
हवाई जहाज को उड़ने में चार बल लगते हैं। ये चारों बल आगे पीछे नीचे और ऊपर इन चारों दिशाओं में लगते हैं तथा इन्हीं बलों के संतुलन से जहाज उड़ते हैं।
जहाज के उड़ने की प्रक्रिया
जहाज में लगे जेट इंजन या प्रोपेलर पंखे ईंधन को जलाकर अत्यधिक तीव्र गति से घूमते हैं और हवा को जहाज के पीछे डैनों के निचले हिस्से में फेंकते हैं। फलस्वरूप जहाज को आगे बढ़ने का बल मिलता हैै (न्यूटन का तीसरा सिद्धांत)। इस बल को थ्रस्ट बल कहते हैं और इसी बल के कारण जहाज जमीन पर या आकाश में आगे बढ़ता है। जब जहाज अपने सतत क्रूजिंग गति पर पहुंच जाता है तब यह बल, हवा द्वारा उत्पन्न हुए घर्षण और कर्षण बल (ड्रैग बल) जो कि जहाज की गति के विरुद्ध होते हैं, के बराबर होता है।
जहाज का सबसे मुख्य अंग है उसके दो पंख। यह पंख ही जहाज को उड़ने हेतु उठाव बल (लिफ्ट फोर्स) प्रदान करते हैं। इन्ही पंख द्वारा उत्पन्न लिफ्ट जहाज को उड़ाता है तथा हवा में टिकाए रखता है। पंखों द्वारा उत्पन्न होने वाले लिफ्ट बल की क्रिया विधि पर कुछ अंतरद्वंद्व है। कुछ लोग इसे बर्नौली का सिद्धांत बताते हुए कहते हैं कि चुंकी पंखों की संरचना ऐसी होती है कि उसके ऊपर से गुजरने वाली हवा नीचे के मुकाबले तेज होती है अतः पंखों के ऊपर का दाब नीचे से कम हो जाता है जिसके फलस्वरूप एक उठाव का बल उत्पन्न होता है। इस व्याख्या को बर्नौली का सिद्धांत या एयरोफोइल सिद्धांत भी कहते हैं।
एक अन्य व्याख्या
लिफ्ट उत्पन्न होने की एक और व्याख्या है जिसे संवेग सिद्धांत कहते हैं। इसके अनुसार जहाज के पंख एक कोण पर होते हैं अतः आने वाली हवा इन पंखों से टकराकर नीचे घूम जाती है और संवेग के संरक्षण के सिद्धांत के कारण या न्यूटन के तीसरे सिद्धांत के कारण नीचे घूमी हुई हवा पंखों पर ऊपर की ओर बल लगाती है जिससे पंखों द्वारा लिफ्ट उत्पन्न होता है।
कारण चाहे कुछ भी हो, पंखों द्वारा उत्पन्न लिफ्ट जहाज के वजन वाले बल के विपरीत होता है अतः जहाज ऊपर की ओर जाने लगता है। सैद्धांतिक रूप से जहाज का वजन कुछ भी हो सकता है और पंखों का आकार बढ़ाकर या जहाज की गति बढ़ाकर जरूरत के अनुसार लिफ्ट उत्पन्न किया जा सकता है। लेकिन व्यवहारिक तौर पर और पैमानों पर भी ध्यान देना जरूरी होता है। जैसे कि पंखों की मजबूती, जहाज की संरचना तथा जहाज की गति को भी आवाज की गति से कम रखना होता है। यद्यपि कुछ जहाज आवाज की गति से तेज उड़ते हैं लेकिन वे छोटे होते हैं तथा उनकी संरचना अलग प्रकार की होती है।