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नयी दिल्ली : कारोेबारी सुगमता और 42 कानूनों में बदलाव करने वाले ‘जन विश्वास ( प्रावधानों में संशोधन) विधेयक 2023 को बुधवार को राज्यसभा ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसके साथ ही इस पर संसद की मुहर लग गयी।लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है। इसे विस्तृत जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया था।वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सदन में संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि माेदी सरकार कारोबार के अनुकूल माहौल बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।
इस विधेयक के माध्यम से 42 कानूनाें में संशोधन होगा और प्रक्रियाओं के सरल बनाया जाएगा।उन्होंने कहा कि इस विधेयक से भारतीय डाकघर अधिनियम 1898, पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986, सार्वजनिक देयता बीमा अधिनियम 1991 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 आदि में बदलाव होगा। यह विधेयक कुछ कानूनों में कुछ अपराधों को कैद की सजा से मुक्त करता है और उनके लिए सिर्फ मौद्रिक दंड का प्रावधान करता है।चर्चा में भारतीय जनता पार्टी के विप्लव कुमार देव, घनश्याम तिवाडी, भुवनेश्वर कलिता और सिकंदर कुमार ने भाग लिया।
वन संरक्षण विधेयक पर लगी संसद की मुहर
देश में वृक्षरोपण को प्रोत्साहन, निश्चित भूमि को सरकारी सुविधाओं और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए वन भूमि लेने की अनुमति देने वाले ‘वन संरक्षण विधेयक 2023’ को बुधवार को राज्यसभा ने ध्वनिमत से पारित कर दिया और इसके साथ ही इस पर संसद की मुहर लग गयी।यह विधेयक लोकसभा से पारित हो चुका है। इस विधेयक को विस्तृत जांच के लिए स्थायी समिति में भेजा गया था।यह विधेयक विपक्षी दलों की अनुपस्थिति में पारित हुआ। भाेजनावकाश के बाद कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी दलों सदस्यों ने मणिपुर की स्थिति पर चर्चा की मांग करते हुए सदन से बहिर्गमन किया था।
वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने सदन में विधेयक पर चली संक्षिप्त चर्चा पर जवाब देते हुए कहा कि इससे देश में वृक्षारोपण में वृद्धि होगी और पर्यावरण का संरक्षण हो सकेगा। उन्होंने कहा कि इससे वन क्षेत्र में बसे ग्रामीण इलाकों में सरकारी सुविधायें पहुंचायी जा सकेगी। इससे क्षेत्र की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि पांच हेक्टेयर से कम भूमि पर निर्माण करने के लिए अनुमति स्थानीय स्तर पर दी जा सकेगी और केंद्र सरकार के पास आने की आवश्यकता नहीं होगी। उन्होंने कहा कि विधेयक में वन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के अधिकारों को सुरक्षित रखा गया है। इससे उनके अधिकारों पर कोई आंच नहीं आयेगी।विधेयक में अंतरराष्ट्रीय सीमा के 100 किलोमीटर के क्षेत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व की परियोजनाओं की अनुमति दी गयी है।
राज्य सरकारें सामाजिक उद्देश्यों लिए निश्चित वन भूमि निजी कंपनियों को दे सकेगी। इसके अलावा वन में जांच चौकी, तारबंदी और सेतु आदि का निर्माण किया जा सकेगा।बीजू जनता दल के प्रशांत नंदा ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इसमें अत्यधिक छूट दी जा रही है। इसका वन संरक्षण पर बुरा असर पड़ सकता है। भारतीय जनता पार्टी के सुशील कुमार मोदी ने कहा कि विधेयक में वन क्षेत्रों में सुरक्षा बलों को अपने प्रतिष्ठान बनाने की अनुमति दी जा रही है। इससे सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी।सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के हिशे लाचुंगपा ने विधेयक का समर्थन किया और कहा कि इससे वन क्षेत्रों मे रहने वाले लोगों तक सरकारी सुविधायें पहुंचाने में मदद मिलेगी। जनजातीय लोगों की जीवनयापन में सुधार होगा।
वाईएसआरसीपी के एच. निरंजन रेड्डी ने कहा कि उनकी पार्टी विधेयक का समर्थन करती है। इससे दूरदराज के क्षेत्रों में विकास के लाभ पहुंचाने में मदद मिलेगी।भारतीय जनता पार्टी के कामाख्या प्रसाद तासा ने कहा कि ऐसे विधेयक की लंबे समय से जरूरत महसूस की जा रही थी। इससे विकास के लाभ सभी तक पहुंच सकेंगे। वाईएसआर सीपी के वी. विजयसाई रेड्डी ने कहा कि इस विधेयक वन क्षेत्र बढ़ाने और इसे संरक्षित करने में मदद मिलेगी।अन्नाद्रमुक के एम थंबी दुरई ने विधेयक का समर्थन किया और कहा कि इससे स्थानीय स्तर के निकायों की शक्ति में वृद्धि होगी और वे स्थानीय आवश्यकता के अनुसार निर्णय ले सकेंगे। गांवों में सड़क और अन्य सुविधायें पहुंचाने की जरूरत है और विधेयक इसकी पूर्ति करता है।
भारतीय जनता पार्टी के दिनेश चंद्र जेमलभाई अनावाडिया ने कहा कि सडकों और नहरों के किनारों पर विधिवत वृक्षारोपण हो सकेगा। अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पर्यावरण संबंधी में छूट देने से राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत होगी और सुरक्षा बलों का आवागमन सुगम हो सकेगा।टीएमसी एम जी के वासन ने विधेयक का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि इससे इको पर्यटन को बल मिलेगा। भारतीय जनता पार्टी के अभय प्रताप सिंह ने कहा कि यह विधेयक राष्ट्रीय सुरक्षा काे बल मिलेगा। रणनीतिक रुप से महत्वपूर्ण सीमावर्ती क्षेत्रों में निर्माण कार्य किया जा सकेगा। यह विधेयक जनजातीय समाज के राष्ट्रीय एकीकरण में मदद करेगा।
भारतीय जनता पार्टी की रमीला बेन बेचारभाई बारा ने कहा कि यह अमृत समान है। इसके दूरगामी परिणाम होंगे। आदिवासी लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आयेगा। आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य, शिक्षा और सड़क की सुविधा प्राप्त होगी। स्थानीय स्तर पर जैव विविधता का संरक्षण होगा। औषधियों के लिए आवश्यक जड़ी-बूटियों की पैदावार बढ़ेगी।
लोकसभा की कार्यवाही हंगामे के कारण दिनभर के लिए स्थगित
लोकसभा में बुधवार को भी जमकर हंगामा हुआ जिसके कारण सदन की भोजनावकाश के बाद भी नहीं चली और पीठासीन अधिकारी को सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी।पीठासीन अधिकारी किरीट सोलंकी ने एक बार के स्थगन के बाद दो बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरु की तो विपक्ष के सदस्य सदन के बीचोंबीच आकर हंगामा करने लगे। इसी दौरान सत्ता पक्ष के सदस्य भी अपनी सीटों पर खड़े होकर शोर शराबा और नारेबाजी करने लगे। सत्तापक्ष की तरफ से किये जा रहे हंगामे को विपक्ष के सदस्य भी नहीं समझ पाये और वे कारण जानने का प्रयास करते हुए नजर आये।
सत्ता पक्ष तथा विपक्ष की तरफ से हुए हंगामे के बीच पीठासीन अधिकारी ने आसन के सामने आये सदस्यों को वापस अपनी सीटों पर जाने तथा सत्ता पक्ष के सदस्यों को शोर शराबा नहीं करने का आग्रह किया, लेकिन दोनों तरफ से हंगामा होने के कारण सदन में शाेर शराबा बहुत तेज हो गया जिसे देखते हुए पीठासीन अधिकारी ने सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी।इससे पहले सुबह 11 बजे पीठासीन अधिकारी मिथुन रेड्डी ने जैसे ही प्रश्नकाल शुरु किया विपक्ष के सदस्य आसन के सामने आकर हंगामा करने लगे। पीठासीन अधिकारी ने हंगामे के बीच ही प्रश्नकाल चलाने की कोशिश की, लेकिन विपक्षी सदस्य नारेबाज़ी करते रहे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सदन में आकर मणिपुर को लेकर जवाब देने की माँग दोहराते रहे।
राज्यसभा से विपक्षी दलों का बहिर्गमन
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को मणिपुर में हिंसा और उपद्रव की घटनाओं पर चर्चा की अनुमति नहीं मिलने पर कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के सदस्यों ने बुधवार को सदन से वॉकआऊट किया ।श्री खड़गे ने शून्यकाल के दौरान मणिपुर हिंसा के मामले को उठाया और कहा कि वहां हिंसा और उपद्रव की घटनाओं में बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं और बड़े पैमाने पर मकानों को जला दिया गया है। उन्होंने इस मुद्दे पर जवाब के लिए प्रधानमंत्री को सदन मे बुलाए जाने की मांग की।
सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि नियम 267 के तहत उन्हें 58 नोटिस मिले हैं जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया है। इस मामले में नियम 167 के तहत पहले ही चर्चा कराने की अनुमति दी गई है। चर्चा के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है।इसके बाद सत्तापक्ष भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी दलों के सदस्य अपनी-अपनी सीट से हंगामा करने लगे। सभापति ने कहा कि विपक्ष के नेता को बोलने की अनुमति दी गई थी, लेकिन उन्होंने इसका सदुपयोग नहीं किया। सभापति ने कहा कि यहां से प्रधानमंत्री को कोई निर्देश नही जारी किया जा सकता है। इसके बाद कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, शिवसेना, जनता दल यू, राष्ट्रीय जनता दल और कई अन्य पार्टियों के सदस्य सदन से वाकआऊट कर गए।शून्य काल के दौरान ही भाजपा के कैलाश सोनी ने सोने चांदी के विक्रेताओं को लाइसेंसी हथियार जारी करने की मांग की।
उन्होंने कहा कि सोना चांदी के विक्रेताओं को बड़े पैमाने पर चोरी, लूटपाट और आगजनी की घटनाओं का सामना करना पड़ता है जिसके कारण उन्हे सुरक्षा प्रदान किया जाना जरुरी है।बीजू जनता दल के सस्मित पात्रा ने प्राकृतिक आपदाओं के कारण ओडिशा को विशेष फोकस राज्य का दर्जा देने की मांग की। उन्होंने कहा कि ओडिशा को बार-बार प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है जिससे राज्य को भारी नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि विशेष राज्य का दर्जा मिलने से उसे केन्द्र से विकास योजनाओं के लिए अधिक राशि मिल सकेगी। (वार्ता)