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सोनिया को दी थी जम्मू-कश्मीर में आधार मजबूत रखने की सलाह : डॉ कर्णसिंह

आसन के सामने आकर संसद को बाधित करना ठीक नहीं: डॉ सिंह

नयी दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ कर्ण सिंह ने कहा है कि उन्होंने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को दो दशक पहले जम्मू -कश्मीर में पार्टी का आधार मजबूत बनाए रखने की सलाह दी थी और उसी का परिणाम रहा कि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के विरोध की जबरदस्त लामबंदी के बावजूद गुलाम नबी आजाद वहां मुख्यमंत्री बने थे।डॉ सिंह ने बुधवार को यहां पूर्व कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजादी की पुस्तक ‘आजाद-एन बॉयोग्राफी’ का विमोचन करते हुए कहा कि 2002 के चुनाव में जम्मू- कश्मीर विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। इसके बावजूद मुफ्ती मोहम्मद सईद की पीडीपी सरकार बनाने के लिए जबरदस्त लामबंदी कर रही थी।

उन्होंने कहा कि इस चुनाव में 87 सदस्यीय विधानसभा में नेशनल कांफ्रेंस को 28 सीटें, कांग्रेस 21 सीटें और पीडीपी को महज 16 सीटें मिली थीं। सबसे छोटा दल होने के बावजूद पीडीपी सरकार बनाने के लिए जबरदस्त लामबंदी कर रही थी।कांग्रेस नेता ने कहा, “इस चुनाव के बाद जम्मू-कश्मीर में जो कुछ हो रहा था. उससे वह परेशान थे। उन दिनों वह कांग्रेस कार्यकारिणी के सदस्य थे और जब सीडब्ल्युसी की बैठक हुई तो श्री आजाद ने भी अपनी बात खुलकर रखी। मैंने साफ कहा कि यदि कांग्रेस को जिंदा रहना है तो वहां अपनी सरकार बनानी होगी।

पार्टी ने फार्मूला सुझाने के लिए एंटनी समिति बनाई,लेकिन मेरा मानना था कि सरकार कांग्रेस की बने।”उन्होंने कहा कि इसी बीच तीन-तीन साल सरकार चलाने का फार्मूला सामने आया तो पीडीपी तब भी उग्र थी। उसने कहा कि पहले तीन साल उसे ही चाहिए और जब समय खत्म होने लगा तो प्रचार किया कि काम बहुत अच्छा चल रहा है इसलिए अगले तीन साल भी पीडीपी को मिले। कांग्रेस ने दबाव बनया तो गुलाम नबी मुख्यमंत्री बने और उनके कार्यकाल को लोग आज भी याद करते हैं।”

आसन के सामने आकर संसद को बाधित करना ठीक नहीं: डॉ सिंह

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. कर्ण सिंह ने संसद में तीन सप्ताह से लगातार चल रहे हंगामे पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि सांसदों का बार बार आसन के सामने आना और सदन की कार्यवाही बाधित करना उचित नहीं है।डॉ सिंह ने बुधवार को यहां कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजादी की पुस्तक “आजाद : एन बॉयोग्राफी’’ का लोकार्पण करते हुए कहा कि संसद में हंगामा कर आये दिन सदन के बीचों बीच आना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि सदस्य बार बार ‘कुएं’ में क्यों चले जाते हैं यह बात समझ नहीं आती है।

उन्होंने कहा, “संसद ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा के लिए होती है। वहा देश के समक्ष मौजूद समस्याओं पर चर्चा होनी चाहिए, लेकिन संसद में कोई न बोलता है और न कोई सुनता है। सदस्यों को बात बात पर ‘वेल’ में जाना ठीक नहीं है।”कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद के राजनीतिक करियर की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा “श्री आजाद ने विपक्ष के नेता की भूमिका प्रतिष्ठा और सम्मान के साथ निभाई है। यही नहीं कांग्रेस पार्टी में वह ऐसा नेता रहे हैं, जिन्होंने महासचिव के रूप में हर प्रांत के प्रभारी की भूमिका निभाई।

श्री आजाद एक प्रभावशाली राजनेता रहे हैं और उन्होंने जम्मू- कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में जो काम किया है, उसको लोग आज भी याद करते हैं।”श्री आजाद ने कहा कि उनके पास बहुत कुछ मैटर है और इस किताब से ज्यादा उनके पास अगली पुस्तक में लिखने के लिए बाकी बचा है। उनका कहना था कि जीवन भर वह राजनीति में व्यस्त रहे और कभी समय नहीं मिला, लेकिन कोरोना के दौरान उन्हें जो वक्त मिला उसका उन्होंने पुस्तक लिखने के लिए इस्तेमाल किया।उन्होंने राजनीति में आ रहे युवाओं से कहा, “युवा एमपी, एमएलए बनने का सपना लेकर राजनीति में आते हैं, लेकिन एमपी एमएलए बनना आसाना नहीं है। राजनीति में मरने तथा भूखे रहने के लिए भी तैयार रहना चाहिए।”

कार्यक्रम में जम्मू- कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री तथा नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूख अब्दुल्ला, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, जनता दल यू के के सी त्यागी, द्रविड़ मुन्नत्र कषगम (द्रमुक) की कनिमौजी, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, कांग्रेस नेता आनंद शर्मा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पाटी के प्रफल्ल पटेल, पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी सहित कई प्रमुख लोग मौजूद थे।(वार्ता)

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