आपराधिक न्याय प्रणाली की कायापलट करने वाले विधेयकों को संसद की मंजूरी
लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित
नयी दिल्ली : राज्यसभा ने देश की आपराधिक न्याय प्रणाली की कायापलट करने वाले तीन विधेयकों को गुरूवार को अनेक विपक्षी दलों की गैर मौजूदगी में ध्वनिमत से पारित कर दिया।लोकसभा इन विधेयकों को पहले ही पारित कर चुकी है जिससे इन पर संसद की मुहर लग गयी।विधेयक पर हुई चर्चा में अनेक विपक्षी दलों के सदस्यों ने हिस्सा नहीं लिया। विपक्ष के 46 सदस्य राज्यसभा से निलंबित हैं।गृह मंत्री अमित शाह ने तीनों विधेयकों, भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक , भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता विधेयक और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) पर संयुक्त रूप से पांच घंटे से भी अधिक चली चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इनमें दंड आधारित आपराधिक न्याय प्रणाली को हटा कर उसके स्थान पर न्याय केन्द्रित और भारतीय मूल्यों पर आधारित न्यायिक प्रणाली स्थापित करने का प्रावधान है।
उन्होंने कहा कि इन विधेयकों के पारित होने से आपराधिक न्यायिक प्रणाली में एक नये युग की शुरूआत हाेगी जो पूरी तरह भारतीय होगी। इसका मुख्य उद्देश्य पीड़ित को न्याय देना है।उन्होंने कहा कि इन विधेयकों पर 2019 से विचार विमर्श किया जा रहा था। केवल कानूनों के नाम नहीं बदले गये हैं बल्कि कानूनों में आमूलचूल परिवर्तन किया गया है। पुराने कानून में भारत के नागरिक के सम्मान और अधिकारों की सुरक्षा के बजाय अंग्रेज अधिकारियों की सुरक्षा की गयी थी। इन कानूनों में भारत के न्याय के दर्शन को जगह दी गयी है। उन्होंने कहा कि इन कानूनाें की आत्मा भी भारतीय है, शरीर भी भारतीय है और सोच भी भारतीय है।विपक्ष द्वारा संसद के बाहर नये कानूनों की जरूरत पर सवाल उठाये जाने पर उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य स्व शासन लाना है।
उन्होंने कहा कि इन कानूनों के लागू होने के बाद तारीख पर तारीख की परंपरा खत्म हो जायेगी और न्यायिक प्रणाली 21 वीं सदी में पहुंच जायेगी। यह सबसे अधिक आधुनिक और प्रौद्योगिकी आधारित न्यायिक प्रणाली होगी। इन कानूनों में राजद्रोह की अवधारणा को बदल कर देशद्रोह में बदला गया है। इसमें देश की संप्रभुता , एकता और अखंडता के खिलाफ बोलने वालाें को बख्शा नहीं जायेगा। पुराने कानून में शामिल सरकार शब्द को हटा दिया गया है। संगठित अपराध पर भी नकेल कसी जा रही है। इन कानूनों के जरिये गरीबों को सस्ता तथा शीघ्र न्याय मिलेगा और मुकदमों का निपटारा तीन वर्ष में किया जायेगा।उन्होंने कहा कि यह कानून भारत की संसद द्वारा बनाया जा रहा है और यह गौरव का विषय है लेकिन विपक्ष को इसमें गौरव नहीं दिखाई दे रहा इसीलिए विपक्ष यहां नहीं है। विपक्ष चाहता था कि पुराने कानून बने रहे हैं और उनका दुरूपयोग भी होता रहे। उन्होंने विपक्ष को आडे हाथों लेते हुए कहा कि मोदी सरकार केवल वादे नहीं करती उन्हें पूरा भी करती है।
उन्होंने कहा कि भाजपा पर आरोप लगता था कि वह राम मंदिर बनाने का वादा करती है लेकिन तारीख नहीं बताती, सभापति जी आज हम बता रहे हैं कि 22 जनवरी को देशवासियाें को राम मंदिर में दर्शन होंगे।उन्होंने कहा कि इन विधेयकों को तैयार करते समय विभिन्न स्तर पर मिले 72 प्रतिशत सुझावों को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि इन विधेयकों में सभी तरह के अपराधों के आंकड़े एक जगह एकीकृत करने तथा सीसी टीवी कैमरों के आंकडे एकीकृत करने का प्रावधान किया गया है और इस दिशा में 82 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। विधेयक में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के मामले में सख्ती पर बहुत जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि कानून में आतंकवाद की परिभाषा स्पष्ट की गयी है और इसके दुरूपयाेग की कोई संभावना नहीं है। उन्हाेंने कहा कि इन कानूनों के लागू होने के बाद आतंकवाद की घटनाओं में और अधिक कमी आयेगी और यह धीरे धीरे समाप्त हो जायेगा।
गृह मंत्री ने कहा कि विधेयक में मॉब लिंचिंग के अपराध के लिए मृत्यु दंड की सजा का प्रावधान किया गया है। पुलिस को तीन दिन के अंदर प्राथमिकी दर्ज करनी होगी इसमें कोई ढील नहीं बरती जायेगी। आरोप पत्र दायर करने के लिए 90 दिन की अवधि रखी गयी है। देश छोडकर भागने वाले अपराधियों की अनुपस्थिति में मुकदमा भी चलाया जायेगा और सजा भी सुनायी जायेगी इससे लोगों को सबक मिलेगा। फांसी की सजा पाने वाले किसी अपराधी के लिए कोई गैर सरकारी संगठन या व्यक्ति आम माफी की याचिका नहीं कर सकेगा। अपराधी को यह याचिका खुद दायर करनी होगी। उन्होंने कहा कि यह समूची प्रक्रिया डिजिटल होगी और आगामी आम चुनाव से पहले सबसे पहले केन्द्र शासित प्रदेश चंडीगढ में इस प्रणाली को पूरी तरह डिजिटल कर दिया जायेगा।
श्री शाह ने कहा कि वह सदन को आश्वस्त करना चाहते हैं कि भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली सबसे आधुनिक होगी। छोटे मोटे अपराधाें के लिए सामुदायिक सेवा का प्रावधान भी विधेयकों मेें किया गया है।उनके जवाब के बाद सदन ने इन विधेयकों को ध्वनिमत से पारित कर दिया।सभापति जगदीप धनखड़ ने भाजपा के सदस्य महेश जेठमलानी के बोलने के बाद कहा कि यह अफसोस की बात है कि सदन को जाने माने वकीलों कांग्रेस के पी चिदम्बरम, अभिषेक मनु सिंघवी , विवेक तन्खा और कपिल सिब्बल सदन में नहीं हैं और सदन को उनके विचार सुनने को नहीं मिले।
लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित
लोकसभा के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही गुरुवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सत्र का समापन करते हुए कहा कि चार दिसंबर को शुरु हुए सत्र के दौरान उत्पादकता 74 प्रतिशत रही। इस दौरान 14 बैठकें हुईं जो लगभग 61 घंटे 50 मिनट तक चली। इस सत्र में 12 सरकारी विधेयक पुरस्थापित हुए और 18 विधेयक पारित किये गये।उन्होंने कहा कि इस दौरान भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता , 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता , 2023, भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक, 2023, केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2023, और दूरसंचार विधेयक, 2023 जैसे महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए गए।
श्री बिरला ने कहा कि वर्ष 2023-24 के लिए अनुदानों की पूरक मांगों को तथा वर्ष 2020-21 के लिए अतिरिक्त अनुदानों की मांगों को मतदान के उपरांत पारित किया गया।श्री बिरला ने बताया कि सत्र के दौरान 55 तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए गए और नियम 377 के अधीन कुल 265 मामले उठाए गए । सत्र के दौरान अविलंबनीय लोक महत्व के 182 मामले उठाए गए।अध्यक्ष ने बताया कि लोकसभा की विभागों से संबंधित स्थायी समितियों ने 35 प्रतिवेदन प्रस्तुत किए। निर्देश 73क के अधीन 33 वक्तव्य दिए गए और संसदीय कार्य के संबंध में संसदीय कार्य मंत्री द्वारा दिए गए तीन वक्तव्यों सहित कुल 34 वक्तव्य दिए गए।श्री बिरला ने यह भी बताया कि सत्र के दौरान कुल 1930 दस्तावेज़ सभा के पटल पर रखे गए।
राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित
राज्यसभा की कार्यवाही निर्धारित कार्यक्रम से एक दिन पहले गुरुवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गयी।सभापति जगदीप धनखड़ ने भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली से संबंधित तीन विधेयकों को पारित किये जाने के बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी।(वार्ता)