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प्रधानमंत्री को मिले उपहार, सांकेतिक भाषा में देख, समझ सके दृष्टि बाधित दिव्यांग

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश और दुनिया से मिले उपहारों की नीलामी के लिए राजधानी के राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय में चल रही प्रदर्शनी में इस बार दृष्टि बाधित दिव्यांगों के लिए सांकेतिक भाषा का भी इस्तेमाल किया गया है।विगत चार साल से लगने वाली इस प्रदर्शनी में इस बार दृष्टि बाधित दिव्यांगों के लिए सांकेतिक भाषा के इस्तेमाल की शुरुआत अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस के अवसर पर की गई। इस दिन को खास बनाते हुए दिव्यांगों के लिए कई रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए गए जिनमें म्यूजिकल परफार्मेंस के अलावा पपेट शो, मैजिक शो का भी आयोजन शामिल था।

पहले ही दिन बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं और अन्य दिव्यांग जन शामिल हुए और प्रदर्शनी का अवलोकन किया। यह अनुभव उन सभी मासूमों के लिए पहला और बिल्कुल अगल था। जब बच्चों ने प्रधानमंत्री को मिले उपहारों को सांकेतिक भाषा में और अपने हाथों से छूकर उन्हें महसूस किया और उनसे जुड़ी जानकारी हासिल की।इन दिव्यांग बच्चों के साथ आए उनके शिक्षकों ने बताया कि इस दिन को ये बच्चे शायद ही कभी भुला पाएँ कि उनको अपने प्रिय प्रधानमंत्री को मिले विशेष उपहारों के बारे में जानने और उन्हें महसूस करने का अवसर मिला। यह दिन उनके लिए सदा के लिए यादगार बन गया है।

राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय की निदेशक श्रीमती टेम्सुनारो जमीर ने बताया सभी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए यहां कई तरह के रचनात्मक कार्यक्रमों के आयोजन की शुरूआत की गई है। अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस पर हमने मूक-बधिरों के लिए सांकेतिक भाषा में एक स्पेशल टूर्स प्रोग्राम डिजाइन किया था। इसके अलावा यहां ऑडियो गाइड ऐप के साथ साथ ब्रेल में यहां की चुनींदा चीजों की एक सूची भी रिलीज की है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को मिले उपहारों को देखने का अधिकार सबको है और किसी भी कुदरती कमी के कारण उन्हें इससे वंचित नहीं रखा जा सकता। इसी को ध्यान में रखते हुए संग्रहालय ने यह शुरुआत की है कि उन्हें कभी इस बात का अहसास नहीं हो कि वे किसी भी तरह से किसी से कम है। समाज के इस वर्ग के लिए इस कार्यक्रम के माध्यम से एक सामाजिक सेतू का काम किया जा रहा है। राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय सभी वर्गों के लिए एक लोकतांत्रिक स्थान है जहां हर किसी की पहुंच बराबर है।

उन्होंने कहा कि यह श्री मोदी के दूरदर्शी विचारों को साकार करने के लिए सभी समुदायों को बड़ी संख्या में भाग लेने में सक्षम बनाने के लिए यह बड़ी पहल है।यह प्रदर्शनी 17 सितंबर यानी श्री मोदी के जन्मदिन से शुरू हुई थी और दो अक्टूबर यानी गांधी जयंती तक चलेगी। इस नीलामी से प्राप्त होने वाली राशि को भारत सरकार द्वारा गंगा की सफाई के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रम ‘नमामि गंगे’ में लगाया जायेगा। इसमें 100 रुपये से लेकर 10 लाख तक के मूल्य वाले 1200 से ज्यादा सामानों को दर्शाया गया है।(वार्ता)

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