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अब विश्व के कोने-कोने तक पहुंचेगा ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान

प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत कई लोगों को रोजगार एवं कई उद्योगों को बढ़ावा मिला है। इसके तहत केंद्र सरकार भारत को स्वावलंबी बनाने के प्रयास में जुटी है और अब ट्राईफेड की पहल के जरिए यह अभियान विश्व के कोने-कोने तक पहुंचेगा। भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ (ट्राईफेड) विदेश मंत्रालय के सहयोग से विश्व भर के 100 भारतीय मिशनों और दूतावासों में आत्मनिर्भर भारत कॉर्नर स्थापित करने जा रहा है। इस कॉर्नर में रखने के लिए जनजातीय उत्पादों की समृद्धि और विविधता को प्रदर्शित करने वाले सूचीपत्र (कैटलॉग) और विवरण पुस्तिकाएं (ब्रोशर) भी मिशनों और दूतावासों के पास भेजे गए हैं। इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन – ‘आदि महोत्सव’ में बड़ी संख्या में विभिन्न देशों के राजनयिकों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था।

विश्वभर में स्थापित किए जाएंगे आत्मनिर्भर भारत कॉर्नर

“वोकल फॉर लोकल” और “आत्मनिर्भर भारत” अभियान पर ध्यान देने के साथ ही भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ (ट्राईफेड) विभिन्न मंत्रालयों जैसे संस्कृति मंत्रालय, उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी), वाणिज्य मंत्रालय, डाक विभाग, पर्यटन मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है ताकि आदिवासी शिल्पियों और कारीगरों के सशक्तिकरण के प्रतीक के रूप में जनजातीय उत्पादों सहित जीआई टैग उत्पादों को बढ़ावा देने के साथ ही उन्हें एक ब्रांड में बदला जा सके। इस संदर्भ में ट्राईफेड विदेश मंत्रालय के सहयोग से विश्वभर में स्थापित 100 भारतीय मिशनों और दूतावासों में एक आत्मनिर्भर भारत कॉर्नर स्थापित करने वाला है।

कोविड महामारी के दौरान प्रधानमंत्री ने की थी ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ की शुरुआत

भारतीय प्रधानमंत्री ने कोविड महामारी के दौरान देश को संबोधित करते हुए ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ की चर्चा कर आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी। प्रधानमंत्री ने कोविड महामारी से पहले तथा बाद की दुनिया के बारे में बात करते हुए कहा कि 21 वीं सदी के भारत के सपने को साकार करने के लिये देश को आत्मनिर्भर बनाना जरूरी है। वर्तमान वैश्वीकरण के युग में आत्मनिर्भरता की परिभाषा में बदलाव आया है। आत्मनिर्भरता, आत्म-केंद्रित होने से अलग है। भारत ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ में विश्वास करता है। चूंकि भारत दुनिया का ही एक हिस्सा है, अत: भारत प्रगति करता है तो ऐसा करके वह दुनिया की प्रगति में भी योगदान देगा। ‘आत्मनिर्भर भारत’ का मतलब वैश्वीकरण का बहिष्कार करना नहीं है अपितु भारत का स्वावलंबी होकर दुनिया के विकास में मदद करना है।

न्यूयॉर्क में आयोजित योग कार्यक्रम में जनजातीय उत्पादों के स्टॉलों पर दिखी थी भीड़

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस समारोह के एक अंग के रूप में न्यूयॉर्क में भारत के महावाणिज्य दूतावास ने न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर में योग, समग्र स्वास्थ्य, आयुर्वेद और स्वास्थ्यता को प्रदर्शित करने के लिए एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें 3,000 लोगों ने भाग लिया। न्यूयॉर्क में एक प्रतिष्ठित स्थान पर आयोजित यह कार्यक्रम बहुत सफल रहा। कार्यक्रम का विशेष आकर्षण वे स्टॉल थे, जिनमें रोग प्रतिरक्षण क्षमता को बढ़ाने वाले आयुर्वेदिक उत्पादों सहित अद्वितीय प्राकृतिक जनजातीय उत्पादों की एक पूरी श्रृंखला शामिल थी। इन उत्पादों में जैविक उत्पाद , प्राकृतिक प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाले आवश्यक उत्पाद जैसे बाजरा, चावल, मसाले, शहद, च्यवनप्राश, आंवला, अश्वगंधा पाउडर, हर्बल चाय और कॉफी तथा योग करने के लिए चटाई, बांसुरियां , हर्बल साबुन, बांस से बनी सुगंधित मोमबत्तियां इत्यादि प्रमुख हैं। इन स्टालों पर भारी मात्रा में लोगों की भीड़ भी देखी गई थी।

फरवरी में किया गया था ट्राइब्स इंडिया कॉन्क्लेव का आयोजन

“वोकल फॉर लोकल” के लिए प्रधानमंत्री की परिकल्पना को ध्यान में रखते हुए इससे पहले, फरवरी 2021 में विदेश मंत्रालय के सहयोग से ट्राइब्स इंडिया आदि महोत्सव में ट्राइब्स इंडिया कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम को खूब सराहा गया था और इसमें भारत में कार्यरत 30 से अधिक विदेशी मिशनों के 120 से अधिक राजनयिकों ने भाग लिया थाI इसके अलावा विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी आदि महोत्सव का दौरा किया था।

अगस्त 1987 में हुई थी ट्राईफेड की स्थापना

ट्राईफेड की स्थापना अगस्त 1987 में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर की सहकारी संस्था के रूप में बहु-राज्य सहकारी समितियों अधिनियम, 1984 के तहत की गई थी। एक बाजार डेवलपर और सेवा प्रदाता दोनों की दोहरी भूमिका निभाता है, उन्हें एक व्यवस्थित, वैज्ञानिक तरीके से अपने संचालन को बेहतर बनाने के लिए ज्ञान और उपकरणों के साथ सशक्त बनाता है और उनके विपणन दृष्टिकोण को विकसित करने में उनकी सहायता भी करता है। ट्राईफेड संवेदीकरण और स्वयं सहायता समूहों (SHG) के गठन के माध्यम से आदिवासी लोगों की क्षमता निर्माण में सक्रिय रूप से शामिल है। ट्राइफेड आदिवासियों को कई गतिविधियों में प्रशिक्षित करने में लगा हुआ है, ताकि वे प्रभावी रूप से उन्हें बाहर ले जा सकें। यह संगठन स्थायी आधार पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में विकसित उत्पादों के बिक्री के अवसर तलाशने और बनाने में भी उनकी सहायता करता है।

भारतीय विरासत का अभिन्न अंग है जनजातीय समुदाय

जनजातियां हमारी जनसंख्या के 8 प्रतिशत से अधिक हैं और भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आदिवासी आबादी वाला देश है I हालांकि, ये समाज के वंचित वर्गों में आती हैं। देश की मुख्यधारा के बीच एक गलत धारणा यह बनी हुई है कि “हमें उन्हें सिखाना है और उनकी सहायता करनी है”, जबकि सच्चाई कुछ और ही है। आदिवासियों को शहरी भारत बहुत कुछ सिखाता है और वे बिना बोले भी बहुत कुछ बता जाते है। प्राकृतिक सादगी से सराबोर उनकी कृतियों में एक कालातीत आकर्षण है। हस्तशिल्प की इस विस्तृत श्रृंखला में हाथ से बुने हुए सूती, रेशमी कपड़े, ऊन, धातु शिल्प, मृत्तिका भांड (टेराकोटा), मनकों से बने हस्तशिल्प शामिल हैं। इन सभी को संरक्षित करने और बढ़ावा देने की आवश्यकता है।

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