
देश की संप्रभुता की रक्षा में किसी भी हद तक जा सकते हैं: राजनाथ
उच्च गुणवत्ता वाले उपकरणों के बल पर सफल हुआ ‘ऑपरेशन सिंदूर’: राजनाथ
नयी दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत के दुर्जेय और पेशेवर रूप से प्रशिक्षित सशस्त्र बलों के उच्च गुणवत्ता वाले उपकरणों से लैस होने के कारण ही ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को सफलतापूर्वक अंजाम दिया जा सका है ।रक्षा मंत्री ने गुरुवार को यहां राष्ट्रीय गुणवत्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सशस्त्र बलों द्वारा बिना किसी निर्दोष व्यक्ति को नुकसान पहुँचाए और न्यूनतम क्षति के साथ ऑपरेशन को अंजाम देने की सटीकता की सराहना की और इसे राष्ट्र के लिए गर्व का क्षण बताया।उन्होंने कहा,“ऑपरेशन सिंदूर को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया क्योंकि हमारे दुर्जेय और पेशेवर रूप से प्रशिक्षित सशस्त्र बल उच्च गुणवत्ता वाले उपकरणों से लैस थे।”श्री सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकी शिविर नष्ट कर दिए गए और बड़ी संख्या में आतंकवादी मारे गए। यह दर्शाता है कि राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा में ‘गुणवत्ता’ की महत्वपूर्ण भूमिका है।
रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत ने हमेशा बहुत संयम बरतते हुए एक जिम्मेदार राष्ट्र की भूमिका निभाई है और वह बातचीत के जरिए मुद्दों को सुलझाने में विश्वास करता है, हालांकि, अगर कोई इस संयम का फायदा उठाने की कोशिश करता है, तो उसे ‘गुणवत्तापूर्ण कार्रवाई’ का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने राष्ट्र को आश्वस्त किया कि भारत की संप्रभुता की रक्षा करने में सरकार के लिए कोई भी सीमा बाधा नहीं बनेगी। उन्होंने कहा, “हम भविष्य में भी ऐसी जिम्मेदार कार्रवाई के लिए पूरी तरह तैयार हैं।”श्री सिंह ने सम्मेलन के विषय ‘एकीकृत दृष्टिकोण और प्रौद्योगिकी सक्षम प्रक्रियाओं के माध्यम से गुणवत्ता आश्वासन में तेजी’ पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि दुनिया भर में रक्षा क्षेत्र में हो रहे क्रांतिकारी बदलावों और नए परिवर्तनों को देखते हुए गुणवत्ता मूल्यांकन में तेजी लाना समय की मांग है।
उन्होंने कहा, “रक्षा संप्रभुता का मतलब है कि जब तक कोई देश अपनी रक्षा जरूरतों में सक्षम और आत्मनिर्भर नहीं होता, तब तक उसकी स्वतंत्रता पूरी नहीं मानी जा सकती। अगर हम विदेश से हथियार और अन्य रक्षा उपकरण खरीदते हैं, तो हम अपनी सुरक्षा को आउटसोर्स कर रहे हैं और इसे किसी और की दया पर छोड़ रहे हैं। हमारी सरकार ने इस पर गंभीरता से विचार किया और आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए निर्णायक कदम उठाया। विस्तारित रक्षा औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र भारत को अभूतपूर्व ताकत प्रदान कर रहा है।”रक्षा मंत्री ने कहा कि रक्षा उत्पादन में गुणवत्ता और मात्रा पर समान जोर दिया जा रहा है और इस दिशा में कई क्रांतिकारी कदम उठाए जा रहे हैं, जिसमें आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) का निगमीकरण भी शामिल है।
उन्होंने गुणवत्ता को सरकार का प्राथमिकता वाला सुधार एजेंडा बताया और इस बात पर प्रकाश डाला कि ओएफबी के निगमीकरण के बाद से डीपीएसयू अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी और निर्यातोन्मुखी बन गए हैं, साथ ही गुणवत्तापूर्ण उत्पादन को आगे बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं।रक्षा मंत्री ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र की प्रगति के पीछे एक उद्देश्य स्वस्थ प्रतिस्पर्धी निजी रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना रहा है, जो गुणवत्ता के माध्यम से भारत की सुरक्षा को मजबूत करेगा। उन्होंने कहा, “आज की दुनिया में, एक मजबूत ब्रांड वैल्यू, एक उत्पाद से ज्यादा महत्वपूर्ण है। वह ब्रांड सफल होता है, जो लगातार गुणवत्ता और विश्वसनीयता का आश्वासन देता है।”श्री सिंह ने इस अवसर पर उपस्थित सशस्त्र बलों, सरकारी क्यूए एजेंसियों, डीपीएसयू, निजी उद्योग, अनुसंधान संस्थानों, शिक्षाविदों और एमएसएमई प्रतिनिधियों से विश्व में अग्रणी अत्याधुनिक ब्रांड इंडिया बनाने की अपील की।
उन्होंने कहा, “ब्रांड इंडिया का मतलब है कि अगर किसी भारतीय कंपनी ने कुछ वादा किया है, तो वह जरूर होगा। ‘जब भी संदेह हो, तो भारत का रुख करें’ हमारी यूएसपी होनी चाहिए।” वैश्विक व्यवस्था में हो रहे बड़े बदलावों पर रक्षा मंत्री ने कहा कि जब विकसित देश पुनः शस्त्रीकरण की ओर बढ़ेंगे, तो हथियारों और उपकरणों की मांग बढ़ेगी। उन्होंने स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि 2024 में विश्व सैन्य व्यय 2,718 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि समन्वित प्रयासों से भारतीय रक्षा विनिर्माण क्षेत्र ब्रांड इंडिया दर्शन के साथ वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना सकता है।(वार्ता)