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नाबालिग से दुष्कर्म और हत्या के दोषियों को फांसी, चार माह में आया फैसला

बूंदी । बूंदी की पोक्सो अदालत ने नाबालिग के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में दो आरोपितों को फांसी की सजा सुनाई है। साथ ही एक लाख 20 हजार के अर्थदण्ड से भी दण्डित किया। मामले में एक अन्य नाबालिग आरोपित की सुनवाई जेजे कोर्ट में जारी है। प्रकरण के अनुसार बसोली थाना क्षेत्र के कालाकुआं गांव में पन्द्रह वर्षीय किशोरी 23 दिसम्बर 2021 की शाम को शौच के लिए घर से निकली थी। उसे जंगल में अकेला पाकर नशे में धुत्त तीन बदमाशों ने पकड़ लिया और उससे दुष्कर्म किया। जब नाबालिक किशोरी ने विरोध किया तो उसे नोंचा। शरीर पर कई जगह मुंह से काटकर उसे जख्मी कर दिया।

किशोरी चिल्लाती रही और दया की भीख मांगती रही, लेकिन बदमाशों को उस पर रहम नहीं आया। जब उसने पूरी घटना घर जाकर परिजनों को बताने की बात कही तो तीनों ने मिलकर चुन्नी से उसका गला घोंट दिया। इसके चलते उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी। यही नहीं आरोपितों ने उसे घसीटा और मौत हो जाने के बाद भी दुष्कर्म किया जिसकी पुष्टि बाद में पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुई। रोंगटे खड़े कर देने वाली इस वारदात को पुलिस ने भी गंभीरता से लिया और डॉग स्क्वायड की मदद से 12 घंटे में वारदात का खुलासा किया था। डॉग स्क्वायड की मदद से जंगल में आरोपित की अंडरवियर मिली और पुलिस ने 27 वर्षीय सुल्तान एवं 62 वर्षीय छोटूलाल भील को गिरफ्तार किया। वारदात में शामिल एक नाबालिग आरोपित को विधि के विरुद्ध निरुद्ध किया गया।

न्यायालय पोक्सो एक्ट क्रम-दो में शुक्रवार को दोनों आरोपितों को पेश किया गया जहां पर न्यायालय ने दोनों आरोपितों को दोषी मानते हुए फांसी की सजा व एक लाख 20 हजार के जुर्माने से दंडित किया है। आरोपितों को न्यायालय में पेश करने के लिए लाने से लेकर फैसला सुनाए जाने तक बाहरी परिसर में गहमागहमी का माहौल रहा।मामले में पुलिस अधीक्षक जय यादव ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जिले के 10 थानाधिकारियों के साथ 200 जवानों की मदद से पूरे कालाकुआं के जंगलों को छाना था। ड्रेगन लाइटों की भी मदद ली गई। डॉग स्क्वायड की मदद ली गई। तब जंगल में आरोपित की अंडरवियर मिली। इसी से वारदात खुली और पुलिस दिन निकलने से पहले आरोपितों तक पहुंच गई थी। मामले में पुलिस की ओर से त्वरित जांच के लिए बूंदी डिप्टी हेमंत नोगिया को केस ऑफिसर नियुक्त किया गया था।

सभी तथ्यों और गवाहों के बयान सुनने तथा बहस पूरी होने के बाद न्यायालय ने 28 अप्रैल को फैसले की तारीख तय की थी। ऐसे में दोनों आरोपितों को गुरुवार को दोषी करार देते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया। शुक्रवार को न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए दोनों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई। साथ ही एक लाख 20 हजार के अर्थदण्ड से भी दण्डित किया। मामले में बूंदी अभिभाषक परिषद ने आरोपितों की ओर से पैरवी नहीं करने का फैसला लिया था। ऐसे में उन्हें विधिक सेवा की ओर से वकील उपलब्ध कराया गया। न्यायालय ने मात्र 11 कार्य दिवस में ही सुनवाई पूरी कर फैसला सुनाया।(हि.स.)

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