए।
राष्ट्रपति ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि इस वर्ष भारत के 35 संस्थानों को क्यू एस रैंकिंग मिली है, जबकि पिछले वर्ष यह संख्या 29 थी। शीर्ष तीन सौ संस्थानों में से इस वर्ष भारत के छह संस्थान शामिल हैं, जबकि पिछले वर्ष इस सूची में चार संस्थान थे। राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय विज्ञान संस्थान को शोध मानकों के आधार पर शत-प्रतिशत अंक मिला है और वह प्रिंसटन, हार्वर्ड, एमआईटी और कालटेक सहित विश्व के आठ प्रतिष्ठित संस्थानों में शामिल है।
राष्ट्रपति ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के बारे में कहा कि इसमें सुधार के लिए हमें आधुनिक और नवीन शिक्षण व्यवस्था पर भी विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब कोविड महामारी से शिक्षण और अध्ययन व्यवस्था को पटरी से उतरने का खतरा हो गया था, तब प्रौद्योगिकी के माध्यम से इसकी निरंतरता सुनिश्चित रही। श्री कोविंद ने कहा कि हम इन अनुभवों के आधार पर आगे बढ़ सकते हैं और विद्यार्थियों को विषयों की समझ के माध्यम से कक्षाओं को अधिक संवाद युक्त बना सकते हैं।
राष्ट्रपति उच्चतर शिक्षा के 161 केन्द्रीय संस्थानों के विजिटर हैं। इनमें से 53 संस्थान इस सम्मेलन में ऑफलाईन शामिल हो रहे हैं, जबकि अन्य संस्थान वर्चुअल माध्यम से जुड़े हैं।इस सम्मेलन के विभिन सत्रों में कई विषयों पर विचार विमर्श होगा। इन विषयों में आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत उच्चतर शिक्षा संस्थानों की भूमिका और उत्तरदायित्व, उच्चतर शिक्षा संस्थानों की अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग, शिक्षा-उद्योग और नीति निर्धारकों के बीच सहयोग, स्कूलों का एकीकरण, उच्चतर और व्यावसायिक शिक्षा, उभरती हुई और जटिल प्रौद्योगिकियों में शिक्षा तथा अनुसंधान शामिल हैं।(वीएनएस)