
मोदी ने ‘घाम तापो’ के तौर पर की उत्तराखंड विंटर टूरिज्म की ब्रांडिंग
उत्तराखंड के हर्षिल पहुंचे पीएम मोदी, मुखीमठ में की मां गंगा की पूजा-अर्चना
देहरादून: एक दिवसीय शीतकालीन यात्रा पर गुरुवार को उत्तराखंड के उत्तरकाशी पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुखवा और हर्षिल से उत्तराखंड में शीतकालीन तीर्थाटन और पर्यटन की जोरदार ब्रांडिंग की। उन्होंने तीर्थयात्रियों, पर्यटकों से लेकर कॉरपोरेट और फिल्म उद्योग तक को विंटर सीजन में उत्तराखंड आने का निमंत्रण दिया। उन्होंने उत्तराखंड के विंटर टूरिज्म की ब्रांडिंग ‘घाम तापो टूरिज्म’ के तौर पर की है।हर्षिल में जनसभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने सबसे पहले बीते दिनों माणा में हुए हिमस्खलन में दिवंगत लोगों के प्रति दुख: व्यक्त किया। इसके बाद उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की यह भूमि, आध्यात्मिक ऊर्जा से ओत प्रोत है। उन्होंने उत्तराखंड से अपना आत्मीय लगाव, व्यक्त करते हुए कहा कि वो जीवनदायिनी मां गंगा के शीतकालीन गद़्दी स्थल पर अपने परिवारजनों के बीच पहुंचकर धन्य महसूस कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मां गंगा की कृपा से ही उन्हें दशकों तक उत्तराखंड की सेवा का सौभाग्य मिला। मां गंगा के आशीर्वाद से ही वह काशी पहुंच, सांसद के रूप में काशी की सेवा कर रहे हैं। इसलिए उन्होंने कहा था कि मां गंगा ने ही उन्हें काशी बुलाया है। उन्होंने दार्शनिक अंदाज में कहा कि उन्हें कुछ महीने पहले अनुभूति हुई कि जैसे मां गंगा ने उन्हें गोद ले लिया है, अब अपने बच्चे के प्रति मां गंगा का दुलार ही है कि वो आज खुद मुखवा गांव पहुंच पाए हैं। उन्होंने कहा कि वो हर्षिल की धरती पर आकर, अपनी दीदी भुलियों को भी याद कर रहे हैं, क्योंकि वो उन्हें हर्षिल की राजमा और अन्य लोकल प्रॉडक्ट भी भेजती रहती हैं।
श्री मोदी ने कहा कि कुछ साल पहले जब वो बाबा केदार के दर्शन के लिए आए थे तो बाबा के दर्शन के बाद उनके मुंह से अचानक ही भाव प्रकट हुआ कि ये दशक उत्तराखंड का होने जा रहा है। ये भाव भले ही उनके थे, लेकिन इसके पीछे सामर्थ्य देने की शक्ति बाबा केदार की थी। अब बाबा के आशीर्वाद से ये शब्द धीरे- धीरे सच्चाई में बदल रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये दशक अब उत्तराखंड का बन रहा है। उत्तराखंड की प्रगति के लिए, नए-नए रास्ते खुल रहे हैं, जिन आकांक्षाओं को लेकर उत्तराखंड का जन्म हुआ था, उत्तराखंड नित नए लक्ष्य और संकल्प लेते हुए, उन्हें पूरा कर रहा है।प्रधानमंत्री ने शीतकालीन तीर्थाटन-पर्यटन पर जोर देते हुए कहा कि इसके माध्यम से उत्तराखंड की आर्थिक सामर्थ को साकार करने में बहुत बड़ी मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने इस अभिनव पहल के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को बधाई देते हुए कहा कि उत्तराखंड के लिए अपने टूरिज्म सेक्टर को बहुआयामी या बारामासी बनाना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में 365 दिन का पर्यटन जरूरी है। वो चाहते हैं कि उत्तराखंड में कोई भी पर्यटन सीजन ऑफ नहीं रहे, बल्कि हर सीजन में टूरिज्म ऑन रहे।श्री मोदी ने कहा कि अभी पहाड़ों पर मार्च से जून के बीच ही ज्यादातर पर्यटन आते हैं, जबकि इसके बाद पर्यटकों की संख्या बहुत कम हो जाती है। अभी सर्दियों के सीजन में होटल, रिजॉर्ट, होम स्टे खाली पड़े रहते हैं। ये असंतुलन साल के बड़े हिस्से में उत्तराखंड की आर्थिकी को सुस्त कर देता हैं। जबकि सच्चाई यह कि अगर देश- विदेश के लोग, सर्दियों में यहां आए तो उन्हें सच्चे अर्थ में देवभूमि की आभा के दर्शन होंगे। उन्होंने कहा कि विंटर टूरिज्म में यहां लोगों को ट्रैकिंग, स्कीइंग जैसी एक्टिविटी का रोमांच मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि धार्मिक यात्रा के लिए भी उत्तराखंड में सर्दियों का समय बेहद खास होता है। यहां इस समय कई तीर्थ स्थलों पर विशेष अनुष्ठान होते हैं। यहां मुखवा गांव में ही जो अनुष्ठान किया जाता है, वो हमारी प्राचीन परंपरा का हिस्सा है, इसलिए उत्तराखंड सरकार का बारामासी पर्यटन का विजन, लोगों को दिव्य अनुभूति से जोड़ेगा। इससे यहां साल भर रोजगार के अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार उत्तराखंड को विकसित राज्य बनाने के लिए मिलकर काम कर रही है। राज्य में चारधाम, ऑल वेदर रोड आधुनिक एक्सप्रेस वे से लेकर रेलवे और हेली सेवाओं का विस्तार हो रहा है।उल्लेखनीय है कि एक दिन पहले ही बुधवार को केंद्र सरकार ने केदारनाथ और हेमकुंड साहिब के लिए रोपवे को मंजूरी प्रदान की है। केदारनाथ रोपवे के जरिए आठ से नौ घंटे की पैदल यात्रा 30 मिनट में पूरी हो जाएगी। इससे बुजुर्ग, महिलाओं ओर बच्चों की यात्रा सुगम हो सकेगी।
श्री मोदी ने कहा कि उत्तराखंड में पर्यटकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। 2014 से पहले चार धाम यात्रा पर प्रतिवर्ष 18 लाख यात्री ही आते थे। अब हर साल 50 लाख से अधिक यात्री चारधाम यात्रा पर आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस साल के बजट में 50 टूरिस्ट डेस्टिनेशन विकसित किए जा रहे हैं। इसके जरिए सरकार का प्रयास है कि उत्तराखंड के बॉर्डर वाले इलाकों में पर्यटक पहुंचे। उन्होंने कहा कि पहले सीमावर्ती गांवों को आखिरी गांव कहा जाता था। लेकिन अब उन्हें पहला गांव कहा जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसी क्रम में सीमावर्ती गांवों के विकास के लिए वाइब्रेंट विलेज योजना शुरू की गई है, इसके जरिए नेलांग और जादुंग गांव फिर से बसाए जा रहे हैं।प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के टिम्मबर सैंण, महादेव सैंण, माणा और जादुंग गांव में पर्यटकों के लिए आधारभूत सुविधाएं जोड़ी जा रही हैं। जादुंग को 1962 में चीन युद्ध के समय खाली करा दिया गया था। अब 70 साल बाद सरकार इस गांव को फिर से बसा रही है।
उन्होंने देशभर के लोगों, खासकर युवाओं से सर्दियों में उत्तराखंड आने का आह्वान करते हुए कहा कि सर्दियों में जब देश के बड़े हिस्से में कोहरा होता है, तो पहाड़ों में आप धूप का आनंद ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि गढ़वाली में इसे ‘घाम तापो पर्यटन’ कहते हैं।श्री मोदी ने देश के कॉरपोरेट से उत्तराखंड में विंटर टूरिज्म से जुड़ने की अपील करते हुए कहा कि कॉरपोरेट की मीटिंग, कांफ्रेंस, सेमिनार, एक्जीबिशन के लिए देवभूमि से अच्छी जगह नहीं हो सकती है। यहां आकर योग और आवुर्वेद के जरिए आप खुद को रिचार्ज कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसी तरह कॉलेज, यूनिवर्सिटी, स्कूलों के नौजवान विंटर ट्रिप के लिए उत्तराखंड आ सकते हैं।प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे यहां हजारों करोड़ रुपए की वैडिंग इकॉनामी है। इसलिए उन्होंने देशवासियों से ‘वेड इन इंडिया’ के तहत देश में ही शादियां करने की अपील की थी। उन्होंने कहा कि सर्दियों के सीजन में वेडिंग डेस्टिनेशन के लिए देशवासी उत्तराखंड को प्राथमिकता दे सकते हैं। इसी तरह, भारत की फिल्म इंडस्ट्री उत्तराखंड का रुख कर सकती है। उत्तराखंड को ‘ मोस्ट फिल्म फ्रैंडली स्टेट’ का पुरस्कार मिल चुका है। यहां फिल्म शूटिंग के लिए शानदार सुविधाएं विकसित हो रही हैं।
श्री मोदी ने कहा कि दुनिया के कई देश, विंटर टूरिज्म के लिए जाने जाते हैं। उत्तराखंड उनसे बहुत कुछ सीख सकता है। इसके लिए उत्तराखंड टूरिज्म के सभी स्टेक होल्डर मिलकर अध्ययन करें। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में कई जगह हॉट स्प्रिंग हैं। इन्हें वेलनेस स्पा के रूप में विकसित किया जा सकता है। धार्मिक आध्यात्मिक और योग जगत के दिग्गज सर्दियों में अपने यहां विशेष योगा कैम्प लगा सकते हैं।प्रधानमंत्री ने हर्षिल में विंटर टूरिज्म पर लगाई गई, प्रदर्शनी का उल्लेख करते हुए कहा कि उनका मन कर रहा था, के वो पचास साल पुराने दिनों में लौटकर इन सभी जगहों पर कुछ दिन बिता सकूं। उन्होंने कहा कि हमें उत्तराखंड के विंटर टूरिज्म की जानकारी लोगों तक पहुंचाने के लिए कंटेंट क्रिएटर की मदद लेनी चाहिए। इसके लिए एक प्रतियोगिता आयोजित की जा सकती है। उन्होंने गंगा मैया की जय नारे के साथ अपने संबोधन का समापन किया।
इस अवसर पर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री का माँ गंगा के मायके मुखवा एवं सीमांत क्षेत्र हर्षिल घाटी आगमन पर सभी प्रदेशवासियों की ओर से स्वागत किया। उन्होंने कहा “ यह हमारा सौभाग्य है कि उत्तराखंड के चहुँमुखी विकास के साथ ही यहाँ की आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने में हमें सदैव प्रधानमंत्री का मार्गदर्शन एवं सहयोग प्राप्त होता रहा है। उन्त्तराखंड में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के सफल आयोजन, विश्व स्तरीय जी-20 सम्मेलन की बैठकों का आयोजन, यूसीसी जैसा कानून लागू करना हो या फिर हाल ही में उत्तराखंड में आयोजित हुए 38वें राष्ट्रीय खेलों का भव्य आयोजन हो, प्रधानमंत्री का राज्य को हमेशा मार्गदर्शन मिला।”श्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड पर जब भी कोई विपदा आयी है, चाहे केदारनाथ यात्रा मार्ग पर आई प्राकृतिक आपदा, जोशीमठ में भूधंसाव, सिलक्यारा टनल हो या फिर अभी हाल ही में चमोली में माणा गाँव के पास हुई हिमस्खलन की घटना हो। प्रधानमंत्री हमारे साथ सदैव खड़े रहे है।
मुख्यमंत्री ने 04 हजार 81 करोड़ रूपए की लागत से गौरीकुंड से केदारनाथ और 27 सौ 30 करोड़ रूपए से अधिक की लागत से गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक रोपवे निर्माण की सौगात देने के लिए प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इन दोनों रोपवे परियोजनाओं के पूर्ण होने के बाद तीर्थयात्रियों को आवगमन के लिए सुगमता होगी और प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।श्री धामी ने कहा कि चारधाम यात्रा उत्तराखंड की आर्थिकी का एक प्रमुख आधार है। होटल व्यवसायियों से लेकर टैक्सी चालकों, स्थानीय दुकानदारों के साथ ही यात्रा से जुड़े हुए लाखों लोगों को रोज़गार के अवसर प्राप्त होते हैं। उन्होंने कहा कि शीतकाल में उत्तराखण्ड के चारों धामों के कपाट बंद होने के बाद इन सभी लोगों की आर्थिकी प्रभावित होती थी। जिसके दृष्टिगत, प्रधानमंत्री जी से मार्गदर्शन प्राप्त कर इस वर्ष से राज्य में शीतकालीन यात्रा की शुरुआत की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के आगमन से न केवल शीतकालीन यात्रा को वृहद् स्तर पर बढ़ावा मिलेगा बल्कि सीमांत क्षेत्र में ट्रेकिंग और माउंटेन बाइकिंग के साथ-साथ दूसरी एडवेंचरस एक्टिविटीज को भी बढ़ावा मिलेगा। साथ ही राज्य में दो बड़े धार्मिक आयोजन प्रस्तावित है। जिनमें नंदा राजजात यात्रा और कुंभ शामिल है। उन्होंने कहा कि हमें विश्वास है कि पीएम के नेतृत्व में इन दोनों आयोजन का सफलतापूर्वक निर्वहन करेंगे।इस अवसर पर केंद्रीय राज्यमंत्री अजय टम्टा, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट, सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह, विधायक सुरेश चौहान भी मौजूद रहे।
उत्तराखंड के हर्षिल पहुंचे पीएम मोदी, मुखीमठ में की मां गंगा की पूजा-अर्चना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी 6 मार्च को उत्तराखंड दौरे पर हैं। यहां पीएम मोदी मुखवा में स्थित मुखीमठ में मां गंगा के शीतकालीन प्रवास स्थल पर पूजा-अर्चना की। इसके बाद यहां उन्होंने स्थानीय कलाकारों के साथ समय बिताया और मखुवा में पारंपरिक लोक नृत्य का आनंद लिया। मखुवा, मां गंगा की शीतकालीन राजधानी के रूप में प्रसिद्ध है, में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुखीमठ में मां गंगा की पूजा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के हर्षिल में एक ट्रेक और बाइक रैली को झंडी दिखाई। इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी उपस्थित थे।
शीतकालीन पर्यटन कार्यक्रम शुरू
बता दें कि उत्तराखंड सरकार ने इस साल शीतकालीन पर्यटन कार्यक्रम शुरू किया है। हजारों श्रद्धालु पहले ही गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के शीतकालीन स्थलों की यात्रा कर चुके हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना और स्थानीय अर्थव्यवस्था, होमस्टे सहित पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा देना है।
पीएम मोदी ने मुखीमठ में की मां गंगा की पूजा
पीएम मोदा का यह दौरा पहले 27 फरवरी को प्रस्तावित था। हालांकि, मौसम और अन्य वजहों से दौरा रद्द हो गया। पीएम मोदी के आज के दौरे को लेकर जिला प्रशासन ने मुखवा में गंगा मंदिर में पूजा-अर्चना समेत हर्षिल में प्रस्तावित जनसभा को लेकर तैयारी पूरी कर ली है। मुखवा में प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए गांव के प्रमुख रास्तों व चौक को फूलों से सजाया गया है।
हर्षिल से 2 KM की दूरी पर मुखवा गांव
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 75 किमी दूर हर्षिल से 2 किलोमीटर की दूरी पर मुखवा गांव बसा है। मुखवा को मां गंगा का शीतकालीन प्रवास स्थल कहा जाता है, जिसमें गंगोत्री धाम के तीर्थ पुरोहितों सहित करीब 450 परिवार रहते हैं। गंगोत्री धाम के कपाट बंद हो जाने के बाद शीतकाल के दौरान मां गंगा की मूर्ति 6 माह के लिए स्थापित की जाती है। 6 महीने में मुखवा गांव में काफी चहल-पहल रहती है। कपाट खुलने के बाद पूरा गांव भव्य विदाई कार्यक्रम के साथ गंगा की भोग मूर्ति को लेकर गंगोत्री पहुंचता है।(वार्ता)वीएनएस
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