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सैनिकों की बढ़ेगी मारक क्षमता, भारतीय सेना को मिलीं करीब 36 हजार अमेरिकी सिग सॉयर राइफल्स

उत्तराखंड में रानीखेत के पास चौबटिया में उज्बेकिस्तान के सैनिकों के साथ चल रहे डस्टलिक -2 सैन्य अभ्यास में अमेरिका से आई असॉल्ट राइफल्स का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। दरअसल पिछले साल केंद्र सरकार ने इसके लिए मंजूरी दी थी। जिसके बाद अमेरिकी कंपनी ‘सिग सॉयर’ को ऑर्डर की गईं 72 हजार असॉल्ट राइफल्स का 50 प्रतिशत भारतीय सेना को मिल गया है। माना जा रहा है कि अ ब चीन और पाकिस्तान के अग्रिम मोर्चों पर तैनात जवानों के हाथों में अमेरिकी असॉल्ट राइफल्स होंगी।

करीब एक दर्जन देशों की पुलिस और सेनाएं करती हैं प्रयोग

बता दें कि इससे पहले भारतीय सेना ने फरवरी, 2019 में अमेरिकी कंपनी ‘सिग सॉयर’ से 600 मीटर दूरी तक मार करने की क्षमता वाली 72 हजार असॉल्ट रायफलें खरीदी थीं। फास्ट-ट्रैक प्रोक्योरमेंट (एफटीपी) सौदे के तहत 647 करोड़ रुपये से खरीदी गईं 7.62X51 मिमी. कैलिबर की असॉल्ट राइफल्स की जब आपूर्ति हुई तो सबसे पहले जम्मू-कश्मीर के उधमपुर स्थित उत्तरी कमान को दी गईं। इन राइफल्स का इस्तेमाल भारतीय सेना अपने एंटी-टेरर ऑपरेशन में कर रही है। इन राइफल्स का उद्देश्य होता है ‘शूट टू किल’ , इसलिए इनका इस्तेमाल अमेरिका के अलावा दुनियाभर की करीब एक दर्जन देशों की पुलिस और सेनाएं करती हैं।

इसके बाद पूर्वी लद्दाख में चीन से सैन्य टकराव के बीच केंद्र सरकार ने भारतीय सेना के लिए 72 हजार और असॉल्ट राइफल्स खरीदने के लिए अमेरिकी सिग सॉयर कंपनी से 780 करोड़ रुपये का सौदा किया। इनमें से करीब 36 हजार असॉल्ट राइफल्स इसी माह भारतीय सेना को मिल गईं हैं। फिलहाल इस समय इनका इस्तेमाल उत्तराखंड में उज्बेकिस्तान के साथ चल रहे सैन्य अभ्यास में किया जा रहा है ।

एलओसी और एलएसी पर तैनात पैदल सेना को मिलेगी राइफल

इस बारे में सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने कहा कि भारतीय सेना की सभी पैदल सेना की बटालियनों को कम से कम 50 प्रतिशत सिग सॉयर राइफलें मिली हैं। उन्होंने कहा कि एलओसी और एलएसी पर तैनात पैदल सेना की बटालियनों को सिग सॉयर राइफल अधिक संख्या में मिली हैं, जबकि अन्य बटालियनों को कम से कम 50 प्रतिशत दी गई हैं। करीब 20 साल बाद भारतीय सेना को कोई नई असॉल्ट राइफल मिली है। इससे पहले कारगिल युद्ध के दौरान यानी 1990 के दशक के आखिर में स्वदेशी इंसास राइफल मिली थीं, जो 5.56×45 बोर की थीं।

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