National

मुफ्त योजनाओं की घोषणाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगी रिपोर्ट

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव के दौरान मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त में उपहार देने वाली घोषणाएं करनेवाले राजनीतिक दलों की मान्यता खत्म करने की मांग पर बुधवार को सुनवाई की। कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वो रिजर्व बैंक, नीति आयोग समेत अन्य संस्थानों और विपक्षी राजनीतिक दलों के साथ विचार करके सरकार एक रिपोर्ट तैयार करे और कोर्ट के समक्ष रखे। मामले की अगली सुनवाई 11 अगस्त को होगी।सुप्रीम कोर्ट ने 26 जुलाई को केंद्र से कहा था कि वह वित्त आयोग से पता लगाए कि पहले से कर्ज में डूबे राज्य में मुफ्त की योजनाओं का अमल रोका जा सकता है या नहीं। 25 जनवरी को कोर्ट ने केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया था।

भाजपा नेता एवं वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर याचिका में कहा है कि राजनीतिक दल मतदाताओं को गलत तरीके से अपने पक्ष में लुभाने के लिए मुफ्त में उपहार देने की घोषणाएं करते हैं। ऐसा करना स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए एक बाधा है। ऐसा करना भारतीय दंड संहिता की धारा 171बी और 171सी के तहत अपराध है। याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट निर्वाचन आयोग को दिशा-निर्देश जारी करे कि वो राजनीतिक पार्टियों के लिए एक अतिरिक्त शर्त जोड़े कि वो मुफ्त में उपहार देने की घोषणाएं नहीं करेंगी।

याचिका में कहा गया है कि आजकल एक राजनीतिक फैशन बन गया है कि राजनीतिक दल अपने घोषणापत्र में मुफ्त बिजली की घोषणा करते हैं। ये घोषणाएं तब भी की जाती हैं जब सरकार लोगों को 16 घंटे की बिजली भी देने में सक्षम नहीं होती हैं। याचिका में कहा गया है कि मुफ्त की घोषणाओं का लोगों के रोजगार, विकास या कृषि में सुधार से कोई लेना-देना नहीं होता है लेकिन मतदाताओं को लुभाने के लिए ऐसी जादुई घोषणाएं की जाती हैं।(हि.स.)

VARANASI TRAVEL
SHREYAN FIRE TRAINING INSTITUTE VARANASI

Related Articles

Back to top button
%d bloggers like this: