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अब किसी भी उम्र के नाबालिगों का खुल सकेगा बैंक खाता : आरबीआई

आरबीआई ने एलसीआर ढांचे में संशोधन को दी मंजूरी

मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आज कहा कि अब किसी भी आयु के नाबालिग अपने अभिभावक के माध्यम से बैंक में बचत और सावधि जमा खाता खोल सकते हैं।आरबीआई ने सोमवार को सभी वाणिज्यिक एवं सहकारी बैंकों को जारी अधिसूचना में नाबालिगों के लिए जमा खाता खोलने और संचालन से संबंधित नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जो 01 जुलाई 2025 से प्रभावी होंगे।

आरबीआई ने मौजूदा नियमों की समीक्षा कर इन्हें अधिक व्यावहारिक और सुव्यवस्थित बनाने के उद्देश्य से यह कदम उठाया है।नए दिशा-निर्देशों के तहत अब किसी भी आयु के नाबालिग अपने अभिभावक के माध्यम से बचत और सावधि जमा खाता खोल सकते हैं। साथ ही 10 वर्ष या उससे अधिक उम्र के नाबालिग यदि सक्षम हों तो बैंक की जोखिम प्रबंधन नीति के तहत स्वतंत्र रूप से खाता खोलने और संचालित करने के पात्र होंगे।

आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया है कि वयस्क होने पर खाताधारक के नए परिचालन निर्देश और हस्ताक्षर नमूने प्राप्त किए जाएंगे और यदि खाता अभिभावक द्वारा संचालित किया गया हो, तो शेष राशि की पुष्टि की जाएगी।इसके अलावा बैंक अपनी आंतरिक नीतियों के अनुसार, नाबालिग खाताधारकों को एटीएम, डेबिट कार्ड, चेकबुक और इंटरनेट बैंकिंग जैसी सुविधाएं देने के लिए स्वतंत्र होंगे। केंद्रीय बैंक ने यह भी निर्देश दिया है कि नाबालिगों के खाते हमेशा क्रेडिट बैलेंस में रहने चाहिए और उनमें ओवरड्राफ्ट की अनुमति नहीं दी जाएगी।

खाता खोलने और संचालन के दौरान बैंकों को ग्राहक की उचित जांच-पड़ताल करनी होगी और केवाईसी (अपने ग्राहकों को जानें) दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा। आरबीआई ने बैंकों को सलाह दी है कि वे 01 जुलाई 2025 तक इन दिशा-निर्देशों के अनुरूप अपनी नीतियों में आवश्यक संशोधन कर लें, जबकि तब तक मौजूदा नीतियां प्रभावी बनी रहेंगी।

आरबीआई ने एलसीआर ढांचे में संशोधन को दी मंजूरी 

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने तरलता कवरेज अनुपात (एलसीआर) ढांचे में अहम बदलावों को अंतिम रूप दे दिया है और ये निर्देश 01 अप्रैल, 2026 से लागू होंगे और इससे बैंकों की तरलता प्रबंधन प्रणाली अधिक मजबूत और वैश्विक मानकों के अनुरूप बन सकेगी।आरबीआई ने तरलता मानकों को और मज़बूती देने के उद्देश्य से तरलता कवरेज अनुपात (LCR) ढांचे में संशोधन संबंधी अंतिम दिशा-निर्देश सोमवार को जारी कर दिए। ये दिशा-निर्देश 25 जुलाई, 2024 को जारी मसौदा परिपत्र के आधार पर तैयार किए गए हैं, जिसमें बैंकों और अन्य हितधारकों से सुझाव आमंत्रित किए गए थे।

केंद्रीय बैंक के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, अब इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग सक्षम खुदरा एवं छोटे व्यवसाय ग्राहकों की जमाओं पर 2.5 प्रतिशत की अतिरिक्त रन-ऑफ दर लागू की जाएगी। साथ ही बैंकों को सरकारी प्रतिभूतियों (स्तर 1 एचक्यूएलए) के मूल्य को लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी (एलएएफ) और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) के तहत मार्जिन आवश्यकताओं के अनुरूप समायोजित करना होगा।इसके अलावा, ‘अन्य कानूनी संस्थाओं’ जैसे ट्रस्ट (शैक्षणिक, धर्मार्थ, धार्मिक), भागीदारी और एलएलपी से प्राप्त थोक वित्तपोषण पर रन-ऑफ दर को 100 प्रतिशत से घटाकर 40 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे उनकी तरलता में सुधार होगा।

आरबीआई ने बताया कि उसके द्वारा 31 दिसंबर, 2024 तक के आंकड़ों के आधार पर किए गए विश्लेषण में पाया गया है कि इन सुधारात्मक उपायों से बैंकों के एलसीआर में औसतन छह प्रतिशत अंकों का सुधार होगा जबकि सभी बैंक नियामक न्यूनतम एलसीआर आवश्यकता को आसानी से पूरा करते रहेंगे।केंद्रीय बैंक को भरोसा है कि यह कदम न केवल बैंकिंग प्रणाली को और अधिक लचीला बनाएगा बल्कि वैश्विक मानकों के साथ तालमेल बिठाने में भी मदद करेगा। बैंकों को अपनी आंतरिक प्रणाली को नए मानकों के अनुसार तैयार करने के लिए पर्याप्त समय दिया गया है और ये संशोधित दिशा-निर्देश 01 अप्रैल, 2026 से प्रभावी होंगे।(वार्ता)

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