बलिया: सरयू नदी के जलस्तर में जारी उतार चढ़ाव शनिवार को ठहर गया। नदी खतरा निशान से 18 सेंटीमीटर नीचे खिसक कर स्थिर हो गई। जिससे विभागीय अधिकारियों व तटवर्ती इलाकाईयों ने राहत की सांस ली है। तुर्तीपार जल आयोग के अधिकारियों के अनुसार शनिवार को नदी का जलस्तर खतरा निशान 64.01 मीटर के सापेक्ष 63.830 मीटर दर्ज किया गया। हालांकि अधिकारियों ने जल्द ही नदी के जलस्तर में फिर से बढ़ाव की संभावना जताई है। ईधर नदी के जलस्तर जारी उतार-चढ़ाव के बीच तुर्तीपार गांव में नदी से सटे मल्लाह बस्ती को मुजौना गांव से जोड़ने वाला चौड़ा नाला भी नदी के पानी से पूरी तरह डूब गया। जहां करीब 300 की आबादी हर वर्ष नदी से घिरने के बाद नाव पर ही निर्भर हो जाती है। हालांकि अभी यहां नौबत ऐसी नहीं आई है। कारण कि तुर्तीपार प्रधान आलोक सिंह के प्रयास से पहली बार बरसात व नदी में बढ़ाव से कुछ माह पूर्व ही मल्लाह बस्ती को मुजौना गांव से सीधे जोड़ने को एक पुलिया का निर्माण कराया गया था किंतु नदी का जलस्तर खतरा निशान से ऊपर होने के कारण उक्त पुलिस नदी के पानी में पूरी तरह से डूब गया है। बावजूद नदी से घिरे लोग उक्त पुलिया को ही पकड़कर नदी के पानी से होकर बाहर निकल रहे है। जबकि हर वर्ष यहां जुलाई माह से ही नाव से आना जाना विवशता हो जाता है। ग्राम प्रधान आलोक सिंह ने बताया कि उक्त स्थान पर 300 की आबादी वाले मल्लाह बस्ती को नदी से घिरने से बचाने हेतु मुजौना गांव से जोड़ते हुए एक बड़े व पक्के पुल का निर्माण कराया जाना आवश्यक है। जिससे उक्त आबादी हर वर्ष नदी से घिरने के संकट से बच सकती है। वहीं त्यागी बाबा स्थान के पास नदी के दबाव से तटवर्ती इलाकों की मिट्टी का टीला अभी से ही नदी में समाने लगा है। गांव निवासी अमित कुमार यादव, सचिन यादव, राकेश साहनी, अखिलेश कन्नौजिया, आदि ने नदी के कटान व बाढ़ से बचाव हेतु तटवर्ती इलाकों में बड़े पैमाने पर बाढ़ व कटानरोधी कार्य कराने की मांग की। वहीं तुर्तीपार, खैरा, शिवपुर मठिया, गुलौरा व टंगुनिया के तटवर्ती इलाकों में नदी का दबाव बढ़ सा गया है।
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