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फेविपिराविर की किफायती प्रक्रिया प्रौद्योगिकी के शीघ्र लांच किए जाने की उम्मीद

एक बिना पैटेंट वाली तथा वायरल रोधी दवा फेविपिराविर जिसकी खोज मूल रूप से जापान की फुजी द्वारा की गई थी, ने कोविड-19 मरीजों, विशेष रूप से हल्के और मझोले लक्षण वाले रोगियों के उपचार के लिए नैदानिक परीक्षणों में उम्मीद प्रदर्शित की है ।सीएसआईआर घटक प्रयोगशाला सीएसआईआर-भारतीय रसायन प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएसआईआर-आईआईसीटी) ने इस सक्रिय फार्मास्युटिकल इंग्रडिएंट (एपीआई) को संश्लेषित करने के लिए स्थानीय रूप से उपलब्ध रसायनों का उपयोग करने के जरिये एक किफायती प्रक्रिया विकसित की है और यह प्रौद्योगिकी फार्मास्युटिकल क्षेत्र की अग्रणी कंपनी मेसर्स सिप्ला लिमिटेड को अंतरित कर दी है।

सिप्ला ने अपने विनिर्माण सुविधा केंद्र में इस प्रक्रिया को और आगे बढ़ाया है और भारत में इस उत्पाद को लॉन्‍च करने के लिए डीसीजीआई से संपर्क किया है। यह देखते हुए कि डीसीजीआई ने देश में फेविपिराविर के लिए सीमित आपातकालीन उपयोग की अनुमति दी है, सिप्ला कोविड-19 से पीड़ित रोगियों की मदद के लिए इस उत्पाद को लॉन्‍च करने हेतु अब पूरी तरह तैयार है।

इस घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए, सीएसआईआर-आईआईसीआर के निदेशक डॉ. एस चंद्रशेखर ने कहा कि सीएसआईआर-आईआईसीटी द्वारा उपलब्ध प्रौद्योगिकी बहुत प्रभावी है और यह इसे सभी के लिए सुलभ बनाता है तथा सिप्ला को अल्प समय के भीतर ही उत्पादों की बड़ी मात्राओं के निर्माण में सक्षम बनाता है।

सीएसआईआर के महानिदेशक डा. शेखर सी मांडे ने टिप्पणी की कि सीएसआईआर कोविड-19 में कमी लाने के लिए त्वरित समाधानों एवं उत्पादों के विकास में उद्योग के साथ मिल कर काम कर रहा है तथा सिप्ला के साथ यह साझीदारी इस बात का उदाहरण है कि सीएसआईआर किस प्रकार पुनरुद्वेषित औषधि को फास्ट ट्रैक पर लाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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