संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए यूपी सरकार की पहल, छात्रों को 42 लाख रुपए की छात्रवृत्ति
हमारे देश में कई भाषाएं बोली जाती हैं। उपराष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री अलग-अलग भाषाओं के विकास और सीखने के लिए लोगों को प्रेरित करते रहे हैं। नई शिक्षा नीति में भी बच्चों को एक से अधिक भाषा सीखने का प्रावधान किया गया है। इन सब के बीच सभी भाषाओं का उद्गम और सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए यूपी सरकार ने पड़ी पहल की है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने संस्कृत छात्रों को 42 लाख रुपए की छात्रवृत्ति देने का ऐलान किया है।
दरअसल, संस्कृत को देववाणी कहा जाता है। कहा जाता है, संस्कृत भाषा ‘विश्वस्य सर्वासु भाषासु प्राचीनतमा भाषा अस्ति’, यानि विश्व में सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत है। जिसके उत्थान के लिए प्रदेश सरकार लगातार कार्य कर रही है। सूबे में संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए सीएम योगी ने एक ओर छात्रवृत्ति योजना की शुरुआत की, तो वहीं संस्कृत विद्यालयों का कायाकल्प भी किया।
मेधावी संस्कृत छात्रों को 42 लाख रुपए की छात्रवृत्ति
माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले 731 मेधावी छात्रों के खाते में वित्तीय वर्ष 2019-20 में 35 लाख 59 हजार छात्रवृत्ति की धनराशि हस्तांतरित कर चुकी है। इस साल 2020–21 में कुल 744 छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति दी जा चुकी है। वहीं 2021-22 में मेधावी संस्कृत छात्रों को 42 लाख रुपए की छात्रवृत्ति दी जाएगी। यह जानकारी राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने दी।
संस्कृत विद्यालयों का डिजिटलाइज्ड
प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश सरकार ने संस्कृत शिक्षा को आधुनिक तर्ज पर बढ़ावा देने के लिये संस्कृत विद्यालयों को डिजिटलाइज्ड भी किया। प्रदेश सरकार द्वारा यूपी संस्कृत शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त 72 आवासीय संस्कृत विद्यालयों और महाविद्यालयों को आधुनिक उपकरण मुहैया कराए गए।
संस्कृत विद्यालयों के पाठ्यक्रमों का ई-पाठलेखन
वहीं, यूपी माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त 35 आवासीय संस्कृत उच्च स्तर माध्यमिक विद्यालय में कम्प्यूटर द्वारा संस्कृत की कक्षाएं भी संचालित की गई। जल्द ही संस्कृत विद्यालयों के पाठ्यक्रमों का ई पाठलेखन कराने की तैयारी है। इससे प्रदेश में स्थित 1100 संस्कृत माध्यमिक विद्यालय के 60 हजार से अधिक छात्रों को लाभ मिलेगा।
गूगल प्ले स्टोर पर सन्दर्शिका ऐप
उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी वर्गों में संस्कृत भाषा के महत्व को बताने व नए छात्रों को जोड़ने के उद्देश्य से काम कर रही है। पिछले साढ़े चार सालों के कार्यकाल में प्रदेश सरकार ने संस्कृत प्रेमियों को ढेर सारी सौगातें दी हैं, जिसके तहत साल 2019-20 में यूपी के संस्कृत संस्थान की लाइब्रेरी के लिए 3,000 नई पुस्तकों को खरीदा, जिससे संस्कृत में शोध करने वाले छात्रों को लाभ मिल रहा है। इसके साथ ही गूगल प्ले स्टोर पर सन्दर्शिका ऐप को भी अब तक लगभग 10 हजार लोग डाउनलोड कर चुके हैं।
संस्कृत में सिविल सेवा की दी जा रही नि:शुल्क कोचिंग
गौरतलब हो कि यूपी में संस्कृत साहित्य में सिविल सेवा की नि:शुल्क कोचिंग दी जा रही है। संस्कृत भाषा के संवर्धन के लिये अभ्यर्थियों को संस्कृत को मुख्य विषय बनाने के लिये प्रेरित किया जा रहा है। इतना ही नहीं प्रशासनिक सेवाओं में भी संस्कृत भाषा को बढ़ाने के प्रयास तेजी से चल रहे हैं। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान की ओर से संस्कृत साहित्य में सिविल सेवा की निःशुल्क कोचिंग एवं मार्गदर्शन कार्यक्रम में प्रारम्भिक परीक्षा से लेकर साक्षात्कार तक की तैयारी कराई जाती है। विशेषज्ञों की ओर से इसमें व्याकरण, भाषाशास्त्र, दर्शन, महाकाव्य, संस्कृत नाट्यशास्त्र, संस्कृत गद्य एवं पद्य आदि की पढ़ाई कराई जाती है। यूजीसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक या फिर समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके 21 से 35 वर्ष आयु के सभी वर्ग के अभ्यर्थी इस परीक्षा के पात्र हो सकते हैं।