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रूस यूक्रेन जंग के कारण तेल की कीमतों में हुयी अप्रत्याशित वृद्धि: सीतारमण

केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज राज्यसभा में कहा कि रूस – यूक्रेन जंग के कारण तेल की कीमतों में अप्र्रत्याशित बढोतरी हुयी है जिससे निपटने के उपाय किये जा रहे हैं।श्रीमती सीतारमण ने विनियोग विधेयक 2022 और वित्त विधेयक 2022 पर सदन में हुयी चर्चा का जबाव देते हुये यह बात कही। सदन ने इन दोनों विधेयकों को ध्वनिमत से पारित कर लोकसभा को लौटा दिया। लोकसभा वित्त विधेयक को 39 सरकारी संशोधनों के साथ पहले ही पारित कर चुकी है। विनियोग विधेयक भी निचली सदन में पारित हो चुका है।वित्त मंत्री ने कहा कि यूक्रेन पर हमले का असर सभी देशों पर हो रहा है। आपूर्ति प्रभावित हो रही है। वर्ष 2020 में बजट लाया गया जिसके बाद महामारी आ गयी और वर्ष 2021 के बजट के बाद देश में कोरोना की दूसरी लहर आ गयी। इस वर्ष अब बजट के बाद रूस यूक्रेन जंग का प्रभाव पड़ने लगा है।

श्रीमती सीतारमण ने कांग्रेस सदस्य एवं पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा इन विधेयकों पर चर्चा के दौरान उठाये गये मुद्दों का जबाव देते हुये कहा कि वैश्विक कारकों से तेल की कीमतों में आयी तेजी से निपटने के लिए कई कदम उठाये गये हैं लेकिन जिस से तरह से संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के कार्यकाल में तेल बौंड के माध्यम से भरपाई की गयी थी उस तरह की व्यवस्था नहीं होगी क्योंकि संप्रग के कार्यकाल में इस बौंड के माध्यम से दो लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि जुटायी गयी थी जिसका भुगतान अभी किया जा रहा है और वर्ष 2025-26 तक भुगतान किया जाना है। उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा तेल बौंड से एक मुश्त नौ हजार करोड़ रुपये जुटाये गये थे और उसका एक साथ ही भुगतान किया गया था लेकिन संप्रग के कार्यकाल में दो लाख करोड़ रुपये की राशि जुटायी गयी जिसकी तुलना अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा जुटायी गयी राशि से नहीं की सकती है।

वित्त विधेयक में किये गये 39 सरकारी संशोधन और आयकर में किये गये 100 से अधिक संशोधनों को लेकर श्री चिदंबरम द्वारा उठाये गये सवालों का जबाव देते हुये वित्त मंत्री ने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं किया गया है। बजट पेश किये जाने के बाद विभिन्न हितधारकों से मिले सुझावों के आधार पर ये संशोधन किये गये हैं। उन्होंने कहा कि वित्त विधेयक 2009 में 117 संशोधन हुआ था जिसमें से 87 आयकर से जुड़ा था।श्रीमती सीतारमण ने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण में अगले वित्त वर्ष में वास्तविक विकास दर आठ फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है। कोरोना के बाद आर्थिक गतिविधियों में सतत और टिकाउ बढोतरी दर्ज की जा रही है लेकिन यूक्रेन नया मामला बनकर उभरा है जिसका असर वैश्विक स्तर पर हो रहा है। आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो रही है। इसका इसर हो सकता है।

उन्होंने कहा कि इस वर्ष के बजट में किसी प्रकार के कर में कोई बढोतरी नहीं की गयी है। इस वर्ष सुधार पर जोर दिया गया है। टिकाउ आर्थिक वृद्धि पर जोर दिया गया है। ओईसीडी ने 38 देशों की रिपोर्ट जारी की है जिसमें कोविड के बाद कई कर लगाये गये हैं लेकिन भारत में कोई कर बढोतरी नहीं की गयी है।उन्हाेंने कहा कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मामले में भारत दुनिया में पांच प्रमुख देशों में शामिल है। वर्ष 2019-20 में यह 29.7 अरब डॉलर था जो वित्त वर्ष 2021-22 में बढ़ा है। मोदी सरकार के सात वर्ष नौ महीने के कार्यकाल में संप्रग के 10 वर्षाें के कार्यकाल की तुलना में 65 फीसदी अधिक एफडीआई आया है।वित्त मंत्री ने कहा कि सभी उपकर और अभिभार में राज्यों की भी हिस्सेदारी होती है। यह भारतीय संविधान के अनुरूप है। वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर यह राशि वितरित की जाती है। कैग इसके लिए राशि जारी करने का प्रमाणन करता है।

सदस्यों द्वारा राज्यों को बकाये जीएसटी का भुगतान करने के बारे में उठाये गये मुद्दे का जबाव देते हुये श्रीमती सीतारमण ने कहा कि राज्याें के जीएसटी बकाये के भुगतान का निर्धारण जीएसटी परिषद करती है। जीएसटी के लागू होने से लेकर अगले वित्त वर्ष तक जीएसटी क्षतिपूर्ति राजस्व संग्रह 6.01 लाख करोड़ रुपये होगा और अब तक राज्यों को 5.63लाख करोड़ रुपये दिये जा चुके हैं। इसी तरह से केन्द्रीय रोड एंड इंफ्रा अधिभार के तौर पर वर्ष 2010-11 से लेकर अगले वित्त वर्ष तक 11.73 लाख करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा और इस मद में अब तक केन्द्र और राज्य स्तर पर 11.23 लाख करोड़ रुपये से अधिक व्यय किये जा चुके हैं।उन्होंने कहा कि आमतौर पर बीमा सेवाओं पर 18 प्रतिशत जीएसटी है लेकिन दिव्यागों और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए शुरू की गयी स्वास्थ्य बीमा योजनायें जीएसटी से मुक्त है। वर्चुअल डिजिटल संपदा पर एक फीसदी टीडीएस का प्रावधान किया गया है।

केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को इसके लिए दिशा निर्देश जारी करने और समय समय पर इसको उद्यतन्न करने की जिम्मेदारी दी गयी है।उन्होंने कहा कि सरकार ने निजी क्षेत्र के निवेश को बढाने के लिए 14 क्षेत्रों में पीएलआई स्कीमें शुरू की है। इसके साथ ही पीएम गति शक्ति की शुरूआत की गयी है जो सात प्रमुख क्षेत्रों के विकास पर केन्द्रित है।

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