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हमारा लक्ष्य मृत्यु दर मामले में कमी लाना- डॉ. हर्षवर्धन

डॉ. हर्ष वर्धन ने कोविड-19 पर मंत्रियों के समूह (जीओएम) की 18वीं बैठक की अध्यक्षता की

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन की अध्यक्षता में आज यहां कोविड-19 पर वीडियो कॉंन्फ्रेंस के जरिये उच्च स्तरीय मंत्रियों के समूह (जीओएम) की 18वीं बैठक आयोजित हुई। केंद्रीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर, केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप एस. पुरी, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विन कुमार चौबे, केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक तथा जहाजरानी राज्य मंत्री  मनसुख मंडाविया, नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. विनोद पौल भी वीडियो कॉन्फ्रेंस लिंक के जरिये इस बैठक में शामिल हुए।

आरंभ में, जीओएम को भारत में कोविड-19 की वर्तमान स्थिति के बारे में अवगत कराया गया। पांच सर्वाधिक प्रभावित देशों के बीच वैश्विक तुलना से स्पष्ट रूप से प्रदर्शित हुआ कि भारत में प्रति मिलियन मामले (538) तथा मृत्यु प्रति मिलियन (15) है जो क्रमशः 1453 एवं 68.7 के वैश्विक औसत की तुलना में निम्नतम में से एक है। आज की तिथि तक, देश के भीतर, आठ राज्यों (महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, कर्नाटक, तेलंगाना, आध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात) की भागीदारी सक्रिय मामलों में लगभग 90 प्रतिशत और 49 जिलों की सक्रिय मामलों में भागीदारी 80 प्रतिशत है। इसके अतिरिक्त, छह राज्यों (महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल) की कुल मौतों में 86 प्रतिशत भागीदारी तथा 32 जिलों की कुल मौतों में 80 प्रतिशत भागीदारी है। जीओएम को उन क्षेत्रों में किए गए विशेष प्रयासों के बारे में जानकारी दी गई जहां मृत्यु दर के मामले अधिक हैं।

देश में कोविड-19 स्वास्थ्य अवसंरचना के बारे में बोलते हुए, जीओएम को जानकारी दी गई कि आज की तारीख तक देश में 3,77,737 आइसोलेशन बेडों (बिना आईसीयू सहायता के) के साथ कुल 3914 सुविधा केंद्र, 39820 आईसीयू बेड और 20,047 वेंटिलेटरों के साथ 1,42,415 आक्सीजन समर्थित बेड हैं। स्वास्थ्य देखभाल संभार तंत्र के लिहाज से, संचयी रूप से 213.55 लाख एन95 मास्कों, 120.94 लाख पीपीई तथा 612.57 लाख एचसीक्यू टैबलेटों का वितरण किया जा चुका है।

अनलॉक 2.0 की अवधि के दौरान, भविष्य के कदमों के रूप में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के दिशानिर्देशोंके अनुरूप, कंटेनमेंट जोनों के सीमांकन समेत कंटेनमेंट एवं निगरानी पर गहन फोकस, वेबसाइटों पर अधिसूचित किए जाने वाले कंटेनमेंट जोनों, सख्त पेरीमीटर नियंत्रण एवं केवल अनिवार्य गतिविधियों की अनुमति दिया जाना, सघन कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, घर घर जाकर तलाशी/ निगरानी, संभावित नए मामलों को नियंत्रित करने के लिए कंटेनमेंट जोनों के बाहर पता लगाए जाने वाले बफर जोन आदि शामिल हैं।

उल्लेख किया गया कि नियमित अंतरालों पर केंद्र एवं राज्य/केन्द्र शासित प्रदेशों के सहयोग कदमों में अधिक प्रभावी कंटेनमेंट एवं नियंत्रण उपायों के लिए सर्वाधिक प्रभावित राज्यों को आरंभिक सहायता एवं समर्थन देने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की केंद्रीय टीमों द्वारा उन राज्यों का नियमित दौरा किया जाना शामिल है। सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में नियमित वीसी का फोकस प्रसार को नियंत्रित करने, टेस्टिंग में बढोतरी करने एवं मृत्यु दर में कमी लाने पर है।

डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि ‘जैसेजैसे हम आगे बढ़ रहे हैं, हमारा फोकस सख्त कंटेनमेंट उपायएवं निगरानी के जरिये कोविड-19 के प्रबंधन, पूरी टेस्टिंग क्षमता का उपयोग करने, को-मोरबिड एवं बुजुर्ग आबादी की निगरानी पर फोकस करने, आरोग्य सेतु जैसे डिजिटल उपकरण का लाभ उठाने के जरिये उभरने वाले हॉट स्पॉट का पूर्वानुमान लगाने, निर्बाधित रोगी भर्ती प्रक्रिया सुनिश्चित करने, अवसंरचना की तैयारी (क्रिटिकल केयर बेडों, आक्सीजन, वेंटिलेटर एवं संभार तंत्र) पर ध्यान केंद्रित करने पर है।उन्होंने बताया कि राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ, हमारा लक्ष्य आरंभिक पहचान तथा प्रभावी नैदानिक प्रबंधन के द्वारा मृत्यु दर मामले को घटाना तथा इसे निम्न बनाये रखना है।’

निदेशक (राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र) डॉ. सुजीत के सिंह ने महामारी के दौरान भारत में किए गए निगरानी प्रयासों पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसका फोकस एसएआरआई/आईएलआई मामलों, सेरोलौजिकल सर्वे तथा देशव्यापी टेस्टिंग को विस्तारित करने के लिए लैब नेटवर्क में बढोतरी के जरिये सख्त कंटेनमेंट रणनीति तथा निगरानी पर था। देश में प्रमुख चिंताजनक क्षेत्रों को रेखांकित किया गया तथा मृत्यृ दर के मामलों में कमी लाने के लिए को-मोरबिडिटी के साथ उच्च जोखिम वाली आबादी में टेस्टिंग तथा निगरानी के साथ समय पर नैदानिक प्रबंधन सहित उठाये जाने वाले कदम को सूचीबद्ध किया गया।

उच्च अधिकार संपन्न समूह-8 (सूचना, संचार एवं लोक जागरूकता) के अध्यक्ष श्री अमित खरे द्वारा एक विस्तृत प्रस्तुति में, जीओएम को सूचना के संचार तथा लोक जागरूकता बढ़ाने के मामले में उठाये गए प्रमुख कदमों के बारे में जानकारी दी गई। समूह को फेक न्यूज से संबंधित 6,755 अलर्ट प्राप्त हुए, जिसमें से 5,890 का सीधे उत्तर दिया गया तथा 17 विदेशी मीडिया कहानियों के खंडन प्रकाशित किए गए। समूह ने 98 दैनिक कोविड-19 बुलटिनों के अंकों, 92 प्रेस सम्मेलनों तथा 2,482 प्रेस विज्ञप्तियों को भी समन्वित किया। समूह ने महामारी के दौरान व्यवहारगत बदलाव अभियान तथा प्रधानमंत्री द्वारा लॉन्च किए गए आत्म निर्भर भारत अभियान के तहत किसानों एवं एमएसएमई इकाइयों को राहत कदमों के बारे में जागरूकता फैलाने में सक्रिय भूमिका निभाई। रेखांकित किया गया कि कोविड-19 महामारी से संबंधित मानसिक स्वास्थ्य मुद्दे मीडिया में चर्चा के जरिये आगे की संचार रणनीति का प्रमुख हिस्सा होंगे। अंतःवैयक्तिक तथा जनसंचार के जरिये अधिकतम श्रोताओं तक पहंचने के लिए क्षेत्रीय भाषा में संदेशों एवं सूचना के प्रसार पर ध्यान केंद्रित किया गया।

सचिव (स्वास्थ्य) सुश्री प्रीति सूदन, ओएसडी (परिवार एवं स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय) श्री राजेश भूषण, सीईओ (नीति आयोग) श्री अमिताभ कांत, डीजी (आईएमआर) डॉ. बलराम भार्गव, सचिव (फार्मा) श्री पी डी वाघेला, सचिव (जहाजरानी) श्री संजीव रंजन, सचिव (कपड़ा) श्री रवि कपूर, सचिव (डीडब्ल्यूएस) श्री परमेश्वरन अय्यर, सचिव (एमईआईटीवाई) श्री अजय प्रकाश साहनी, आईटीबीपी के प्रतिनिधियों ने वर्चुअल मीडिया के जरिये इसमें भाग लिया।

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