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कैबिनेट ने एनबीएफसी/एचएफसी की नकदी की समस्या के समाधान के लिए विशेष नकदी योजना को मंज़ूरी दी

नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और आवास वित्त कंपनियों की नकदी की स्थिति में सुधार के लिए वित्त मंत्रालय द्वारा उनके वास्ते एक नई विशेष नकदी योजना शुरु करने के प्रस्ताव को अपनी मंज़ूरी दे दी है।

वित्तीय निहितार्थ:

सरकार के लिए इसका सीधा वित्तीय आशय 5 करोड़ रुपये है जो विशेष उद्देश्य संवाहक (एसपीडब्ल्यू) के लिए इक्विटी योगदान हो सकता है। इसके अलावा, सरकार के लिए इसमें शामिल गारंटी शुरु होने तक कोई वित्तीय निहितार्थ नहीं है। हालांकि, ऐसा होने पर सरकार के उत्तरदायित्व की सीमा डिफॉल्ट राशि के बराबर होती है जो कि गारंटी की उच्चतम सीमा पर निर्भर करता है। कुल गारंटी की उच्चतम सीमा 30,000 करोड़ रुपये तय की गई है जो जरूरत के अनुसार अभिष्ट राशि तक बढ़ाई जा सकती है।

योजना का विवरण:

सरकार ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) की नकदी की समस्या के समाधान के लिए एक विशेष नकदी योजना के जरिए एक कार्ययोजना का प्रस्ताव किया है। स्ट्रेस्ड संपत्ति फंड (एसएएफ) का प्रबंधन करने के लिए एक एसपीवी का गठन किया जाएगा जिसके विशेष प्रतिभूतियों की गारंटी भारत सरकार देगी और उसे सिर्फ भारतीय रिज़र्व बैंक ही खरीदेगा। ऐसी प्रतिभूतियों की खरीद प्रक्रिया का इस्तेमाल एनबीएफसी/एचएफसी के लघु अवधि के ऋणों को हासिल करने के लिए एसपीवी ही करेगा। इस योजना को वित्तीय सेवा विभाग प्रभाव में लाएगा जो विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करेगा।

क्रियान्वयन कार्यक्रम:

सार्वजनिक क्षेत्र का एक बड़ा बैंक स्ट्रेस्ड संपत्ति फंड (एसएएफ) का प्रबंधन करने के लिए एक एसपीवी का गठन करेगा जो भारत सरकार की गारंटी के साथ ब्याज वाली विशेष प्रतिभूतियां जारी करेगी और उसे सिर्फ भारतीय रिज़र्व बैंक ही खरीदेगा। एसपीवी जरूरत के हिसाब से प्रतिभूतियां जारी करेगा जो प्रतिभूतियों की बकाया राशि पर निर्भर करेगा और यह राशि 30,000 करोड़ से अधिक नहीं होगी और जरूरत पड़ने पर इसे अभिष्ट राशि तक बढ़ाई जा सकती है। एसपीवी द्वारा जारी प्रतिभूतियों को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा खरीदा जाएगा और इसरकी प्रक्रिया का इस्तेमाल योग्य एनबीएफसी/एचएफसी के कम से कम लघु अवधि के ऋणों को हासिल करने के लिए एसपीवी ही करेगा।

प्रभाव:

आंशिक क्रेडिट गारंटी योजना के विपरीत, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के विभिन्न बैंकों और एनबीएफसी के बीच कई द्विपक्षीय सौदे शामिल हैं, एनबीएफसी को अपने मौजूदा परिसंपत्ति पोर्टफोलियो को अलग करने की जरूरत होती है और इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से धन प्रवाह शामिल होता है। प्रस्तावित योजना एसपीवी और एनबीएफसी के बीच अपनी मौजूदा परिसंपत्ति को अलग किए बिना वन स्टेप व्यवस्था होगी। यह योजना एनबीएफसी को निवेश ग्रिड या जारी किए गए बॉन्ड के लिए बेहतर रेटिंग दिलाने का अधिकार भी देगा। इस योजना के संचालित होने और गैर-बैंकिंग क्षेत्र से धन प्रवाह को बढ़ाने में आसानी होने की संभावना है।

लाभ:

2020-21 के बजट भाषण में यह घोषणा की गई है कि एनबीएफसी/एचएफसी को अतिरिक्त नकदी की सुविधा प्रदान करने के लिए एक तंत्र तैयार किया जाएगा जो पीसीजीएस के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा। यह सुविधा सरकार और आईबीआई द्वारा अब तक किए गए उपायों की पूरक होगी। इस योजना से एनबीएफसी/एचएफसी/एमएफआई के ऋण संसाधनों में बढ़ोतरी करके वास्तविक अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।

पृष्ठभूमि:

2020-21 के बजट भाषण में यह घोषणा की गई है कि एनबीएफसी/एचएफसी को अतिरिक्त नकदी की सुविधा प्रदान करने के लिए एक तंत्र तैयार किया जाएगा जो आंशिक क्रेडिट गारंटी योजना (पीसीजीएस) के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा। कोविद-19 की वजह से उभरती स्थिति के कारण वित्तीय स्थिरता को मजबूत करने के लिए उपरोक्त बजट घोषणा को लागू करने अति आवश्यक है।

 

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