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मौजूदा सीजन में चीनी उद्योग को मदद करने के लिए कई कदम उठाए गए

राम विलास पासवान ने डीओएफपीडी के अधिकारियों के साथ चीनी क्षेत्र से संबंधित मुद्दों पर समीक्षा की

नई दिल्ली । केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और उपभोक्ता मामलों के मंत्री  राम विलास पासवान ने आज यहां सचिव श्री सुधांशु पांडे और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। समीक्षा बैठक में चीनी उत्पादन, गन्ना किसानों का बकाया भुगतान, इथेनॉल उत्पादन और अन्य संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई। श्री पासवान ने अधिकारियों को गन्ना किसानों के बकाये का समय पर भुगतान करने के लिए जरूरी दिशानिर्देश जारी करने के निर्देश दिए। मंत्री महोदय को बताया गया कि इस साल चीनी का उत्पादन 270 एलटी पहुंचने की उम्मीद है।

मौजूदा चीनी सीजन 2019-20 के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम:

चीनी का 40 एलएमटी बफर स्टॉक बनाए रखने को लेकर सरकार रखरखाव खर्च के तौर पर 1674 करोड़ रुपये की प्रतिपूर्ति कर रही है। 60 एलएमटी चीनी के निर्यात पर खर्च को पूरा करने के लिए चीनी मिलों को 10,448 रुपये/एमटी की सहायता दी जा रही है, जिस पर कुल 6,268 करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं।

चीनी सीजन 2018-19 के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम:

चीनी सीजन 2018 -19 के लिए गन्ने की लागत करीब 3100 करोड़ की भरपाई करने के लिए 13.88 रुपये प्रति क्विंटल गन्ने के हिसाब से चीनी मिलों को मदद दी गई। शुगर सीजन 2018-19 में देश से चीनी के निर्यात को सुगम बनाने के लिए आंतरिक परिवहन, माल ढुलाई, हैंडलिंग और अन्य खर्चों के लिए चीनी मिलों को करीब 900 करोड़ रुपये की सहायता दी गई। 1 जुलाई 2018 से 30 जून 2019 तक एक साल के लिए 30 एलएमटी चीनी का बफर स्टॉक बनाया गया, जिसका खर्च सरकार चुका रही है (इसमें ब्याज दर 12 प्रतिशत अधिकतम और भंडारण शुल्क/बीमा प्रीमियम @1.5 प्रतिशत शामिल है)। बफर स्टॉक के रखरखाव पर खर्च 780 करोड़ रहा। बैंकों के माध्यम से चीनी मिलों को 7,402 करोड़ रुपये का बड़ा सॉफ्ट लोन दिया गया, जिसके लिए सरकार एक साल के लिए 7 प्रतिशत की दर से 518 करोड़ रुपये का ब्याज वहन करेगी।

किए गए उपायों का असर:

इन उपायों के परिणामस्वरूप चीनी सीजन 2018-19 के दौरान चीनी मिलों द्वारा खरीदे गए गन्ने के कुल बकाये 86,723 करोड़ रुपये  में से करीब 85,956 करोड़ रुपये का भुगतान गन्ना किसानों को किया गया और शुगर सीजन 2018-19 के लिए चीनी मिलों के साथ स्टेट एडवाइज्ड प्राइस (एसएपी) के आधार पर केवल 767 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है।

मौजूदा चीनी सीजन 2019-20 के संबंध में एफआरपी के आधार पर कुल गन्ना बकाये 66,934 करोड़ में से 49,251 करोड़ रुपये गन्ना किसानों को भुगतान किया जा चुका है और 5 जून 2020 तक केवल 17,683 करोड़ रुपये लंबित हैं। एसएपी के आधार पर गन्ने के कुल बकाये 72,065 करोड़ रुपये में से लगभग 49,986 करोड़ रुपये गन्ना किसानों को दिए जा चुके हैं और केवल 22,079 करोड़ रुपये लंबित हैं। इस प्रकार, चीनी सीजन 2019-20 के संबंध में गन्ने के बकाये का 69 प्रतिशत से अधिक भुगतान हो गया है। इस सीजन का बकाया पिछले साल की तुलना में (मई 2019 में 28 हजार करोड़) कम है।

आने वाले 4 महीनों में बकाये का भुगतान:

इस सीजन में बकाया राशि होने की एक मुख्य वजह कोविड-19 और राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण मांग में कमी है, जिससे करीब 10 एलएमटी चीनी की खपत घटी है। इससे चीनी मिलों की आय भी कम हो गई है। लेकिन, लॉकडाउन हटने और अर्थव्यवस्था खुलने के साथ ही चीनी की बिक्री सामान्य हो जाएगी और मौजूदा सीजन के बाकी 4 महीनों यानी जून-सितंबर 2020 में चीनी मिल घरेलू बाजार में करीब 84 एलएमटी चीनी बेच सकेंगे। इसके साथ ही, मिल अगले 4 महीनों में करीब 10 एलएमटी चीनी का निर्यात भी करेंगे। इससे चीनी मिलों के पास 30 हजार करोड़ रुपये से अधिक नकदी बढ़ेगी  ,इसके अलावा, डीएफपीडी इसी महीने में चीनी मिलों को निर्यात और बफर सब्सिडी को लेकर 1100 करोड़ रुपये की सहायता जारी करेगा। इससे चीनी मिलों को उनके बकाये का भुगतान करने में सुविधा होगी।

इथेनॉल में ज्यादा गन्ने के इस्तेमाल को लेकर सरकार की पहल और इससे गन्ना किसानों के बकाये के भुगतान के लिए कैश में सुधार:

चूंकि इथेनॉल से चीनी क्षेत्र के लिए आगे की राह खुलती है इसलिए सभी चीनी मिलों को अतिरिक्त गन्ने और चीनी को ईंधन ग्रेड के इथेनॉल में बदलने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे साल 2022 तक 10 प्रतिशत सम्मिश्रण लक्ष्य हासिल किया जा सके। सरकार ने वर्तमान इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2019-20  (दिसंबर 2019- नवंबर 2020) के लिए चीनी और चीनी सिरप से इथेनॉल के उत्पादन की अनुमति दी है और सी-हैवी खांड़ से प्राप्त इथेनॉल की एक्स-मिल कीमत 43.75 रुपये प्रति लीटर, बी-हैवी खांड़ से बने 54.27 रुपये/लीटर और गन्ने के रस/चीनी/चीनी सिरप से निकले इथेनॉल के लिए पारिश्रमिक 59.48 रुपये/लीटर तय की है।

बैंकों के माध्यम से 362 चीनी मिलों और खांड़  (राब) आधारित स्टैंडअलोन भट्टियों (आसवन भट्टी) को इथेनॉल उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए करीब 18,643 करोड़ का सॉफ्ट लोन दिया जा रहा है, जिस पर 5 साल के लिए करीब 4,045 करोड़ रुपये का इंट्रेस्ट सबवेंशन सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है। अब तक 64 चीनी मिलों को लगभग 3,148 करोड़ रुपये के ऋण स्वीकृत किए गए हैं और 38 चीनी मिलों को लगभग 1,311 करोड़ रुपये के ऋण दिए गए। इनके ऋण आवेदनों को बैंकों द्वारा तेजी से निपटाने के लिए वित्तीय सेवा विभाग से समय-समय पर अनुरोध किया जा रहा है।

आसवन सुविधा वाली चीनी मिलों को उनकी क्षमता का अधिकतम सीमा तक उपयोग करने के लिए बी-हैवी राब और सुगर सिरप को इथेनॉल के उत्पादन में लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिन चीनी मिलों में आसवन सुविधा नहीं है, उन्हें बी-हैवी खांड़ बनाने और डिस्टिलरीज (जो बी-हैवी खांड़ से इथेनॉल बना सके) के साथ सामंजस्य बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

वर्तमान चीनी सीजन 2019-20 (अक्टूबरसितंबरके लिए स्टॉक की स्थिति:

  • ओपनिंग स्टॉक (1 अक्टूबर 2019 को) : 145 एलएमटी
  • चीनी सीजन 2019-20 के दौरान अनुमानित उत्पादन : 270 एलएमटी
  • अनुमानित घरेलू खपत : 250 एलएमटी
  • चीनी सीजन 2019-20 के दौरान अनुमानित निर्यात : 55 एलएमटी (एमएईक्यू)
  • 30 सितंबर 2020 को अनुमानित समापन स्टॉक : 115 एलएमटी
  • समापन स्टॉक (30 अप्रैल 2020) : 235 एलएमटी

2018-19 सीजन के लिए किसानों के गन्ना मूल्य बकाये की स्थिति (5 जून 2020)

(रुपये करोड़ों में)

  एफआरपी बेसिस एसएपी बेसिस
गन्ने का भुगतान देय 81,667 86,723
गन्ने का बकाया भुगतान 80,999 85,956
शेष 668 767

पिछले साल सीजन 2018-19 के दौरान यानी मई 2019 में पीक एरियर्स:

एफआरपी बेसिस पर – 25,434 करोड़ रुपये

एसएपी और एफआरपी को मिलाकर बकाया राशि – 28,222 करोड़ रुपये

मौजूदा सीजन 2019-20 के लिए किसानों के गन्ने के बकाये की स्थिति (जून 2020):

(रुपये करोड़ों में)

  एफआरपी बेसिस एसएपी बेसिस
गन्ने का भुगतान देय 66,934 72,065
बकाया भुगतान 49,251 49,986
शेष 17,683 22,079
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