
गंगा की यात्रा और पारिस्थितिकी तंत्र को जन-जन तक पहुंचाने के लिए “गंगा दर्पण” इंटरप्रिटेशन सेंटर की स्थापना की गई
योगी सरकार गंगा की स्वच्छता के लिए मशीनों के उपयोग के साथ ,मानव को गंगा की पारिस्थितिकी तंत्र ,जैव विविधता के बारे में जागरूक कर रही है."गंगा दर्पण” जैव विविधता के शिक्षा के लिए एक बड़ा केंद्र के रूप में उभर हो रहा है,जिसमें 62 से अधिक प्रजातियों के पक्षी दर्शाए गए हैं. 3-डी के माध्यम से गंगा की सम्पूर्ण यात्रा में प्रमुख तीर्थ स्थलों, नदी, शहरों , गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान और हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य जैसे संरक्षित क्षेत्रों को दिखाया गया है. मौर्य से मुगलों तक के साम्राज्यों में गंगा के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को आइन-ए-अकबरी और बाबरनामा के संदर्भों के साथ प्रदर्शित किया गया.क्यूआर कोड ,इंटरैक्टिव कियोस्क से नदी और उसके आस-पास के विरासत,जैव विविधता के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है.
- गंगा का थ्री डी मॉडल में गंगा के वन्यजीवों डॉल्फिन,मगरमच्छ, कछुए,स्कीमर, सारस और ऊदबिलाव के मॉडल है
वाराणसी : गंगा को अविरल और निर्मल बनाए रखने के लिए योगी सरकार एसटीपी के निर्माण के साथ ही गंगा को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए कई अन्य योजनाओं पर काम कर रही है। सरकार गंगा की स्वच्छता के लिए मशीनों के उपयोग के साथ ,मानव को गंगा की पारिस्थितिकी तंत्र ,जैव विविधता के बारे में जागरूक कर रही है। जिससे गंगा को प्रदूषण मुक्त रखने के साथ जलीय जीव जंतुओं को संरक्षण मिल सके। इसके लिए सारनाथ में गंगा नदी की विरासत और संरक्षण का जीवंत प्रतिबिंब “गंगा दर्पण” इंटरप्रिटेशन सेंटर की स्थापना की है। उत्तर प्रदेश वन विभाग के साथ साझेदारी में, नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) द्वारा विकसित यह केंद्र गंगा नदी के लिए सांस्कृतिक प्रतिबिंब, वैज्ञानिक समझ और पारिस्थितिकी संरक्षण के प्रतीक के रूप में उभर रहा है।
2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार और 2017 में उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद ,नमामि गंगे परियोजना के तहत 2019 में गंगा की यात्रा और पारिस्थितिकी तंत्र को जन-जन तक पहुंचाने के लिए “गंगा दर्पण” इंटरप्रिटेशन सेंटर की स्थापना की गई है। जिससे गंगा को अविरल और निर्मल बनाए रखने में लोग जागरूक हो। अब तक 20,000 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आगंतुकों ने गंगा दर्पण केंद्र का दौरा किया है। इसके साथ ही वर्क शॉप , शैक्षणिक सत्र आदि कार्यक्रम नदी संरक्षण और नागरिक जिम्मेदारियों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
जैव विविधता डायोरामा
गंगा की पारिस्थितिकी को संतुलित बनाए रखने वाले जलीय जंतु ,जो जल के अंदर हम लोगों को दिखाई नहीं देते , गंगा का थ्री डी मॉडल प्रदर्शित किया गया है। इसमें गंगा के वन्यजीवों ,डॉल्फिन, मगरमच्छ, कछुए, स्कीमर, सारस और ऊदबिलाव मॉडल के माध्यम से प्रदर्शित किये गए है। गंगा दर्पण केंद्र जैव विविधता के शिक्षा के लिए एक बड़ा केंद्र के रूप में उभर हो रहा है , जिसमें 62 से अधिक प्रजातियों के पक्षी दर्शाए गए हैं, जिनमें ग्रे हॉर्नबिल, भारतीय मोर, ब्लैक ड्रोंगो और ब्राह्मणी स्टार्लिंग शामिल हैं।
गंगा यात्रा 3-डी गंगा बेसिन मानचित्र
गंगा की पारिस्थितिकी तंत्र ,विरासत और संस्कृति को समझने के लिए उसके सम्पूर्ण यात्रा, उद्गम से संगम तक को समझना सबसे जरूरी है। गंगा दर्पण में 3 -डी के माध्यम से गंगा की सम्पूर्ण यात्रा में प्रमुख तीर्थ स्थलों, नदी, शहरों और गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान और हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य जैसे संरक्षित क्षेत्रों को दिखाया गया है। मौर्य से लेकर मुगलों तक के साम्राज्यों में गंगा के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को आइन-ए-अकबरी और बाबरनामा के संदर्भों के साथ प्रदर्शित करने वाला एक पैनल लगा है।
इंटरैक्टिव शिक्षण उपकरण
सभी जानकारियों के लिए अलग अलग विषयों के क्यूआर कोड लगे है , एक इंटरैक्टिव कियोस्क भी लगा है जिससे नदी और उसके आस-पास के विरासत, जैव विविधता के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है। इसके साथ ही मौर्य से लेकर मुगलों तक के साम्राज्यों में गंगा के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को आइन-ए-अकबरी और बाबरनामा के संदर्भों के साथ दिखाने वाला एक पैनल।
गंगा दर्पण केंद्र ,सारनाथ के कछुआ बचाव और पुनर्वास केंद्र के पास पौधों से घिरे प्राकृतिक टीले पर स्थित है। गंगा का प्रतिबिम्ब ये केंद्र स्कूल के बच्चों ,पर्यटकों और जन सामान्य में गंगा संरक्षण के विषय पर जागरूकता फैला रहा है। वर्तमान में विदेशो से भी पर्यटकों केंद्र देखने आ रहे है।
डा.रवि कुमार सिंह
मुख्य वन संरक्षक
वाराणसी मण्डल