
दिल्ली के तीनों निगमों के एकीकरण का सरकार ने लिया निर्णय : शाह
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि पिछले 10 वर्षों के अनुभव के बारीक विश्लेषण और तथ्यों को देखते हुए सरकार ने दिल्ली के तीनों निगमों के एकीकरण का निर्णय लिया है।लोकसभा में बुधवार को श्री शाह ने दिल्ली नगर निगम संशोधन विधेयक-2022 पर विचार और इसे पारित करने के लिए रखते हुए कहा कि जब दिल्ली नगर निगम को बांटा गया तो संसाधनों और दायित्वों को बिना देखें इसके तीन हिस्से कर दिए गए।उन्होंने कहा कि नगर निगमों के बंटवारे के पीछे कोई स्पष्ट उद्देश्य और कारण नहीं था इसलिए संभव है कि तब उस निर्णय के पीछे राजनीतिक मंशा रही हो। इस बंटवारे के कारण एक नगर निगम तो फायदे में रहा लेकिन दो अन्य नगर निगम के पास दायित्व ज्यादा रहा लेकिन राजस्व कम हो गया । यह बंटवारा आनन-फानन में किया गया था।
श्री शाह ने कहा कि पिछले 10 वर्ष का रिकॉर्ड देखें तो तीनों नगर निगम में एकरुपता नहीं है और तीनों नगर निगम अलग-अलग नीतियों से चलाए जा रहे हैं। हर निगम को अधिकार है कि वह अपने निगम को चलाने की नीति अपने हिसाब से निर्धारित कर सकता है। उन्होंने कहा कि इसके कारण कर्मचारियों में भी इस बात को लेकर असंतोष बना रहता है।गृह मंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार नगर निगम के साथ सौतेली मां की तरह व्यवहार कर रही है। उन्होंने कहा कि एक ही नगर निगम अब पूरी दिल्ली का काम काज देखेगी। दिल्ली के पार्षदों को 272 से कम कर 250 तक किया जाएगा। दिल्ली नगर निगम पूरे राजधानी क्षेत्र का 95 प्रतिशत हिस्से की नागरिक सेवाओं की जिम्मेदारी उठाता है, तीनों निगमों में एक लाख 20 हजार कर्मचारी काम करते हैं। इनके हितों को भी इस एकीकरण से लाभ मिलेगा।
श्री शाह ने कहा कि पहले दिल्ली में एक निगम ही हुआ करता था जिसे विभाजित कर तीन निगम बनाए गए थे। वर्ष 1957 में दिल्ली नगर निगम अधिनियम के तहत इसकी स्थापना हुई और 1993 और 2011 में संशोधन किए गए और इसके बाद उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी नगर निगम में ये बांटा गया। देश की राजधानी में नागरिक सुविधाओं का विकास हो और व्यवस्था सुचारू तौर पर चले इसके लिए नगर निगमों का विलय जरुरी है।