
सिलचर से शिलांग के बीच 166 किलोमीटर लंबे गलियारे को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी
नयी दिल्ली : केन्द्र सरकार ने असम के सिलचर से मेघालय के शिलांग के बीच 22 हजार 864 करोड़ रूपये की लागत से राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या छह के 166.80 किलोमीटर लंबे गलियारे के हिस्से के विकास , रख रखाव और प्रबंधन के प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दे दी।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में यहां हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी।
सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बैठक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी।इसे हाइब्रिड एन्युटी मोड पर एक्सेस कंट्रोल्ड ग्रीनफील्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर के रूप में विकसित किया जायेगा।इस परियोजना के तहत मेघालय में 144.80 किलोमीटर और असम में 22 किलोमीटर हिस्सा आयेगा। प्रस्तावित ग्रीनफील्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर गुवाहाटी से सिलचर तक जाने वाले यातायात के लिए सेवा स्तर में सुधार करेगा।
इस कॉरिडोर के विकास से मुख्य भूमि और गुवाहाटी से त्रिपुरा, मिजोरम, मणिपुर और असम के बराक घाटी क्षेत्र की कनेक्टिविटी में सुधार होगा और यात्रा की दूरी और यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा।यह गलियारा असम और मेघालय के बीच संपर्क में सुधार करेगा और मेघालय में उद्योगों के विकास सहित आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा, क्योंकि यह मेघालय के सीमेंट और कोयला उत्पादन क्षेत्रों से होकर गुजरता है। यह गलियारा गुवाहाटी हवाई अड्डे, शिलांग हवाई अड्डे, सिलचर हवाई अड्डे (मौजूदा राष्ट्रीय राजमार्ग-06 के माध्यम से) से आने वाले राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को सेवा प्रदान करेगा, जो गुवाहाटी को सिलचर से जोड़ता है। यह पूर्वोत्तर में पर्यटकों के आकर्षण के सुंदर स्थानों को जोड़ेगा और पर्यटन को बढ़ावा देगा।
यह महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजना गुवाहाटी, शिलांग और सिलचर के बीच अंतर-शहर संपर्क में सुधार करेगी, जो री भोई, पूर्वी खासी पहाड़ियों, पश्चिम जैंतिया पहाड़ियों, मेघालय में पूर्वी जैंतिया पहाड़ियों और असम में कछार जिले से होकर गुजरती है।शिलांग-सिलचर कॉरिडोर क्षेत्रीय आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिससे गुवाहाटी, शिलांग, सिलचर, इंफाल, आइजोल और अगरतला के बीच कनेक्टिविटी में सुधार होगा। यह परियोजना सरकार के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो रोजगार के अवसर पैदा करने के साथ साथ बुनियादी ढांचे को बढ़ाती है और मेघालय, असम, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देती है। (वार्ता)