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पीठ के बारे में सदन के भीतर या बाहर टिप्पणी न करें सदस्य:लोकसभा अध्यक्ष

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सांसदों से अनुरोध किया कि वे लोकसभा की पीठ के बारे में सोशल मीडिया समेत सदन के या बाहर किसी भी मंच पर कोई टिप्पणी न करें ।श्री बिरला ने किसी सांसद का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका यह वक्तव्य तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा के एक ट्वीट के एक दिन बाद आया है जिसमें उन्होंने (सुश्री मोइत्रा) कहा था कि उन्हें उनके आवंटित समय में बोलने की अनुमति नहीं दी गई थी।लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, “ सदन के अंदर और बाहर अध्यक्ष की पीठ के बारे में टिप्पणी करना सदन की गरिमा और मर्यादा का उल्लंघन है। सदन में उच्च स्तर की गरिमा का पालन होता है जिसका सभी सम्माननीय सदस्यों द्वारा सम्मान किया जाता है। सदन में अध्यक्ष की पीठ का यह प्रयास रहा है कि सदन का संचालन निष्पक्ष रूप से नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार हो।”श्री बिरला ने कहा कि किसी भी समय , ‘अध्यक्ष की पीठ पर सदस्य के पास वे सभी संवैधानिक अधिकार होते है जो लोक सभा अध्यक्ष को प्राप्त हैं। उन्होंने जोर दिया कि आसन के बारे में सोशल मीडिया पर कोई टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए।

अध्यक्ष के इस वक्तव्य का सदन में उपस्थित सदस्यों ने दलगत भावना से ऊपर उठ कर समर्थित किया। सदस्यों ने कहा कि सदन और अध्यक्ष का सम्मान बनाए रखना हर सदस्य का कर्तव्य है।सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सभी सांसदों के अध्यक्ष के साथ अच्छे संबंध हैं और वे उनके साथ सहयोग करेंगे। तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंद्योपाध्याय ने भी इससे सहमति जताई और कहा कि सभी सांसद इसके लिए प्रतिबद्ध हैं।शिवसेना के अरविंद सावंत ने कहा कि पीठ के सम्मान की परम्परा है। उन्होंने कहा कि संबंधित सांसद को आसन के समक्ष जाते देखा गया जबकि एक सदस्य उस समय अपनी बात रख रहा था।नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूख अब्दुल्ला ने कहा कि अध्यक्ष सदन का ‘मुखिया’ होता है और उनकी गरिमा को बनाए रखना सांसदों का कर्तव्य है। उन्होंने कहा, “हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि हम हमेशा आपका सम्मान करेंगे और अगर हमने कोई गलती की है तो उसे माफ कर दें।”

टीआरएस के नामा नागेश्वर राव ने कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधियों को ऐसे कदम नहीं उठाने चाहिए जो लोगों के विश्वास के साथ विश्वासघात करते हों। बसपा के ऋतेश पांडेय ने आश्वासन दिया कि घटना की पुनरावृत्ति नहीं होगी।राकांपा की सुप्रिया सुले ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि जो हुआ उससे सांसद दुखी हैं।इस बीच बीजू जनता दल के भर्तृहरि महताब ने भी घटना को खेदजनक बताते हुए कहा, “कभी-कभी अपना गुस्सा व्यक्त करने की चिंता हमें (सदस्य को) मुश्किल में डाल देती है। मैंने कई बार देखा है कि कुछ (सांसद) आसन के सामने पहुंच जाते हैं और पीठासीन अध्यक्ष से बात करने लगते हैं जबकि सदन में कोई व्यक्ति बोल रहा होता है। यह बहुत दुखद दिन था। अच्छा है कि आज हम अपने दिल की बात यहां कह रहे हैं। ”तेलुगू देशम पार्टी के जयदेव गल्ला और आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने भी सदन की भावना के साथ अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। प्रेमचंद्रन ने कहा कि यह अध्यक्ष की ‘मर्यादा’ थी कि उन्होंने सांसद का नाम नहीं लिया।

केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस बीच कहा कि लोकसभा अध्यक्ष हमेशा सभी चर्चाओं में अधिक से अधिक सांसदों को शामिल करने की कोशिश करते हैं। उन्होंने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण कहा।गुरुवार को टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा में भाग ले रही थीं। हालांकि, जब उनसे अपना संबोधन समाप्त करने के लिए कहा गया, तो उन्होंने आसन से कहा कि उनके पास बोलने के लिए अभी और अधिक समय बचा है। उस समय आसन पर सुश्री रमा देवी थी। सुश्री रमा देवी ने उन्हें और समय न दे कर अगले वक्ता के लिए पुकार लगा दी। इससे उत्तेजित सुश्री मोइत्रा अपनी सीट पर खड़ी हो गईं और अपनी आवाज तेज कर के अध्यक्ष से कहा कि उन्हें बोलने के लिए और अवसर दिया जाए । जब अध्यक्ष ने उनकी ओर ध्यान नहीं दिया, तो उन्होंने आसन के सामने जा कर पीठासीन अध्यक्ष से अपना भाषण जारी रखने की अनुमति दिए जाने की मांग की।

सुश्री मोइत्रा को उस समय अन्य विपक्षी सांसदों से बात करते हुए भी देखा गया, और वह दो बार स्पीकर ओम बिरला के कक्ष में भी गयीं। एक बार सुप्रिया सुले को भी सुश्री मोइत्रा के पीछे पीछे अध्यक्ष के कक्ष में जाते देखा गया था।बाद में मोइत्रा ने ट्वीट किया, “लोकसभा अध्यक्ष ने मुझे कम से कम 13 मिनट आवंटित किए थे, जब उनके कक्ष में उनके सामने गयी तो उन्होंने कहा कि वह आसन पर नहीं है और उन्हें दोष नहीं दिया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि अध्यक्ष श्री बिरला ने उनसे यह भी कहा कि कहा ‘यह मेरी महानता थी कि मैंने आपको 13 मिनट दे दिया था।’ मोइत्रा ने कहा कि वह इस बात से दंग रह गयीं। उन्होंने उस समय कार्यवाही का संचालन कर रही पीठासीन अध्यक्ष रमा देवी की भी ट्वीट में खिंचाई की और कहा कि उन्होंने उनके भाषण के दौरान एक समय उनसे कहा कि गुस्से में नहीं , थोड़ा प्यार से बोलिए।उन्होंने लिखा कि ‘अध्यक्ष कौन होती हैं मेरे बोलने में बाधा डालने वाली’ और यह बताने वाली कि मैं गुस्से में बोलू या प्यार से। मैडम यह आप का काम नहीं है। आप केवल मुझे नियमों के अधार पर सही कर सकती हैं। आप लोक सभा के लिए नैतिक विज्ञान की शिक्षिका नहीं हैं।

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