Off Beat

इसरो ने अंतरिक्ष में फसल उगाने जैसी तकनीक पर पायी सफलता

चेन्नई : अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष में फसल उगाने और रोबोटिक वॉक जैसी तकनीकों पर सफलता पायी है।दोनों ही वैज्ञानिक प्रयोगों का उपयोग करके 31 दिसंबर, 2024 को स्पैडेक्स अंतरिक्ष डॉकिंग प्रौद्योगिकी मिशन के हिस्से के रूप में पीएसएलवी-सी 60 पर पीओईएम -4 के भाग के रूप में लॉन्च किया गया।इसरो ने कहा कि पीओईएम-4 पर चलने वाले रोबोटिक हाथ का प्रदर्शन अंतरिक्ष रोबोटिक्स में मेक इन इंडिया का एक गौरवपूर्ण मील का पत्थर है।

एजेंसी ने कहा कि वैज्ञानिक प्रयोग क्रॉप्स का उपयोग करते हुए, इसरो ने फसलों की खेती करके नई अंतरिक्ष जीव विज्ञान तकनीक का अनावरण किया। पीएसएलवी-सी 60 चौथे चरण पर पीओईएम-4 के हिस्से के रूप में भेजे गये 24 वैज्ञानिक प्रयोगों में से एक का उपयोग करते हुये, लोबिया के बीज रिकॉर्ड चार दिनों में अंकुरित हुए और जल्द ही पत्तियाँ आने की उम्मीद है।इस प्रयोग का उद्देश्य, यह समझना था कि शून्य गुरुत्वाकर्षण में पौधे कैसे उगते हैं और उनका विकास किस प्रकार होता है। इससे अंतरिक्ष में दीर्घकालिक मिशनों के लिए आत्मनिर्भरता बढ़ सकती है, जैसे कि मंगल या चांद पर मानव बस्तियाँ स्थापित करना।

एजेंसी के अनुसार, 31 दिसंबर को लॉन्च के बाद, सात दिनों में अंकुर निकलने की उम्मीद थी, लेकिन यह चार दिनों में हुआ। पीएसएलवी-सी60 को नए साल की पूर्व संध्या पर दो स्पैडेक्स उपग्रहों चार्जर और टारगेट के साथ लॉन्च किया गया था, दोनों का वजन 220 किलोग्राम था, जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक का प्रदर्शन करना था।इसरो ने कहा कि दोनों उपग्रहों की डॉकिंग सात जनवरी की सुबह होगी। उन्होंने कहा, “अंतरिक्ष में जीवन अंकुरित होता है! पीएसएलवी-सी60, पीओईएम-4 पर वीएसएससी के क्रॉप्स (कॉम्पैक्ट रिसर्च मॉड्यूल फॉर ऑर्बिटल प्लांट स्टडीज) प्रयोग ने चार दिनों में लोबिया के बीजों को सफलतापूर्वक अंकुरित किया।

”इन उपलब्धियों से इसरो की अंतरिक्ष विज्ञान में तकनीकी क्षमता का एक और उदाहरण सामने आया है, जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को और अधिक उन्नत बनाने में मदद करेगा। (वार्ता)

एआई के क्षेत्र में आगे रहना चाहता है भारत : मोदी

फर्जी फॉर्म भरवाकर महिलाओं का वोट हासिल करने की कोशिश में केजरीवाल: कांग्रेस

Website Design Services Website Design Services - Infotech Evolution
SHREYAN FIRE TRAINING INSTITUTE VARANASI

Related Articles

Graphic Design & Advertisement Design
Back to top button