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नामीबिया से भारत आई साशा की मौत, कई दिनों से थी बीमार

श्योपुर । देश में चीतों की आबादी बढ़ाने के लिए मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया ने लाये गए चीतों में से एक मादा चीते की सोमवार को मौत हो गई। साशा नाम की मादा चीता कई दिनों से बीमार थी। साशा की किडनी खराब होने से सोमवार सुबह उसकी मौत हो गई।बता दें कि अफ्रीका से चीतों के दो जत्थे भारत आए थे। पहला जत्था 17 सितंबर 2022 को प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन के अवसर पर नामीबिया से आया था। इस जत्थे में साशा समेत आठ चीते थे जिन्हें कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया था। इसके बाद बीते फरवरी के महीने में दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों का दूसरा जत्था भारत आया था। इन 12 चीतों में सात नर और पांच मादा शामिल थीं। इन्हें भी कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया था।

साशा बाकी चीतों के साथ-साथ भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) और मध्य प्रदेश वन विभाग के कर्मचारियों की देखरेख में भारत में अपने नए घर को अच्छी तरह से अपना रही थी। साशा की मौत न केवल परियोजना के लिए एक झटका है बल्कि देश की जैव विविधता के लिए भी एक बड़ा नुकसान है। साशा की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए अधिकारी जांच कर रहे हैं। साशा 5.5 साल की मादा नामीबियाई चीता थी. साशा 2017 के अंत में पूर्व-मध्य नामीबिया के एक शहर गोबाबिस के पास एक खेत में मिली थी।

दरअसल, दक्षिण अफ्रीका और भारत ने अफ्रीकी देश से चीतों को लाने के लिए बीते साल एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था। इसके बाद चीतों को मध्य प्रदेश के कुनो में बसाया गया था। दुनिया के ज्यादातर चीते दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया और बोत्सवाना में हैं। चीतों की सबसे ज्यादा आबादी नामीबिया में है। भारत में आखिरी चीता 1948 में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के साल वन में मारा गया था।(वीएनएस)

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