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आतंकवादियों का समर्थन कर पर पूरी दुनिया में बेनकाब हो गया है पाकिस्तान: शाह

नागरिक अधिकार सुनिश्चित करने के लिए नए आपराधिक कानूनों पर पूरा अमल जरूरी: शाह

नयी दिल्ली : केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों पर भारत की सैन्य कार्रवाई के विरोध में और आतंकवादियों के समर्थन में भारत पर जवाबी कार्रवाई करने से दुनिया भर में पाकिस्तान की पहचान आंतकवाद का समर्थन करने वाले देश की बन गयी है और वह पूरी तरह बेनकाब हो गया है।श्री शाह ने शुक्रवार को यहां रूस्तमजी स्मृति व्याख्यान और सीमा सुरक्षा बल अलंकरण समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि पाकिस्तान बार बार दावा करता रहा है कि वह आतंकवाद को समर्थन नहीं देता लेकिन ऑपरेशन सिन्दूर के बाद के घटनाक्रम ने उसे बेनकाब कर दिया है। उन्होंने कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में शुरू किये गये ऑपरेशन सिन्दूर में भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और पाकिस्तान में केवल नौ आतंकवादी अड्डों को तबाह किया था और सैन्य तथा असैनिक अड्डों को निशाना नहीं बनाया था।

गृह मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान ने इसके जवाब में भारतीय सैन्य और असैनिक ठिकानों पर हमले की विफल कोशिश कर साबित कर दिया कि वह आतंकवाद का समर्थन करता है और आतंकवादियों को शह दे रहा है। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिन्दूर के बाद के घटनाक्रम से पाकिस्तान का पूरी तरह पर्दाफाश हो गया कि वह आतंकवाद को प्रश्रय दे रहा है। पूरी दुनिया ने देखा कि किस तरह पाकिस्तान सेना के अफसरों ने आतंकवादियों के जनाजों में नमाज पढी ।उन्होंने कहा कि दूसरी ओर भारतीय सेनाओं की सराहना की जानी चाहिए कि उन्होंने जवाबी कार्रवाई के दौरान पाकिस्तान के केवल सैन्य अड्डों को ही निशाना बनाया और असैनिक क्षेत्रों में हमला नहीं किया। उन्होंने कहा कि सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने भी अपनी वीरता का परिचय देते हुए पाकिस्तान को करारा जवाब दिया।सीमा सुरक्षा बल की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि एक दिसम्बर 1965 को अस्तित्व में आये बल को केवल छह वर्ष के अंदर ही 1971 में विकट लड़ाई का सामना करना पड़ा और इसमें इस बल ने जो वीरता दिखाई उसे भुलाया नहीं जा सकता।

उन्होंने कहा कि बंगलादेश को तो इसे कभी नहीं भूलना चाहिए।उन्होंने कहा कि 1965 से 2025 की बल की यात्रा अल्प साधनों और विपरीत परिस्थितियों में हुई और इसके बावजूद इस संगठन ने दुनिया के सबसे बड़े सीमा संगठन का सफर तय किया है। उन्होंने कहा कि सीमा सुरक्षा बल को दो बेहद मुश्किल सीमाओं पाकिस्तान तथा बंगलादेश की रक्षा की जिम्मेदारी मिली है और वह उसे अच्छी तरह से निभा रहा है। उन्होंने कहा कि देश के विकास में सीमा प्रहरियों का योगदान अमूल्य है।श्री शाह ने कहा कि भारत रक्षा क्षेत्र में तेजी से आत्मनिर्भर बन रहा है और सरकार इस दिशा में निरंतर प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि यह बल पन्द्रह हजार किलोमीटर लंबी सीमा की रक्षा पूरी जिम्मेदारी के साथ कर रहा है और भौगोलिक बाधाओं वाली सीमा पर प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रहा है।गृह मंत्री ने इस अवसर पर सीमा प्रहरियों को वीरता तथा उल्लेखनीय सेवाओं के लिए पदक प्रदान किये । उन्होंने कहा कि ये पदक सभी सीमा प्रहरियों की वीरता को सम्मानित करने की प्रक्रिया है और इसके लिए वह सभी को बधाई देते हैं। उन्होंने सीमाओं की रक्षा करते हुए प्राणों की आहुति देने वाले बल के जवानों को श्रद्धांजलि भी अर्पित की।इस अवसर पर केन्दीय गृह सचिव गोविंद मोहन और बल के महानिदेशक दलजीत सिंह चौधरी तथा अनेक वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

नागरिक अधिकार सुनिश्चित करने के लिए नए आपराधिक कानूनों पर पूरा अमल जरूरी: शाह

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को यहां आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के साथ राज्य में तीन नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन पर समीक्षा बैठक की और कहा कि नागरिकों को अधिकार दिलाने के लिए नए आपराधिक कानूनों का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन आवश्यक।बैठक में पुलिस, जेल, कोर्ट, अभियोजन और फॉरेन्सिक से संबंधित विभिन्न नए प्रावधानों के कार्यान्वयन और वर्तमान स्थिति की समीक्षा की गई। बैठक में केन्द्रीय गृह सचिव, आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक, महानिदेशक सहित गृह मंत्रालय और आंध्र प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।श्री शाह ने कहा कि तीन नए आपराधिक कानून, भारतीय संविधान की भावना को ज़मीन पर उतारने के लिए हैं।

उन्होंने कहा कि नए आपराधिक कानूनों के बनने मात्र से नागरिक अधिकार को बल नहीं मिलेगा, बल्कि नागरिकों को अधिकार दिलाने के लिए इन कानूनों का ज़मीनी स्तर पर पूर्ण कार्यान्वयन आवश्यक है। उन्होंने कहा कि नए आपराधिक कानूनों के पूर्ण अमल से ही नागरिकों को उनके अधिकार मिल सकते हैं जिसके लिए तकनीक का उपयोग और निरंतर निगरानी अतिआवश्यक है।केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आंध्र प्रदेश को नए आपराधिक कानूनों के पूर्ण कार्यान्वयन के लिए सटीक समीक्षा करनी चाहिए जिससे राज्य में नए कानूनों पर जल्द से जल्द अमल सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा कि 60 और 90 दिन की समयसीमा के अंदर आरोपपत्र दाखिल करने और आरोप तय करने के लिए समयसीमा तय करने पर जोर देना ज़रूरी है।श्री शाह ने कहा कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री महीने, मुख्य सचिव 15 दिन और राज्य के गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक सप्ताह में एक बार राज्य में नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन की स्थिति की समीक्षा करें।(वार्ता)

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