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प्रभु श्रीराम के बालरूप दर्शन का मनभावन कथा सुन श्रद्धालु हुए अविभूत

दुद्धी सोनभद्र – शिव नगरी मल्देवा में चल रहे सात दिवसीय श्रीराम कथा के पांचवें दिन वृंदावन धाम से पधारे पंडित दिलीप कृष्ण भारद्वाज के कथा प्रवाह में सुखद आनंद की अनुभूति श्रद्धालु श्रोताओं को होती रही। उन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम लला के बाल रूप का ऐसा मनोरम सजीव चित्रण किया कि मानों द्वापर युग को पृथ्वी लोक पर अवतरित हो गया हो। जब पायल की धुन पर माता कैकेई द्वारा बाल रूप पर गीत- चलाते ठुमक रामचंद्र बाजत पैजनिया की धुन जब बजी और माता लल्ला के पैजनिया की आवाज से समझ जाती थी कि मेरा लल्ला किधर है, साथ ही जब चंद्रमा भगवान का दर्शन के लिए रो-रो कर व्याकुल थे। तब भगवान ने दर्शन देकर वरदान दिया था कि मैं तुम्हारे नाम से जाना जाऊंगा तभी से राम के नाम के आगे चंद्र शब्द का प्रादुर्भाव हुआ और भगवान ने अपने नाम के साथ चंद्र को जोड़ रामचंद्र नाम रखा।

जब वृंदावन के रमण बिहारी के मंदिर में भक्तों का निश्चल मिलन का सजीव यथार्थ चित्रण कर भक्तों द्वारा मोजा, पजामा,कुर्ता बनवा कर लेकर भक्तों पहनाने अपने भगवान को जाता है। महिला को हर लोग पागल समझकर पहले ठिठोली करते हैं फिर बाद में पुजारी को एहसास होता है कि भगवान तो भक्त के भूखे होते हैं और जब भगवान ने कुर्ता पजामा धारण किया जिसका आज भी चर्चा वृंदावन में होता है। जैसे सजीव कथा का रसपान कराकरभक्तों को भाव विभोर कर दिया।साथ में भगवान की सुंदरता पर खर और दूषण के सम्मोहन के साथ ही साथ – “तेरे बिना मैं एक पल भी जी नहीं सकता ” के विरह वेदना भरी गीत संगीत के माध्यम से मनोरम प्रस्तुति ने श्रोताओं को भक्तिरस में सराबोर कर दिया।कथावाचक श्री भारद्वाज ने संयुक्त परिवार के महत्व को भी रेखांकित किया और संवाद हीनता से दूर रहने की बात श्रोताओं से कही।अपनी वाणी में अमृत घोल राधे राधे बोल के भाव का तबला,बासुरी, हरमोनियम आदि के वाद्य यंत्रों के साथ भगवान की स्तुति एवं श्रीराधा कृष्ण की अनुपम झांकी व अलौकिक शास्त्रीय संगीत मानो साक्षात वृंदावन में रास रचाने के दृश्य प्रतीत हो रहा था।जिसपर भक्तों द्वारा जमकर फूलों की वर्षा एवं डांडिया नृत्य प्रस्तुत की गई। इस मौके पर मुख्य यजमान सपत्नी शांति प्रकाश जायसवाल ने भगवान ठाकुर जी का आरती पूजन किया।इस मौके पर अतिथि सुभाष सिंह, पंडित ह्रदय शर्मा, पंडित तदव्य शर्मा, बच्चा ठाकुर, रजनीश कुमार सिंह , शशीकांत मिश्रा, रविंद्र सिंह, राजन चौधरी, डॉ संजय कुमार, राजेश्वर प्रसाद , दिलीप कुमार पांडेय, सूरज देव, अवधेश जायसवाल, प्रेमचंद आढ़ती , भोलानाथ आढ़ती, आयोजन समिति के मुख्य संयोजक डॉक्टर हर्षवर्धन, धर्म प्रसाद जायसवाल, निरंजन जायसवाल, प्रभाकर प्रजापति, मनीष जयसवाल, शैलेश जयसवाल समेत सैकड़ो श्रद्धालु मौजूद रहे।

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