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कश्मीर में भेदभाव के बिना जन जन तक पहुंच रहा है विकास: शाह

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज कहा कि सरकार ने कश्मीर घाटी में आतंकवाद पर अंकुश लगाते हुए जन जन तक बिना किसी भेदभाव के विकास कार्यों को पहुंचाया है।श्री शाह ने गुरूवार को वीडियो कॉन्फ़्रेन्स के माध्यम से जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में स्वामी रामानुजाचार्य जी की शांति प्रतिमा का अनावरण किया। इस अवसर पर जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और श्री यदुगिरी यतिराज मठ के श्री श्री यतिराज जीयरस्वामी जी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने इस मौके पर अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में श्री सिन्हा ने कश्मीर में आतंक पर निर्णायक वर्चस्व स्थापित करने का काम किया है और कश्मीर के जन-जन तक बिना किसी भेदभाव के विकास कार्यों को पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने धारा 370 और 35 ए हटाये जाने के बाद कश्मीर में एक ऩए युग की शुरूआत हुई है। ऐसे समय में इस शांति प्रतिमा की स्थापना सभी धर्मों को मानने वाले कश्मीरियों के लिए रामानुजाचार्य का आशीर्वाद और संदेश लेकर आएगी और कश्मीर को शांति और प्रगति के रास्ते पर और आगे ले जाएगी।उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर शांति और प्रगति के रास्ते पर अग्रसर हो चुका है।

गृह मंत्री ने कहा , “ जब सामाजिक एकता खंडित हो रही थी, अनेक प्रकार की कुरीतियाँ समाज को ग्रसित कर रहीं थी, तब विधाता ने रामानुजाचार्य जी को एक महापुरुष के रूप में भारत में भेजकर वैष्णव मानवधर्म को उसके मूल के साथ जोड़ने का एक महान कार्य उनके हाथों से कराया।” उन्होंने कहा कि कश्मीर में इस शांति प्रतिमा का प्रतिष्ठित होना पूरे देश, विशेषकर जम्मू-कश्मीर के लिए, एक बहुत शुभ संकेत है।श्री शाह ने कहा कि एक प्रकार से रामानुजाचार्य जी का जीवन और कर्मस्थल ज़्यादातर दक्षिण भारत में था। लेकिन उनकी शिक्षा और प्रेम का प्रसार आज पूरे देश में दिखाई दे रहा है।

देशभर में अनेक मत, संप्रदाय रामानुजाचार्य और उनके शिष्य रामानंद के मूल संदेश में से आगे बढ़े हैं। आज इसी का परिणाम है कि पूरे उत्तर में भारत माता की मुकुटमणि कश्मीर में उनकी इतनी बड़ी शांति प्रतिमा का प्रतिस्थापन किया गया है। ये प्रतिमा ना केवल कश्मीर बल्कि पूरे भारत में शांति का संदेश देगी। ये प्रतिमा चार फ़ुट ऊंची और शुद्ध सफ़ेद मकराना संगमरमर से बनी है और लगभग 600 किलो वज़न की है। कर्नाटक के मांड्या ज़िले में स्थित यदुगिरि का यतिराज मठ मेलकोट का एकमात्र मूल मठ है जो रामानुजाचार्य जी के समय से मौजूद है।(वार्ता)

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