Crime

पिता-बेटी समेत तीन की सड़क हादसे में मौत,चार दिन बाद थी बेटी की शादी

मातम में बदला उत्सव

रामनगर,वाराणसी । रामनगर थानांतर्गत कोदोपुर क्षेत्र में एक पेट्रोल पंप के समीप बुधवार की भोर में तीन बजे हुए एक सड़क हादसे में एक ही परिवार के तीन लोगों की जान चली गई। घटना में पिता पुत्र और पुत्री की दर्दनाक मौत हो गई। सभी डोमरी के निवासी थे और बीएचयू से पिता की डायलिसिस करा कर लौट रहे थे। जबकि घर में शादी का महौल था और चार दिन बाद ही लड़की की शादी थी।

जानकारी के अनुसार डोमरी निवासी अविनाश प्रसाद सोनी गुर्दा रोगी थे और सप्ताह में एक बार बीएचयू में डायलिसिस कराने जाते थे। इसी सिलसिले में वह मंगलवार को भी बीएचयू आये थे। बुधवार भोर में अविनाश प्रसाद को बाइक से लेकर उनका पुत्र रतनदीप सोनी बीएचयू से डायलिसिस कराकर घर लौट रहा था इस दौरान उसकी छोटी बहन ज्योति भी साथ में थी। भोर में लगभग तीन बजे वे डोमरी स्थित घर के लिए लौट रहे थे। बाइक रतनदीप चला रहा था।

कोदोपुर स्थित एक पेट्रोल पंप के पास से गुजर रहे थे तभी सामने से तेज रफ्तार आ रही टैक्टर ने बाइक को सामने से जोरदार टक्कर मार दी। तीनों उछल कर 10 फीट दूर जा गिरे, भोर के होने और सड़क पर सन्नाटा था ऐसे में टक्कर मारने के बाद चालक भाग निकला। जमीन पर गिरने की वजह से सिर में गंभीर चोट आयी जिसकी वजह से अविनाश और ज्योति सोनी की तो मौके पर ही मौत हो गई। रतनदीप को भी काफी चोटें आई लेकिन वह होश में था। उसने ही घटनास्थल से अपने मौसा सहित अन्य परिजनों को फोन कर हादसे की सूचना थी।

सूचना मिलने पर परिजन भागे भागे कोदोपुर पहुँचे। रतनदीप की सांसे चल रही थी। आनन-फानन में सभी को अस्पताल पहुंचाया गया यहां रतनदीप ने भी दम तोड़ दिया। अविनाश को सात बेटिया और दो पुत्र थे। ज्योति सबसे छोटी पुत्री और रतनदीप मझला पुत्र था। अविनाश घर में ही प्लास्टिक का दाना बनाने का काम करते थे। रतनदीप उनका हाथ बंटाता था। जबकि छोटा पुत्र सत्यम अभी पढ़ाई कर रहा है।

चार दिन बाद रविवार को आनी थी बारात

रामनगर। जिस घर में चार दिन बाद शहनाइयों की गूंज गूंजने वाली थी। अविनाश के पांचवी पुत्री की शादी चार दिन बाद 21 मई को तय थी। बिहार से बारात आने वाली थी। सारे रिश्तेदार,नातेदार घर परिवार वाले जुटे थे। विवाह की तैयारियां चल रही थी। बुधवार को उर्दी छूने जाने की रस्म होनी थी। प्रीति की मां आशा देवी सबके स्वागत सत्कार में तो जुटी ही थी बेटी को विदा करने की हसरत में भी मगन थी। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

BABA GANINATH BHAKT MANDAL  BABA GANINATH BHAKT MANDAL

Related Articles

Back to top button