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जाति के नाम पर जहर फैलाने की साजिश को विफल करें:मोदी

ग्रामीणों के लिए सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करना प्राथमिकता: मोदी

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गांवों के विकास से ही विकसित भारत का निर्माण होने का हवाला देते हुए शनिवार को कहा कि कुछ लोग जाति के नाम पर समाज में जहर फैलाने और सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।श्री मोदी ने नाबार्ड द्वारा यहां आयोजित चार दिवसीय ग्रामीण भारत महोत्सव का शुभारंभ करते हुए कहा कि गांव की पहचान में सद्भाव और प्रेम होता है लेकिन कुछ लोग जाति के नाम पर समाज में जहर फैलाने और सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं, श्री मोदी ने इन साजिशों को विफल करने और गांव की साझा संस्कृति को संरक्षित करने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री ने गांवों को सशक्त बनाने और यह सुनिश्चित करने की दिशा में निरंतर काम करने की आवश्यकता पर जोर दिया कि संकल्प हर गांव तक पहुँचें। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि गांवों के विकास से विकसित भारत का निर्माण होगा।श्री मोदी ने आग्रह किया कि पूरे गांव को सामूहिक रूप से अपने गांव में बने अमृत सरोवर की देखभाल करनी चाहिए। उन्होंने चल रहे ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान का उल्लेख किया और अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए इस पहल में भाग लेने वाले प्रत्येक ग्रामीण के महत्व पर बल दिया।

ग्रामीणों के लिए सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करना प्राथमिकता: मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि ग्रामीण भारत के लोगों के लिए सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करना उनकी सरकार की प्राथमिकता है और इसलिए हर गांव में बुनियादी सुविधाओं की गारंटी के लिए अभियान शुरू किया गया है।प्रधानमंत्री ने नाबार्ड द्वारा यहां आयोजित चार दिवसीय ग्रामीण भारत महोत्सव 2025 का उद्घाटन करते हुए कहा,“हमारा लक्ष्य गांवों को विकास और अवसर के जीवंत केंद्रों में बदलकर ग्रामीण भारत को सशक्त बनाना है। हमारी सरकार की मंशा, नीतियां और निर्णय ग्रामीण भारत को नई ऊर्जा के साथ सशक्त बना रहे हैं।”उन्होंने कहा कि आज भारत सहकारिता के माध्यम से समृद्धि प्राप्त करने में लगा हुआ है।

उन्होंने कहा कि वर्ष की शुरुआत में ग्रामीण भारत महोत्सव का भव्य आयोजन भारत की विकास यात्रा की झलक और उसकी पहचान बना रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हममें से जो लोग गांवों में पैदा हुए और पले-बढ़े हैं, वे गांवों की क्षमता को जानते हैं। उन्होंने कहा कि गांव की आत्मा भी गांवों में रहने वालों में बसती है।उन्होंने कहा कि जो लोग गांवों में रहे हैं, वे गांव का सच्चा जीवन जीना भी जानते हैं। उन्होंने कहा कि वह भाग्यशाली हैं कि उनका बचपन एक छोटे से शहर में साधारण परिवेश में बीता। बाद में जब वे शहर से बाहर निकले तो उन्होंने ग्रामीण इलाकों में भी समय बिताया।

प्रधानमंत्री ने कहा,“मैंने कठिनाइयों का अनुभव किया है और गांवों की संभावनाओं से भी वाकिफ हूं।” उन्होंने कहा कि बचपन से ही उन्होंने देखा है कि गांव के लोग मेहनती तो होते हैं, लेकिन पूंजी की कमी के कारण वे सही अवसरों से चूक जाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में ग्रामीणों की अलग-अलग क्षमताएं होने के बावजूद वे अपनी बुनियादी सुविधाओं को पूरा करने की चाहत में खो जाते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों के सामने प्राकृतिक आपदाएं, बाजार तक पहुंच की कमी जैसी कई चुनौतियां हैं।श्री मोदी ने कहा कि यह सब देखने के बाद उन्होंने अपने मन को दृढ़ किया और चुनौतियों से निपटने के लिए प्रेरित हुए। आज ग्रामीण क्षेत्रों में किए जा रहे विकास कार्य गांवों से मिली सीख और अनुभवों से प्रेरित हैं। वह 2014 से लगातार ग्रामीण भारत की सेवा में लगे हुए हैं। उनका लक्ष्य एक सशक्त ग्रामीण भारत सुनिश्चित करना, ग्रामीणों को पर्याप्त अवसर प्रदान करना, पलायन को कम करना और गांवों के लोगों के जीवन को आसान बनाना है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक गांव में एक कार्यक्रम लागू किया है।श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत हर घर में शौचालय उपलब्ध कराया गया, ग्रामीण भारत में करोड़ों लोगों को पीएम आवास योजना के तहत पक्के घर दिए गए और जल जीवन मिशन के जरिए गांवों में लाखों घरों में सुरक्षित और स्वच्छ पेयजल सुनिश्चित किया गया।प्रधानमंत्री ने कहा कि आज 1.5 लाख से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। डिजिटल तकनीकों की सहायता से टेलीमेडिसिन ने गांवों में सर्वश्रेष्ठ डॉक्टरों और अस्पतालों का विकल्प सुनिश्चित किया है। ई-संजीवनी के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों के करोड़ों लोगों को टेलीमेडिसिन का लाभ मिला है।

श्री मोदी ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान, दुनिया को आश्चर्य हुआ कि भारत के गांव कैसे सामना करेंगे। हालांकि, सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि टीके हर गांव में अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे।प्रधानमंत्री ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए ग्रामीण समाज के हर वर्ग पर विचार करने वाली आर्थिक नीतियां बनाने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्हें खुशी है कि पिछले 10 वर्षों में सरकार ने गांव के हर वर्ग के लिए विशेष नीतियां बनाई हैं और फैसले लिए हैं।श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार की मंशा, नीतियां और फैसले ग्रामीण भारत में नई ऊर्जा भर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने ग्रामीणों को उनके गांवों में अधिकतम आर्थिक सहायता प्रदान करने, उन्हें खेती में शामिल करने और रोजगार और स्वरोजगार के नए अवसर पैदा करने के लक्ष्य को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि के माध्यम से किसानों को लगभग तीन लाख करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मिली है।उन्होंने कहा कि इसके अलावा, देश में 9,000 से अधिक किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) वित्तीय सहायता प्राप्त कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि भारत सहकारिता के माध्यम से समृद्धि की राह पर है और इसी उद्देश्य से 2021 में सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की गई। उन्होंने कहा कि किसानों और ग्रामीणों को उनके उत्पादों का बेहतर मूल्य मिले, इसके लिए लगभग 70,000 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) का कम्प्यूटरीकरण किया जा रहा है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि कृषि के अलावा हमारे गांवों में लोहार, बढ़ईगीरी और मिट्टी के बर्तन बनाने जैसी कई पारंपरिक कलाएं और कौशल प्रचलित रहे हैं। इन व्यवसायों ने ग्रामीण और स्थानीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, लेकिन पहले इनकी उपेक्षा की जाती थी। उन्होंने कहा कि उनके कौशल को बढ़ाने और सस्ती सहायता प्रदान करने के लिए विश्वकर्मा योजना लागू की जा रही है, जिससे लाखों विश्वकर्मा कारीगरों को आगे बढ़ने का अवसर मिल रहा है।

श्री मोदी ने कहा, “जब इरादे नेक होते हैं, तो परिणाम संतोषजनक होते हैं।” उन्होंने कहा कि देश अब पिछले 10 वर्षों में की गई कड़ी मेहनत का लाभ उठा रहा है। हाल ही में हुए एक बड़े सर्वेक्षण का हवाला देते हुए, जिसमें कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए, श्री मोदी ने कहा कि 2011 की तुलना में ग्रामीण भारत में खपत लगभग तीन गुनी हो गई है, जो दर्शाता है कि लोग अपनी पसंदीदा वस्तुओं पर अधिक खर्च कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले, ग्रामीणों को अपनी आय का 50 प्रतिशत से अधिक भोजन पर खर्च करना पड़ता था, लेकिन आजादी के बाद पहली बार ग्रामीण क्षेत्रों में भोजन पर खर्च 50 प्रतिशत से कम हो गया है। इसका मतलब है कि लोग अब अन्य इच्छाओं और जरूरतों पर खर्च कर रहे हैं, जिससे उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले यह माना जाता था कि शहरी व्यक्ति गांवों में रहने वालों की तुलना में अधिक खर्च कर सकते हैं, लेकिन निरंतर प्रयासों से यह असमानता कम हो गई है। ग्रामीण भारत की कई सफलता की कहानियाँ हमें प्रेरित करती हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये उपलब्धियाँ पिछली सरकारों के कार्यकाल के दौरान हासिल की जा सकती थीं, लेकिन आजादी के बाद दशकों तक लाखों गाँव बुनियादी आवश्यकताओं से वंचित रहे।उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति (एससी), अनसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ वर्ग (ओबीसी) की अधिकांश आबादी गाँवों में रहती है और पिछली सरकारों द्वारा उनकी उपेक्षा की गई थी। इससे गांवों से पलायन बढ़ा, गरीबी बढ़ी और ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों के बीच की खाई बढ़ती गई।

सीमावर्ती गांवों को देश का अंतिम गांव मानने की पुरानी धारणा का उदाहरण देते हुए श्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने उन्हें पहले गांव का दर्जा दिया है और उनके विकास के लिए वाइब्रेंट विलेज योजना शुरू की है। सीमावर्ती गांवों के विकास से वहां के निवासियों की आय बढ़ रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जिन लोगों को पहले नजरअंदाज किया जाता था, उन्हें अब उनकी सरकार द्वारा प्राथमिकता दी जा रही है।श्री मोदी ने आदिवासी क्षेत्रों के विकास के लिए पीएम जनमन योजना शुरू करने का उल्लेख किया, जिससे दशकों से विकास से वंचित क्षेत्रों को समान अधिकार सुनिश्चित हुए। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में उनकी सरकार ने पिछली सरकारों की कई गलतियों को सुधारा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार ग्रामीण विकास के माध्यम से राष्ट्रीय विकास के मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है।

उन्होंने कहा कि जहां कुछ लोग दशकों से गरीबी उन्मूलन के नारे लगा रहे हैं, वहीं अब देश में गरीबी में वास्तविक कमी देखी जा रही है।भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका और इस भूमिका का विस्तार करने के सरकार के प्रयासों पर जोर देते हुए, श्री मोदी ने कहा कि महिलाएं बैंक सखी और बीमा सखी के रूप में ग्रामीण जीवन को फिर से परिभाषित कर रही हैं और स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से एक नई क्रांति का नेतृत्व कर रही हैं।उन्होंने कहा कि गांवों में एक करोड़ महिलाएं लखपति दीदी बन चुकी हैं और सरकार का लक्ष्य तीन करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाना है। उन्होंने कहा कि दलित, वंचित और आदिवासी समुदायों की महिलाओं के लिए विशेष योजनाएं भी लागू की जा रही हैं।

ग्रामीण बुनियादी ढांचे पर अभूतपूर्व ध्यान केंद्रित करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अधिकांश गांव अब राजमार्गों, एक्सप्रेसवे और रेलवे से जुड़े हुए हैं।उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत पिछले 10 वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग चार लाख किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह बुनियादी ढांचा गांवों के विकास को गति दे रहा है, रोजगार के अवसर पैदा कर रहा है और गांवों को राष्ट्र की प्रगति में एकीकृत कर रहा है।स्वयं सहायता समूहों से लेकर किसान क्रेडिट कार्ड तक विभिन्न पहलों की सफलता में नाबार्ड के वरिष्ठ प्रबंधन द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए, श्री मोदी ने जोर देकर कहा कि नाबार्ड राष्ट्र के लक्ष्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा।

उन्होंने किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की ताकत और किसानों की उपज के लिए बेहतर मूल्य सुनिश्चित करने में उनकी भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने अधिक एफपीओ बनाने और उस दिशा में आगे बढ़ने की आवश्यकता पर बल दिया।प्रधानमंत्री ने कहा कि दूध उत्पादन वर्तमान में किसानों को सबसे अधिक लाभ प्रदान कर रहा है। उन्होंने देश भर में पहुंच के साथ अमूल जैसी 5-6 और सहकारी समितियां स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश मिशन मोड में प्राकृतिक खेती को आगे बढ़ा रहा है और इस पहल में अधिक किसानों को शामिल करने का आग्रह किया। श्री मोदी ने देश भर में अपने उत्पादों की मांग को पूरा करने के लिए स्वयं सहायता समूहों को सूक्ष्म और लघु उद्योगों (एमएसएमई) से जोड़ने के महत्व पर प्रकाश डाला।

उन्होंने इन उत्पादों की उचित ब्रांडिंग और मार्केटिंग की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने जीआई उत्पादों की गुणवत्ता, पैकेजिंग और ब्रांडिंग पर ध्यान देने के महत्व पर भी बल दिया।ग्रामीण आय में विविधता लाने पर काम करने की आवश्यकता पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने सिंचाई को किफायती बनाने, सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देने, अधिक ग्रामीण उद्यम बनाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए प्राकृतिक खेती के लाभों को अधिकतम करने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस दिशा में समयबद्ध प्रयास करने का आग्रह किया।(वार्ता)

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