UP Live

40 हजार से ज्यादा रिचार्जेबल लाइट्स से रौशन होगा महाकुंभ

  • लाइट जाने की स्थिति में भी मेला क्षेत्र और कैंप्स में नहीं होगी जीरो लाइट की स्थिति
  • नॉर्मल एलईडी बल्ब के साथ कैंप्स में रिचार्जेबल बल्ब का भी किया जाएगा इस्तेमाल
  • पूरे मेला क्षेत्र में कैंप्स के अंदर 40 से 45 हजार रिचार्जेबल बल्ब लगाने की है योजना
  • कैंप्स के बाहर 2 हजार सोलर हाईब्रिड लाइट्स का भी किया जा रहा है उपयोग

प्रयागराज । इस बार महाकुंभ की भव्यता और दिव्यता में रौशनी का भी महत्वपूर्ण योगदान होगा। महाकुंभ के दौरान शाम के समय मेला क्षेत्र की चमचमाती रौशनी गंगा और यमुना की कलकल बहती निर्मल धारा को और भी अलौकिक रूप प्रदान करेगी। इस अलौकिक दृश्य को श्रद्धालु बिना किसी बाधा के अपनी आंखों से निहार सकें, इसके लिए योगी सरकार इस बार अनूठी पहल करने जा रही है। पहली बार पूरे मेला क्षेत्र को 24×7 रौशन बनाए रखने के लिए पूरे मेला क्षेत्र में 40 हजार से अधिक रिचार्जेबल लाइट्स (रिचार्जेबल बल्ब) का उपयोग किया जा रहा है। ये बल्ब खुद को रिचार्ज करते हैं और बिजली जाने पर भी रौशनी देते रहते हैं। इससे यदि किसी फॉल्ट या अन्य वजह से अचानक बिजली चली जाती है तो भी ये बल्ब कभी अंधेरा नहीं होने देते। महाकुंभ ही नहीं, उत्तर प्रदेश में पहली बार इस तरह की लाइट्स का उपयोग किसी बड़े आयोजन में होने जा रहा है।

नहीं होगी जीरो लाइट की स्थिति

मेला क्षेत्र में विद्युत विभाग के प्रभारी अधिशासी अभियंता अनूप कुमार सिन्हा ने बताया कि जो विद्युत संयोजन हम लोग कैंप्स में देंगे उसमें हमने इस बार नॉर्मल एलईडी बल्ब के साथ ही रिचार्जेबल बल्ब भी उपयोग में लाने का निर्णय लिया है। इस बार पूरे मेला क्षेत्र में हमें साढ़े चार लाख कनेक्शन देने हैं तो उसके 1/10 के आसपास यानी 40 से 45 हजार के बीच रिचार्जेबल बल्ब भी लगाए जाएंगे। रिचार्जेबल बल्ब में इनबिल्ट बैटरी होती है, जो लाइट चालू रहने पर चार्ज होती रहती है. बिजली जाने पर, ये बैटरी ही बल्ब को रोशन रखती है। इसका लाभ ये होगा कि यदि किसी कैंप में 5-6 बल्ब लगे हैं और किसी कारण से लाइट चली गई तो एक रिचार्जेबल बल्ब भी जलता रहेगा तो जीरो लाइट या अंधेरे की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी। उन्होंने बताया कि हमने बैकअप लाइट की भी व्यवस्था की है, जिसके लिए जेनसेट वगैरह का उपयोग व्यापक पैमाने पर होगा, जहां हम सप्लाई को एक से दो मिनट में रिस्टोर कर लेंगे। लेकिन इस एक से दो मिनट के बीच में भी हमारा प्रयास जीरो लाइट्स की स्थिति उत्पन्न नहीं होने देना है।

पहली बार महाकुंभ में होगा उपयोग

उन्होंने बताया कि ये रिचार्जेबल लाइट्स नॉर्मल बल्ब के साथ ही लगाई जाएंगी। नॉर्मल बल्ब की तरह ही इनकी भी रोशनी होगी। हालांकि यदि किसी वजह से लाइट जाती है तो बाकी बल्ब ऑफ हो जाएंगे, लेकिन यह बल्ब काम करता रहेगा। उन्होंने बताया कि विद्युत विभाग की जो परियोजनाएं महाकुंभ मेला क्षेत्र में चल रही हैं, उसी में से इन बल्ब के लिए फंड की व्यवस्था की जाएगी। अमूमन एक रिचार्जेबल बल्ब की कीमत लगभग 600 से 700 के बीच होती है। ऐसे में 45 हजार बल्ब लगाने पर इसमें करीब 2.7 करोड़ रुपए का खर्च आने की संभावना है। हालांकि, बल्ब की संख्या कैंप्स की संख्या के अनुपात में घट और बढ़ भी सकती है। उन्होंने बताया कि रिचार्जेबल बल्ब का कांसेप्ट अभी एक-दो साल पहले ही आया है। अभी यह प्रयोग प्रदेश के अंदर किसी बड़े मेले या बड़े आयोजन में नहीं किया गया है। पहली बार महाकुंभ में इसका उपयोग किया जा रहा है।

2 हजार सोलर हाईब्रिड लाइट्स का भी होगा उपयोग

मेला क्षेत्र में स्थापित कैंप्स ही नहीं, बल्कि कैंप्स के बाहर भी लाइट जाने पर अंधेरा न हो, इसकी पुख्ता व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने बताया कि कैंप्स के बाहर हम 67 हजार नॉर्मल लाइट्स की व्यवस्था कर रहे हैं और इसके भी बैकअप के लिए हमने 2 हजार सोलर हाईब्रिड लाइट्स की व्यवस्था की है। सोलर हाईब्रिड लाइट्स ऐसी लाइट्स होती हैं जो लाइट जाने पर भी लगातार काम करती रहेगी। इसमें बैटरी का बैकअप है जो सूर्य की किरणों से चार्ज होती है। लाइट जाने की स्थिति में यह बैट्री के माध्यम से रोशनी देती है। ये दो हजार सोलर हाईब्रिड लाइट्स भी जीरो लाइट्स की आशंका को खत्म करने के लिए उपयोग में लाई जा रही हैं।

Website Design Services Website Design Services - Infotech Evolution
SHREYAN FIRE TRAINING INSTITUTE VARANASI

Related Articles

Graphic Design & Advertisement Design
Back to top button