उप-राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आज मीडिया उद्योग में कोविड के कारण उत्पन्न वित्तीय कठिनाइयों पर चिंता व्यक्त की और सभी से अपील करते हुए कहा कि इस कठिन समय में अपने कर्मचारियों के साथ सहानुभूति और जिम्मेदारी के साथ पेश आएं और उनके साथ खड़े रहें। स्वर्गीय श्री एम.पी. वीरेंद्र कुमार के सम्मान में आयोजित वर्चुअल स्मरणीय बैठक में श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने स्वर्गीय श्री कुमार की प्रशंसा करते हुए कहा कि पत्रिकाओं की एक श्रृंखला के प्रकाशन में प्रौद्योगिकी की शुरुआत करने के बावजूद मातृभूमि मुद्रण और प्रकाशन लिमिटेड के कर्मचारियों के अधिकारों और कल्याण की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते थे।
उन्होंने सभी से वीरेन्द्र कुमार से प्रेरणा लेने और अपने साथी नागरिकों के प्रति अधिक संवेदनशील रवैया अपनाने की अपील की। यह देखते हुए कि वीरेंद्र कुमार एक बहुआयामी व्यक्तित्व थे, श्री नायडू ने कहा कि वे एक सम्मानित राजनीतिज्ञ, एक प्रतिष्ठित लेखक, एक पर्यावरणविद और एक कुशल पत्रकार थे। वीरेन्द्र कुमार द्वारा विभिन्न प्रेस निकायों के सदस्य के रूप में शुरू की गई कई पहलों और अभियानों की सराहना करते हुए, उप-राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने लोगों के बड़े हित में प्रेस की स्वतंत्रता के कारण मार्गदर्शन किया है।
श्री नायडू ने कहा, “मातृभूमि मुद्रण और प्रकाशन लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में, उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया।” वीरेंद्र कुमार के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक सूचना के प्रसार के माध्यम से लोगों का सशक्तिकरण था, उप-राष्ट्रपति ने कहा और इस महामारी के दौर में सही और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने इस कार्य में शामिल जोखिमों के बावजूद महामारी पर जानकारी और सावधानियों के बार में लोगों को सशक्त बनाने के लिए मीडिया की सराहना की। हालाँकि, उन्होंने कोविड-19 के उपचार के बारे में असत्यापित और निराधार दावों के खिलाफ मीडिया को सतर्क रहने के प्रति आगाह भी किया।
श्री नायडू ने कहा कि वीरेंद्र कुमार एक अनुकरणीय सांसद थे, श्री नायडू ने कहा कि उनका आचरण सभी विधायकों के लिए अनुकरण के योग्य था। उप-राष्ट्रपति ने कहा कि वीरेंद्र कुमार सिद्धांतों पर चलने वाले व्यक्ति थे और अधिकारहीन लोगों के उत्थान के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध थे। उन्होंने हमेशा आम लोगों की समस्याओं को सबसे ऊपर रखा और उनके लिए कार्य किया। उप-राष्ट्रपति ने कहा कि उनका काम और आदर्श आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे।
आदर्शों और मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को स्पष्ट करते हुए, उप-राष्ट्रपति ने केरल सरकार में वन मंत्री के पद से इस्तीफा देने के श्री वीरेन्द्र कुमार के फैसले के बारे में बताते हुए कहा कि, जब उन पर पेड़ों की कटाई पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले को वापस लेने का दबाव डाला गया था, तो वे झुके नहीं।
कर्मचारी संघों के आंदोलनों में उनकी गहरी भागीदारी और कार्यबल के अधिकारों की वकालत को याद करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि केंद्रीय श्रम राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में श्री कुमार ने कर्मचारियों को लाभान्वित करने के लिए कर्मचारी भविष्य निधि और कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के प्रबंधन में सुधारों की शुरुआत की।
स्वदेशी लोगों के अधिकारों के लिए वीरेंद्र कुमार के समर्थन को याद करते हुए, श्री नायडू ने विकास और प्रकृति के संरक्षण के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि विकास पर्यावरण की कीमत पर नहीं होना चाहिए।
वीरेंद्र कुमार की साहित्यिक उपलब्धियों के बारे में बताते हुए, उप-राष्ट्रपति ने कहा कि वे सार्वजनिक जीवन और विधायिका के क्षेत्र में बहुत कम लोगों में से थे, जिन्हें केंद्रीय साहित्य अकादमी और केरल साहित्य अकादमी सम्मान से विभूषित किया गया था, साथ ही भारतीय ज्ञानपीठ ट्रस्ट द्वारा पत्रों की दुनिया में उनके योगदान के लिए उन्हें मूर्तिदेवी पुरस्कार (2016) भी प्रदान किया गया था।
इस वर्चुअल कार्यक्रम के अवसर पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, मिजोरम के राज्यपाल पी.एस.श्रीधरन पिल्लई, द हिन्दू प्रकाशन समूह के निदेशक एन. राम, मातृभूमि समूह के अध्यक्ष और प्रबंध संपादक पी.वी. चंद्रन, कई संसद सदस्य, स्वर्गीय एम.पी. वीरेन्द्र कुमार के पुत्र और मातृभूमि समूह के प्रबंध निदेशक एम.वी. श्रेयांस कुमार सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।