
जल जीवन मिशन का हो रहा है तेजी से विस्तार, राजस्थान को मिले 10,181 करोड़
पानी जीवन का मूल है। बिना पानी मानव सभ्यता का अस्तित्व संभव नहीं है। आज के युग में संसाधनों की असमानता के चलते हर व्यक्ति तक साफ पानी की पहुंच नहीं है। भारत भी इस समस्या से अछूता नहीं है, लेकिन भारत सरकार ने अपने सभी नागरिकों तक पानी की पहुंच सुनिश्चित करने की ठानी है। सरकार ने कहा है कि 2024 तक भारत के हर घर में नल से जल पहुंच चुका होगा। इसी क्रम में बुधवार को जल शक्ति मंत्रालय ने ‘जल जीवन मिशन’ के तहत राजस्थान को 10,181 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
क्या है जल जीवन मिशन
बढ़ती जनसंख्या के साथ-साथ पानी जैसी समस्या भी बढ़ती जा रही है। ऐसे कई ग्रामीण क्षेत्र हैं, जहां पानी की सुविधा उपलब्ध नहीं है और लोगों को कई मील दूर पैदल चल कर पानी लाना पड़ता है। ऐसे ही क्षेत्रों में पीने के पानी को लोगों तक पहुंचाने के लिए सरकार ने इस मिशन का शुभारम्भ किया ताकि देश के लोगों, खासकर महिलाओं और बालिकाओं के जीवन-स्तर में सुधार आए। जल जीवन मिशन की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में 15 अगस्त 2019 को की गई। देश में लगभग 50% ग्रामीण क्षेत्र है, जहां अभी भी लोगों को पानी की समस्या होती है। स्वच्छता एवं पेयजल विभाग के आंकड़ों के अनुसार अभी तक 18.33% ग्रामीण क्षेत्रों के परिवारों को पानी की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है।
इस मिशन के तहत, जिन इलाकों में पानी नहीं है, वहां हर घर में पाइप लाइन के माध्यम से पानी पहुंचाया जाएगा। इस मिशन को सरकार ने हर घर जल योजना का नाम भी दिया है। स्कीम का लाभ लेने के लिए उन लाभार्थियों को पात्र माना जाएगा, जिनके घर में पानी का कनेक्शन नहीं है।
जल जीवन मिशन का उद्देश्य
> इस स्कीम का लाभ ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों के लोगों को प्रदान किया जाएगा।
> जल जीवन मिशन स्कीम के लिए सरकार ने 3.60 लाख करोड़ का बजट देने का प्रावधान दिया जाएगा।
> स्कीम के माध्यम से 6 करोड़ घरों में पानी पहुँचाया जाएगा।
> घरों में पहुंचाया जाने वाले जल का प्रयोग लोग पीने के लिए भी कर सकते हैं।
> इस मिशन के माध्यम से जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा।
राजस्थान को मिले 10,181 करोड़ रुपये
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने राजस्थान के लिए वर्ष 2021-22 में ‘जल जीवन मिशन’ के अंतर्गत 10,180.50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। यह आवंटन राजस्थान को मिले पिछले आवंटन से चार गुना अधिक है। राजस्थान के लिए वर्ष 2019-20 में ‘जल जीवन मिशन’ के तहत केन्द्रीय अनुदान की राशि 1,301.71 करोड़ रुपये थी, जो 2020-21 में बढ़ाकर 2,522.03 करोड रुपये कर दी गई थी। केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने वर्ष 2024 तक राज्य को ‘हर घर जल’ बनाने में केंद्र के ओर से हर संभव सहायता का भी भरोसा दिया है। बीते 10 दिन में जल जीवन मिशन के अंतर्गत जल शक्ति मंत्रालय ने जल जीवन मिशन के अंतर्गत मध्यप्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों को अनुदान राशि जारी की है।
राजस्थान में नहीं हो रहे हैं तेज प्रयास
आज राजस्थान में कुल 101.32 लाख ग्रामीण घरों में से केवल 19.84 लाख घरों यानी 19.58% में ही नल से पीने का पानी उपलब्ध है। वर्ष 2019-20 के दौरान राज्य में केवल 1.02 लाख और 2020-21 के दौरान 6.81 लाख घरों को नल कनेक्शन दिए गए। राज्य में ग्रामीण परिवारों को नल कनेक्शन देने की मौजूदा गति को देखते हुए ‘जल जीवन मिशन’ के अंतर्गत तय समय सीमा का पालन हो पाना मुश्किल लग रहा है। वर्तमान में राजस्थान में केवल 3.41 लाख ग्रामीण घरों को ही नए नल जल कनेक्शन देने संबंधी जलापूर्ति परियोजनाएं चल रही हैं, जबकि जिन जलापूर्ति परियोजनाओं के लिए टेंडर जारी किए गए हैं उनसे भी केवल 6.06 लाख ग्रामीण घरों तक ही पीने के पानी का नल कनेक्शन पहुंच पाएगा।
आवंटित राशि भी नहीं खर्च कर पाया है राजस्थान
2019-20 में राजस्थान को 1,301.71 करोड़ रुपये का केंद्रीय अनुदान जारी किया गया था। राज्य के पास उस समय 313.67 करोड़ रुपये का ओपनिंग बैलेंस भी मौजूद था, मगर वर्ष के अंत में इसमें से भी 995.07 करोड़ रुपये खर्च नहीं हो पाए। 2020-21 में राज्य को 2,522.03 करोड़ रुपये का केंद्रीय अनुदान आवंटित किया गया, जिसमें से राजस्थान सरकार ने केवल 630.51 करोड़ रुपये ही लिए। इस प्रकार राज्य सरकार ने ग्रामीण घरों में नल से जल पहुंचाने के लिए खर्च किए जाने वाले 1,891.52 करोड़ रुपये की अनुदान राशि नहीं ली। राज्य उपलब्ध केंद्रीय अनुदान की राशि में से 863.53 करोड़ रुपये भी खर्च नहीं कर पाया है।
मात्र 21 महीने में ही 4.25 करोड़ लोगों को मिला नल से पानी
दूसरी ओर, 2019 में देश के गांवों में स्थित कुल 19.20 करोड़ घरों में से केवल 3.23 करोड़ (यानी मात्र 17%) घरों में ही नल से पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध थी। आज यह संख्या बढ़कर 7.50 करोड़ (यानी कुल ग्रामीण घरों का 39%) हो गई है। ‘जल जीवन मिशन’ के अंतर्गत केवल 21 महीनों में ही 4.25 करोड़ से ज्यादा ग्रामीण परिवारों को, यानी लगभग 22% और घरों को पीने के पानी के नल कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं।
इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पहुंचा हर घर पानी
जल जीवन मिशन के अंतर्गत अब तक गोवा, तेलंगाना, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा पुडुचेरी ‘हर घर जल’ अर्थात ऐसे राज्य अथवा केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं, जहां हर ग्रामीण घर में नल से पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध है। कई अन्य राज्य भी इस दिशा में तेजी से कार्य करते हुये राष्ट्रीय लक्ष्य अर्थात 2024 से पहले ही ‘हर घर जल’ बनने के लिए प्रयासरत हैं। देश में अब तक 62 जिले और 90 हजार से अधिक गांव ‘हर घर जल’ बन चुके हैं।
पीएम ने कहा, स्कूलों और आंगनबाड़ी में भी पहुंचे नल जल योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस आह्वान पर, कि बच्चों को पीने का शुद्ध पानी मिले, जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने पिछले वर्ष 2 अक्टूबर को एक विशेष अभियान शुरू किया था, जिसके तहत सभी स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में भी पीने, हाथ धोने के लिए तथा शौचालयों में पाइप से जल की आपूर्ति सुनिश्चित की जानी है। राजस्थान के अनेक पड़ोसी राज्य जैसे हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, गुजरात और अन्य राज्य जैसे आंध्र प्रदेश, गोवा, तमिलनाडु, तेलंगाना और केन्द्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप-समूह ने उपरोक्त सभी संस्थानों में नल का जल पहुंचाने में 100% कामयाबी हासिल कर ली है। राजस्थान में वर्तमान में 41,768 स्कूलों (48.45%) और 16,879 आंगनवाड़ी केंद्रों (31.74%) में नल से पीने का जल पहुंचाने का काम हो सका है। बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य और समुचित साफ सफाई के लिए यह आवश्यक है कि प्राथमिकता के आधार पर इसी वर्ष, इन सभी संस्थानों में नल से जल की आपूर्ति कर दी जाए।
पानी की स्वच्छता की भी जांच हो
राष्ट्रीय जल जीवन मिशन द्वारा राजस्थान को जल जांच प्रयोगशालाओं को और बेहतर बनाने तथा प्रयोगशालाओं के एनएबीएल से मान्यता लेने पर बल दिया है। पानी की क्वालिटी की जांच और निगरानी से जुड़ी गतिविधियों को भी सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इसके लिए प्रत्येक गांव में विशेषतः आंगनवाड़ी, आशा, स्वयं सहायता समूहों, पंचायत तथा स्कूल अध्यापकों आदि में से 5 महिलाओं को तुरंत ट्रेनिंग दिये जाने की आवश्यकता है, ताकि वह फील्ड टेस्ट किट्स (FTKs) के प्रयोग से पेय जल-स्रोतों की नियमित और स्वतंत्र रूप से जांच कर सकें।
इस वर्ष बजट में हुई है बढ़ोतरी
वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के अधीन, पेयजल और स्वच्छता विभाग के बजट में भारी बढ़ोतरी की गई है। इस विभाग को वर्ष 2019-20 के बजट में 18,264.26 करोड़ रुपए मिले थे, जिसे बजट 2020-21 में थोड़ा कम करके 17,023.50 करोड़ रुपए कर दिया गया था। वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में, इस विभाग को 60,030.45 करोड़ रुपए प्रस्तावित किए गए हैं। यह बढ़ोतरी, 2019-20 के वास्तविक खर्च और 2020-21 के बजट से 3.5 गुना से ज्यादा है।