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बच्चों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार का बड़ा कदम, पूरे प्रदेश में दिखेगा असर

योगी सरकार की पहल से समाज में बच्चों के अधिकारों और सुरक्षा के प्रति बढ़ेगी जागरूकता

  • विमेन एंड चाइल्ड हेल्पलाइन डेस्क को किया जाएगा मजबूत, स्टाफ बढ़ाने का प्रस्ताव
  • जिलों में संचालित चाइल्ड हेल्पलाइन यूनिट्स के स्टाफ में भी वृद्धि किए जाने की योजना
  • इस वर्ष रेलवे और बस स्टेशनों पर चाइल्ड हेल्पलाइन डेस्क की संख्या को भी बढ़ाने की तैयारी

लखनऊ । उत्तर प्रदेश की योगी सरकार महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए बड़ा कदम उठाने जा रही है। चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 की क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ विमेन एंड चाइल्ड हेल्पलाइन डेस्क को और सशक्त करने की तैयारी चल रही है। इसके अंतर्गत डेस्क पर काम करने वाले स्टाफ की संख्या में इजाफा किया जाएगा। जिलों में संचालित होने वाली चाइल्ड हेल्पलाइन यूनिट्स में भी स्टाफ में वृद्धि किए जाने की योजना है। इसके साथ ही, रेलवे और बस स्टेशनों पर चाइल्ड हेल्पलाइन डेस्क की संख्या को भी बढ़ाया जाएगा। योगी सरकार की इस पहल से राज्य में बच्चों की सुरक्षा और संरक्षण में वृद्धि होगी। इससे न केवल हेल्पलाइन की पहुंच बढ़ेगी, बल्कि समाज में बच्चों के अधिकारों और सुरक्षा के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी।

कंट्रोल रूम को मिलेगा और सहयोग

विमेन चाइल्ड डेस्क के कंट्रोल रूम में कॉल्स की संख्या बढ़ने के मद्देनजर सरकार ने वहां 5 अतिरिक्त कॉल टेकर नियुक्त करने का प्रस्ताव तैयार किया है। इससे शिकायतों के निस्तारण की गति बढ़ेगी और बच्चों तथा महिलाओं को त्वरित सहायता मिल सकेगी। इसके अतिरिक्त प्रदेश के सभी 75 जिलों में संचालित चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट्स में अब अतिरिक्त 3 मल्टी टास्किंग स्टाफ (MTS) कम सिक्योरिटी स्टाफ तैनात किए जाएंगे। इससे जमीनी स्तर पर बच्चों की सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक मजबूती मिलेगी।

रेलवे और बस स्टेशनों पर भी मजबूत होगी निगरानी

इस योजना के तहत रेलवे और बस स्टेशनों पर भी अतिरिक्त चाइल्ड हेल्प डेस्क बनाए जाने की तैयारी है। वर्तमान में 23 रेलवे स्टेशनों पर यह डेस्क संचालित हैं, जिनकी संख्या बढ़ाकर 28 की जाएगी। इन 5 नए स्टेशनों में वाराणसी, कानपुर, प्रयागराज, बुलंदशहर और गाजियाबाद शामिल होंगे। वहीं, बस स्टेशनों पर फिलहाल 4 स्थानों पर चाइल्ड हेल्प डेस्क कार्यरत हैं। 2025-26 में इन्हें बढ़ाकर 11 किया जाएगा। ये 7 बस स्टेशन आगरा, चंदौली, प्रयागराज, मिर्जापुर, मेरठ, गाजियाबाद और वाराणसी होंगे। इस महत्वाकांक्षी योजना को भारत सरकार की स्वीकृति मिल चुकी है और 2025-26 में इसे ज़मीन पर उतारने की पूरी तैयारी की जा रही है। सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी बच्चा संकट की स्थिति में अकेला महसूस न करे और समय पर उसे आवश्यक सहायता मिल सके।

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